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अभी बहुत दिन हैं  [आध्यात्मिक कथा]
Spiritual Story - आध्यात्मिक कहानी (प्रेरक कथा)

एक श्रेष्ठ नारी थी। माता-पिता भगवद्भक्त थे, उन्होंने पुत्रीको उत्तम शिक्षा दी थी। विवाह हो जानेपर पतिगृह आकर उसने सोचा- 'स्त्रीको पतिकी सेवा करनी चाहिये और सच्ची सेवा तो है जीवको मृत्युके मुखमेंसे बचा देना। भगवान्‌के भजनमें लगकर ही प्राणी मृत्युके फंदेसे छूट सकता है।' यह विचार करके वह पतिको समय-समयपर भजन करनेको कहा करती थी।

पतिदेव थे सांसारिक व्यापार- निपुण । वे पत्नीकी बात सुनकर कह देते थे-'अभी क्या शीघ्रता है। अभी तो बहुत दिन हैं। भजन-पूजनका भी समय होता है। संसारके अमुक कार्य पूरे कर लेने ही भजन करना है।' फिर तो भजन एक बार पति महोदय बीमार पड़े। वैद्यजी आये,नाड़ी देखी और दवा दे गये। पत्नीने दवा लेकर रख | दी। जब दवा लेनेका समय हो गया तब पतिने पत्नीसे दवा माँगी। स्त्रीने कहा—‘अभी क्या शीघ्रता है? अभी तो बहुत दिन पड़े हैं। दवा फिर ले लीजियेगा ।'

पतिदेव झल्लाये –'तब दवा क्या मरनेके खानेको है ?"

पत्नीने दवा देते हुए कहा - 'दवा तो अभी खानेकी है; किंतु आपने सम्भवतः भगवान्‌का भजन मरनेके पश्चात् करनेकी वस्तु माना है; क्योंकि मृत्यु कब आयेगी, यह तो किसीको पता नहीं।'

पुरुषको अपनी भूलका पता लगा और भूल जब समझमें आ जाय तो वह दूर होकर रहती है, यदि पुरुष सत्पुरुष है। – सु0 सिं0



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abhee bahut din hain

ek shreshth naaree thee. maataa-pita bhagavadbhakt the, unhonne putreeko uttam shiksha dee thee. vivaah ho jaanepar patigrih aakar usane sochaa- 'streeko patikee seva karanee chaahiye aur sachchee seva to hai jeevako mrityuke mukhamense bacha denaa. bhagavaan‌ke bhajanamen lagakar hee praanee mrityuke phandese chhoot sakata hai.' yah vichaar karake vah patiko samaya-samayapar bhajan karaneko kaha karatee thee.

patidev the saansaarik vyaapaara- nipun . ve patneekee baat sunakar kah dete the-'abhee kya sheeghrata hai. abhee to bahut din hain. bhajana-poojanaka bhee samay hota hai. sansaarake amuk kaary poore kar lene hee bhajan karana hai.' phir to bhajan ek baar pati mahoday beemaar pada़e. vaidyajee aaye,naada़ee dekhee aur dava de gaye. patneene dava lekar rakh | dee. jab dava leneka samay ho gaya tab patine patneese dava maangee. streene kahaa—‘abhee kya sheeghrata hai? abhee to bahut din pada़e hain. dava phir le leejiyega .'

patidev jhallaaye –'tab dava kya maraneke khaaneko hai ?"

patneene dava dete hue kaha - 'dava to abhee khaanekee hai; kintu aapane sambhavatah bhagavaan‌ka bhajan maraneke pashchaat karanekee vastu maana hai; kyonki mrityu kab aayegee, yah to kiseeko pata naheen.'

purushako apanee bhoolaka pata laga aur bhool jab samajhamen a jaay to vah door hokar rahatee hai, yadi purush satpurush hai. – su0 sin0

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