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उपासनामें तन्मयता चाहिये  [Shikshaprad Kahani]
आध्यात्मिक कहानी - Story To Read (आध्यात्मिक कथा)

बादशाह अकबर राजधानीसे बाहर निकले थे। अनेक बार एक-दो विद्वानोंको साथ लेकर बिना किसी धूम -घड़ाके और आडम्बरके प्रजाकी दशाका स्वयं निरीक्षण करने वे निकलते थे। उस दिन नमाजका समय होनेपर बादशाहने मार्गमें ही 'जायेनमाज' बिछवा दिया; क्योंकि मार्गको छोड़कर इधर-उधर स्वच्छ भूमि थी नहीं।बादशाह नमाज पढ़ रहे थे। साथके जो एक-दो व्यक्ति थे, वे पासके वृक्षोंकी ओर चले गये। इतनेमें एक स्त्री आयी और बादशाहके 'जायेनमाज पर पैर रखती आगे चली गयी। बादशाहको क्रोध तो बहुत आया; किंतु वे नमाज पढ़ रहे थे, इसलिये बोले नहीं।

थोड़ी ही देरमें वह स्त्री उधरसे ही लौटी। बादशाह नमाज पूरी कर चुके थे। उन्होंने उस नारीसे पूछा'तू इधर कहाँ गयी थी ?" स्त्रीने कहा- 'मेरे स्वामी परदेश गये हैं। समाचार मिला था कि आ रहे हैं। मैं उन्हें देखने गयी थी; किंतु समाचार ठीक नहीं निकला ।'

बादशाहने उसे डाँटा– 'मूर्ख स्त्री ! तुझे जाते समय दीखा नहीं कि मैं नमाज पढ़ रहा हूँ। तू मेरे 'जायेनमाज' (नमाज पढ़ते समय नीचे बिछी चद्दर) को कुचलती चली गयी।'उस स्त्रीने उत्तर दिया- 'जहाँपनाह! मेरा चित्त तो एक सांसारिक पुरुषमें लगा था, इसलिये मैं आपको और आपके ‘जायेनमाज' को देख नहीं सकी; किंतु आप तो उस समय विश्वके स्वामीकी प्रार्थनामें चित्त लगाये हुए थे, आपने मुझे इधरसे जाते देख कैसे लिया ?'

बादशाहने सिर नीचा करके उस स्त्रीको क्षमा कर दिया । - सु0 सिं0



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upaasanaamen tanmayata chaahiye

baadashaah akabar raajadhaaneese baahar nikale the. anek baar eka-do vidvaanonko saath lekar bina kisee dhoom -ghada़aake aur aadambarake prajaakee dashaaka svayan nireekshan karane ve nikalate the. us din namaajaka samay honepar baadashaahane maargamen hee 'jaayenamaaja' bichhava diyaa; kyonki maargako chhoda़kar idhara-udhar svachchh bhoomi thee naheen.baadashaah namaaj padha़ rahe the. saathake jo eka-do vyakti the, ve paasake vrikshonkee or chale gaye. itanemen ek stree aayee aur baadashaahake 'jaayenamaaj par pair rakhatee aage chalee gayee. baadashaahako krodh to bahut aayaa; kintu ve namaaj padha़ rahe the, isaliye bole naheen.

thoda़ee hee deramen vah stree udharase hee lautee. baadashaah namaaj pooree kar chuke the. unhonne us naareese poochhaa'too idhar kahaan gayee thee ?" streene kahaa- 'mere svaamee paradesh gaye hain. samaachaar mila tha ki a rahe hain. main unhen dekhane gayee thee; kintu samaachaar theek naheen nikala .'

baadashaahane use daantaa– 'moorkh stree ! tujhe jaate samay deekha naheen ki main namaaj padha़ raha hoon. too mere 'jaayenamaaja' (namaaj padha़te samay neeche bichhee chaddara) ko kuchalatee chalee gayee.'us streene uttar diyaa- 'jahaanpanaaha! mera chitt to ek saansaarik purushamen laga tha, isaliye main aapako aur aapake ‘jaayenamaaja' ko dekh naheen sakee; kintu aap to us samay vishvake svaameekee praarthanaamen chitt lagaaye hue the, aapane mujhe idharase jaate dekh kaise liya ?'

baadashaahane sir neecha karake us streeko kshama kar diya . - su0 sin0

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