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शास्त्रीजीकी नियमनिष्ठा  [हिन्दी कहानी]
प्रेरक कथा - Wisdom Story (Hindi Story)

शास्त्रीजीकी नियमनिष्ठा

यह घटना उन दिनोंकी है, जब लालबहादुर शास्त्री भारतके गृहमन्त्री थे। शास्त्रीजीकी सादगी सर्वविदित है। वे स्वयंपर अथवा अपने परिवारपर तनिक भी अनावश्यक खर्च नहीं करते थे। उनका रहन-सहन आम लोगों जैसा ही था। राष्ट्रके अति महत्त्वपूर्ण पदपर आसीन होनेके बावजूद भी उन्होंने कभी अपने अधिकारोंका दुरुपयोग नहीं किया।
एक बार इलाहाबाद स्थित निवासके मकान (मालिकने उनसे मकान खाली करनेका अनुरोध किया, जिसे शास्त्रीजीने तत्काल मान लिया। वास्तवम मकान मालिकको उस निवास-स्थानकी अति आवश्यकता थी और शास्त्रीजी स्वयंसे अधिक दूसरोंकी जरूरतोंका ख्याल रखते थे। अतः उन्होंने मकान खाली कर दिया और किरायेपर दूसरा मकान लेनेके लिये आवेदन-पत्र भरा। काफी समय बाद भी शास्त्रीजीको मकान नहीं मिल सका, तो उनके किसी मित्रने अधिकारियोंसे पूछताछ की। अधिकारियोंने बताया कि शास्त्रीजीका कड़ा आदेश है कि जिस क्रममें उनका आवेदन-पत्र दर्ज है, उसी क्रमके अनुसार मकान दिया जाय। कोई पक्षपात न किया जाय। और सच तो यह था कि 176 आवेदकोंके नाम शास्त्रीजीसे पहले दर्ज थे, इसलिये देशका गृहमन्त्री मकानके लिये लम्बे समयतक प्रतीक्षारत रहा।
इस घटनाका सार यह है कि नियम-कानूनका पालन यदि साधारण लोगोंके साथ विशिष्टजन भी पूरी ईमानदारीसे करें तो समाजसे भ्रष्टाचार जड़से समाप्त हो जाय। [ श्रीमती अनीताजी कुमावत ]



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shaastreejeekee niyamanishthaa

shaastreejeekee niyamanishthaa

yah ghatana un dinonkee hai, jab laalabahaadur shaastree bhaaratake grihamantree the. shaastreejeekee saadagee sarvavidit hai. ve svayanpar athava apane parivaarapar tanik bhee anaavashyak kharch naheen karate the. unaka rahana-sahan aam logon jaisa hee thaa. raashtrake ati mahattvapoorn padapar aaseen honeke baavajood bhee unhonne kabhee apane adhikaaronka durupayog naheen kiyaa.
ek baar ilaahaabaad sthit nivaasake makaan (maalikane unase makaan khaalee karaneka anurodh kiya, jise shaastreejeene tatkaal maan liyaa. vaastavam makaan maalikako us nivaasa-sthaanakee ati aavashyakata thee aur shaastreejee svayanse adhik doosaronkee jarooratonka khyaal rakhate the. atah unhonne makaan khaalee kar diya aur kiraayepar doosara makaan leneke liye aavedana-patr bharaa. kaaphee samay baad bhee shaastreejeeko makaan naheen mil saka, to unake kisee mitrane adhikaariyonse poochhataachh kee. adhikaariyonne bataaya ki shaastreejeeka kada़a aadesh hai ki jis kramamen unaka aavedana-patr darj hai, usee kramake anusaar makaan diya jaaya. koee pakshapaat n kiya jaaya. aur sach to yah tha ki 176 aavedakonke naam shaastreejeese pahale darj the, isaliye deshaka grihamantree makaanake liye lambe samayatak prateekshaarat rahaa.
is ghatanaaka saar yah hai ki niyama-kaanoonaka paalan yadi saadhaaran logonke saath vishishtajan bhee pooree eemaanadaareese karen to samaajase bhrashtaachaar jada़se samaapt ho jaaya. [ shreematee aneetaajee kumaavat ]

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