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वीणाका सम्मान  [Spiritual Story]
Hindi Story - आध्यात्मिक कथा (Short Story)

वीणाका सम्मान

मैसूरके श्रीशेषण्णा वीणा बजानेमें माहिर थे। मैसूरके महाराजा उनका बहुत सम्मान करते थे। हालाँकि यश और सम्मान पानेके बावजूद शेषण्णाके भीतर अहंकार जरा भी नहीं आया था। वह अत्यन्त विनम्र स्वभावके थे।
एक बार बड़ौदा (वड़ोदरा) के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ने शेषण्णाको अपने यहाँ आमन्त्रित किया। शेषण्णा वहाँ गये और अनेक सम्मानित व्यक्तियोंके बीच उन्होंने वीणावादन किया। उनकी वीणा सुनकर वहाँ उपस्थित सभी श्रोता मन्त्रमुग्ध हो गये। कार्यक्रम समाप्त
होनेपर गायकवाड़ चिन्तामें पड़ गये कि पुरस्कारमें श्रीशेषण्णाको क्या दें? मैसूरके महाराजने तो उन्हें पहले ही बहुत कुछ दिया हुआ था। काफी सोच-विचारकर उन्होंने शेषण्णाको एक सुन्दर जड़ाऊ पालकी भेंट की और कहा कि 'वे अगले दिन उनके दरबारमें पालकीमें बैठकर आयें।'
श्रीशेषण्णा संकोचमें पड़ गये। उन्हें धन-सम्पत्ति और दूसरे तामझामसे कोई खास मतलब नहीं था। बहुत सोच-विचारके बाद दूसरे दिन उन्होंने वीणाको पालकीमें रख दिया और स्वयं पैदल चलकर दरबारमें पहुँचे। उन्हें इस तरह आते देखकर महाराजा गायकवाड़ 'यह क्या! मैंने तो आपको पालकीमें बैठकर आनेके लिये 'कहा था।' इसपर श्रीशेषण्णा बोले-'महाराज ! आपने मुझे जो सम्मान दिया है, वह इस वीणाके कारण दिया है। इसीके कारण दूसरे लोग भी मुझे सम्मान देते हैं। वीणा मुझसे श्रेष्ठ है, इसलिये पालकीमें बैठनेका सम्मान भी वीणाको ही मिलना चाहिये।'
श्रीशेषण्णाका कलाके प्रति सम्मान देखकर महाराज अत्यन्त प्रसन्न हुए।



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veenaaka sammaana

veenaaka sammaana

maisoorake shreesheshanna veena bajaanemen maahir the. maisoorake mahaaraaja unaka bahut sammaan karate the. haalaanki yash aur sammaan paaneke baavajood sheshannaake bheetar ahankaar jara bhee naheen aaya thaa. vah atyant vinamr svabhaavake the.
ek baar bada़auda (vada़odaraa) ke mahaaraaja sayaajeeraav gaayakavaada़ne sheshannaako apane yahaan aamantrit kiyaa. sheshanna vahaan gaye aur anek sammaanit vyaktiyonke beech unhonne veenaavaadan kiyaa. unakee veena sunakar vahaan upasthit sabhee shrota mantramugdh ho gaye. kaaryakram samaapt
honepar gaayakavaada़ chintaamen pada़ gaye ki puraskaaramen shreesheshannaako kya den? maisoorake mahaaraajane to unhen pahale hee bahut kuchh diya hua thaa. kaaphee socha-vichaarakar unhonne sheshannaako ek sundar jada़aaoo paalakee bhent kee aur kaha ki 've agale din unake darabaaramen paalakeemen baithakar aayen.'
shreesheshanna sankochamen pada़ gaye. unhen dhana-sampatti aur doosare taamajhaamase koee khaas matalab naheen thaa. bahut socha-vichaarake baad doosare din unhonne veenaako paalakeemen rakh diya aur svayan paidal chalakar darabaaramen pahunche. unhen is tarah aate dekhakar mahaaraaja gaayakavaada़ 'yah kyaa! mainne to aapako paalakeemen baithakar aaneke liye 'kaha thaa.' isapar shreesheshanna bole-'mahaaraaj ! aapane mujhe jo sammaan diya hai, vah is veenaake kaaran diya hai. iseeke kaaran doosare log bhee mujhe sammaan dete hain. veena mujhase shreshth hai, isaliye paalakeemen baithaneka sammaan bhee veenaako hee milana chaahiye.'
shreesheshannaaka kalaake prati sammaan dekhakar mahaaraaj atyant prasann hue.

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