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संस्कृत-हिंदीको छोड़कर अन्य भाषाका कोई भी शब्द  [हिन्दी कहानी]
छोटी सी कहानी - Shikshaprad Kahani (हिन्दी कहानी)

पूज्यपाद गोस्वामी श्रीगुल्लूजी देववाणी - संस्कृत, हिंदी या व्रजभाषाको छोड़कर दूसरी भाषाका एक शब्द भी नहीं बोलते थे। उन्होंने एक दिन सुना कि उनके पुत्र गोस्वामी श्रीराधाचरण अंग्रेजी पढ़ रहे हैं, तब आपने उन्हें अपने पास बुलाया और बहुत समझाया। एक बार आप श्रीसाहूजी साहेब श्रीललितकिशोरीजीसे मिले थे।बातों-ही-बातोंमें बंदूकका प्रसङ्ग सामने आ गया। आपका कड़ा नियम था कि संस्कृत और व्रजभाषाको छोड़कर एक शब्द भी नहीं बोलूँगा। आपने बंदूक चलानेका वर्णन इस प्रकार व्रजभाषामें किया-

- 'लौहनलिकामें श्याम चूर्ण प्रवेश अग्नि

दीनी तो भड़ाम शब्द भयौ ।'



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sanskrita-hindeeko chhoda़kar any bhaashaaka koee bhee shabda

poojyapaad gosvaamee shreegulloojee devavaanee - sanskrit, hindee ya vrajabhaashaako chhoda़kar doosaree bhaashaaka ek shabd bhee naheen bolate the. unhonne ek din suna ki unake putr gosvaamee shreeraadhaacharan angrejee padha़ rahe hain, tab aapane unhen apane paas bulaaya aur bahut samajhaayaa. ek baar aap shreesaahoojee saaheb shreelalitakishoreejeese mile the.baaton-hee-baatonmen bandookaka prasang saamane a gayaa. aapaka kada़a niyam tha ki sanskrit aur vrajabhaashaako chhoda़kar ek shabd bhee naheen boloongaa. aapane bandook chalaaneka varnan is prakaar vrajabhaashaamen kiyaa-

- 'lauhanalikaamen shyaam choorn pravesh agni

deenee to bhada़aam shabd bhayau .'

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कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
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श्याम देखा घनश्याम देखा
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
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गोरी बरसाने वारी
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
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समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
तेरा पल पल बिता जाए रे
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ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
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सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
तू राधे राधे गा ,
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