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क्षणिक जीवन  [हिन्दी कहानी]
प्रेरक कथा - हिन्दी कहानी (Short Story)

महात्मा नूहको दीर्घायु मिली थी ! पूरे एक हजार वर्षतक वे जीवित रहे, अन्तमें उनका शरीर छूटा और वे स्वर्ग गये। वहाँ देवताओंने पूछा-'संसारमें इतनी बड़ी आयु तुम्हें कैसी प्रतीत हुई?'हजरत नूह बोले- 'इतनी आयुतक जीवित रहना मुझे तो ऐसा ही लगा जैसे कोई सरायके एक द्वारसे प्रवेश करके वहाँ रुके बिना दूसरे द्वारसे बाहर आ जाय।'

-सु0 सिं0



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kshanik jeevana

mahaatma noohako deerghaayu milee thee ! poore ek hajaar varshatak ve jeevit rahe, antamen unaka shareer chhoota aur ve svarg gaye. vahaan devataaonne poochhaa-'sansaaramen itanee bada़ee aayu tumhen kaisee prateet huee?'hajarat nooh bole- 'itanee aayutak jeevit rahana mujhe to aisa hee laga jaise koee saraayake ek dvaarase pravesh karake vahaan ruke bina doosare dvaarase baahar a jaaya.'

-su0 sin0

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यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
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चाकर रखलो राधा रानी तेरा बहुत बड़ा
वृदावन जाने को जी चाहता है,
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