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अहिंसाकी हिंसापर विजय  [Hindi Story]
Story To Read - Hindi Story (बोध कथा)

अर्जुनमाली बड़ी श्रद्धापूर्वक एक यक्षकी नित्य | 1 पूजा करता था। एक दिन उसने जैसे ही पूजा समाप्त की, छः डाकू आ धमके। उन दुर्जनोंने अर्जुनको रस्सियोंसे बाँध दिया और उसके घरको लूट लिया।। उसकी पत्नीके साथ भी वे दुर्व्यवहार करने लगे ।

अब अर्जुनमालीको क्रोध आया। वह बँधा - बँधा दाँत पीसने लगा और मन ही मन कहने लगा- 'मैंने इतने दिनों व्यर्थ इस यक्षकी पूजा की। इसके सामने ही मेरी तथा मेरी पत्नीकी यह दुर्गति हो रही है। मैं जानता कि यह इतना कापुरुष तथा असमर्थ है तो इसकी प्रतिमा यहाँसे उठा फेंकता।'

अर्जुन क्रोधमें भी सच्चे भावसे मान रहा था कि प्रतिमा जड़ नहीं है, उसमें सचमुच यक्ष है। उसके इस भावसे यक्ष संतुष्ट हो गया। अर्जुनके शरीरमें ही यक्षका आवेश हुआ। अब तो आवेशमें अर्जुनने अपने बन्धन तोड़ डाले और मूर्तिके पास रखा एक लोहेका मुद्गर उठा लिया। अर्जुनमें यक्षका बल था, उसने छः डाकुओं तथा अपनी स्त्रीको भी तत्काल मार दिया। परंतु इसके पश्चात् यक्षके आवेशमें अर्जुनमाली जैसे उन्मत्त हो गया। वह प्रतिदिन सात मनुष्योंको मारने लगा। राजगृहमें हाहाकार मच गया। लोगोंने घरोंसे निकलना बंद कर दिया।

उन्हीं दिनों भगवान् महावीर राजगृहके समीप उद्यानमें पधारे। उनके आगमनका समाचार सेठ सुदर्शनकोमिला। तीर्थंकरका दिव्योपदेश श्रवण करने उन्हें अवश्य जाना था। घरके लोगोंने उन्हें मना किया कि अर्जुन राजपथपर मुद्गर लिये घूम रहा है, तो वे बोले-' वह भी तो मनुष्य ही है, मैं उसे समझाऊँगा।'

सेठ सुदर्शन राजपथपर पहुँचे। अर्जुन आज छः व्यक्तियोंका वध कर चुका था और सातवेंकी खोजमें था। सेठको देखते ही वह मुद्गर उठाकर दौड़ा; किंतु सेठ स्थिर खड़े रहे। प्रहारके लिये उसने मुद्गर उठाया तो मुद्गरके साथ स्वयं भूमिपर गिर पड़ा। उसके शरीरमें आविष्ट यक्ष एक नैष्ठिक आचारवान् अहिंसकका तेज सहन नहीं कर सका था, इसलिये वह भाग गया था।

सेठ सुदर्शनने पुकारा- 'उठो अर्जुन! मेरी ओर क्या देख रहे हो भाई! आओ! हम दोनों साथ चलकर आज तीर्थंकरकी पवित्र वाणी श्रवण करें।'

सेठने हाथ पकड़कर उसे उठाया और सचमुच उठा लिया जीवनके पाप-पंकसे; क्योंकि तीर्थंकरके सम्मुख पहुँचते ही अर्जुन उनके चरणोंमें नत हो गया। वह दीक्षित हो गया नगरवासी उसे मुनिवेशमें देखकर भी उसके द्वारा मारे गये अपने स्वजनोंका बदला लेनेके लिये उसे पत्थरोंसे मारते थे, उसपर दण्डप्रहार करते थे; किंतु वह अब शान्त रहता था। उसे आदेश जो मिला था - मा हतो ।



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ahinsaakee hinsaapar vijaya

arjunamaalee bada़ee shraddhaapoorvak ek yakshakee nity | 1 pooja karata thaa. ek din usane jaise hee pooja samaapt kee, chhah daakoo a dhamake. un durjanonne arjunako rassiyonse baandh diya aur usake gharako loot liyaa.. usakee patneeke saath bhee ve durvyavahaar karane lage .

ab arjunamaaleeko krodh aayaa. vah bandha - bandha daant peesane laga aur man hee man kahane lagaa- 'mainne itane dinon vyarth is yakshakee pooja kee. isake saamane hee meree tatha meree patneekee yah durgati ho rahee hai. main jaanata ki yah itana kaapurush tatha asamarth hai to isakee pratima yahaanse utha phenkataa.'

arjun krodhamen bhee sachche bhaavase maan raha tha ki pratima jada़ naheen hai, usamen sachamuch yaksh hai. usake is bhaavase yaksh santusht ho gayaa. arjunake shareeramen hee yakshaka aavesh huaa. ab to aaveshamen arjunane apane bandhan toda़ daale aur moortike paas rakha ek loheka mudgar utha liyaa. arjunamen yakshaka bal tha, usane chhah daakuon tatha apanee streeko bhee tatkaal maar diyaa. parantu isake pashchaat yakshake aaveshamen arjunamaalee jaise unmatt ho gayaa. vah pratidin saat manushyonko maarane lagaa. raajagrihamen haahaakaar mach gayaa. logonne gharonse nikalana band kar diyaa.

unheen dinon bhagavaan mahaaveer raajagrihake sameep udyaanamen padhaare. unake aagamanaka samaachaar seth sudarshanakomilaa. teerthankaraka divyopadesh shravan karane unhen avashy jaana thaa. gharake logonne unhen mana kiya ki arjun raajapathapar mudgar liye ghoom raha hai, to ve bole-' vah bhee to manushy hee hai, main use samajhaaoongaa.'

seth sudarshan raajapathapar pahunche. arjun aaj chhah vyaktiyonka vadh kar chuka tha aur saatavenkee khojamen thaa. sethako dekhate hee vah mudgar uthaakar dauda़aa; kintu seth sthir khada़e rahe. prahaarake liye usane mudgar uthaaya to mudgarake saath svayan bhoomipar gir pada़aa. usake shareeramen aavisht yaksh ek naishthik aachaaravaan ahinsakaka tej sahan naheen kar saka tha, isaliye vah bhaag gaya thaa.

seth sudarshanane pukaaraa- 'utho arjuna! meree or kya dekh rahe ho bhaaee! aao! ham donon saath chalakar aaj teerthankarakee pavitr vaanee shravan karen.'

sethane haath pakada़kar use uthaaya aur sachamuch utha liya jeevanake paapa-pankase; kyonki teerthankarake sammukh pahunchate hee arjun unake charanonmen nat ho gayaa. vah deekshit ho gaya nagaravaasee use muniveshamen dekhakar bhee usake dvaara maare gaye apane svajanonka badala leneke liye use pattharonse maarate the, usapar dandaprahaar karate the; kintu vah ab shaant rahata thaa. use aadesh jo mila tha - ma hato .

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