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एकनाथजीकी अक्रोध- परीक्षा  [Hindi Story]
Spiritual Story - हिन्दी कहानी (प्रेरक कथा)

पैठणमें कुछ दुष्टोंने मिलकर घोषणा की कि 'जो कोई एकनाथ महाराजको क्रोध दिला देगा, उसे दो सौ रुपये इनाम दिया जायगा।' एक ब्राह्मण युवकने बीड़ा उठाया। वह दूसरे दिन प्रातः काल एकनाथजीके घर पहुँचा। उस समय एकनाथजी पूजा कर रहे थे। वह बिना हाथ-पैर धोये और बिना किसीसे पूछे-जाँचे सीधा पूजाघरमें जाकर उनकी गोदमें जा बैठा। उसने सोचा था – ऐसा करनेपर एकनाथजीको जरूर क्रोध होगा, परंतु उन्होंने हँसकर कहा- 'भैया! तुम्हें देखकर मुझे बड़ा आनन्द हुआ। मिलते तो बहुत-से लोग हैं, परंतु तुम्हारा प्रेम तो विलक्षण है।' वह देखता ही रह गया। उसने सोचा कि इनको क्रोध दिलाना तो बहुत कठिन है, पर उसे दो सौ रुपयेका लोभ था, इससे फिर दूसरीबार चेष्टा करनेका विचार किया। भोजनके समय उसका आसन एकनाथजीके पास ही लगाया गया। भोजन परोसा गया। घी परोसने के लिये एकनाथजीकी पत्नी गिरिजाबाई आयीं। उन्होंने ज्यों ही झुककर ब्राह्मणकी दालमें घी परोसना चाहा, त्यों ही वह लपककर उनकी पीठका चढ़ गया। एकनाथजीने पत्नीसे कहा-'देखना, ब्राह्मण कहीं गिर न पड़े।' गिरिजाबाई भी एकनाथजीकी हों धर्मपत्नी थीं। उन्होंने मुसकराते हुए कहा – 'कोई डरकी बात नहीं है, मुझे हरि (एकनाथजीके पुत्रका नाम था) को पीठपर लादे काम करनेका अभ्यास है। इस बच्चेको मैं कैसे गिरने दूँगी ?' यह देख-सुनकर तो ब्राह्मणकी सारी आशा टूट गयी। वह लुढ़ककर एकनाथजीके | चरणोंमें गिर पड़ा और क्षमा माँगने लगा।



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ekanaathajeekee akrodha- pareekshaa

paithanamen kuchh dushtonne milakar ghoshana kee ki 'jo koee ekanaath mahaaraajako krodh dila dega, use do sau rupaye inaam diya jaayagaa.' ek braahman yuvakane beeda़a uthaayaa. vah doosare din praatah kaal ekanaathajeeke ghar pahunchaa. us samay ekanaathajee pooja kar rahe the. vah bina haatha-pair dhoye aur bina kiseese poochhe-jaanche seedha poojaagharamen jaakar unakee godamen ja baithaa. usane socha tha – aisa karanepar ekanaathajeeko jaroor krodh hoga, parantu unhonne hansakar kahaa- 'bhaiyaa! tumhen dekhakar mujhe bada़a aanand huaa. milate to bahuta-se log hain, parantu tumhaara prem to vilakshan hai.' vah dekhata hee rah gayaa. usane socha ki inako krodh dilaana to bahut kathin hai, par use do sau rupayeka lobh tha, isase phir doosareebaar cheshta karaneka vichaar kiyaa. bhojanake samay usaka aasan ekanaathajeeke paas hee lagaaya gayaa. bhojan parosa gayaa. ghee parosane ke liye ekanaathajeekee patnee girijaabaaee aayeen. unhonne jyon hee jhukakar braahmanakee daalamen ghee parosana chaaha, tyon hee vah lapakakar unakee peethaka chadha़ gayaa. ekanaathajeene patneese kahaa-'dekhana, braahman kaheen gir n pada़e.' girijaabaaee bhee ekanaathajeekee hon dharmapatnee theen. unhonne musakaraate hue kaha – 'koee darakee baat naheen hai, mujhe hari (ekanaathajeeke putraka naam thaa) ko peethapar laade kaam karaneka abhyaas hai. is bachcheko main kaise girane doongee ?' yah dekha-sunakar to braahmanakee saaree aasha toot gayee. vah ludha़kakar ekanaathajeeke | charanonmen gir pada़a aur kshama maangane lagaa.

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