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ईश्वरके साथ  [Short Story]
Shikshaprad Kahani - Story To Read (Spiritual Story)

संत खैयास अपने शिष्यके साथ वनमें जा रहे थे। नमाजका समय हुआ और झरनेके पानीसे 'वजू' करके दोनोंने चद्दर बिछायी, नमाज पढ़ने खड़े हुए। इतनेमें पास ही कहींसे सिंहने गर्जना की। शिष्यके तो प्राण सूख गये। वह भागकर पासके वृक्षपर चढ़ गया और वहाँ भी थर-थर काँप रहा था।

सिंह आया और चला गया। खैयासकी ओर उसने देखातक नहीं और खैयासको ही कहाँ फुरसत थी कि सिंहकी ओर देखते। वे नमाज पढ़ रहे थे, चुपचापनमाज पढ़ते रहे। सिंहके चले जानेपर शिष्य भी पेड़से उतरा और उसने भी नमाज पढ़ी।

नमाज पूरी हुई। दोनोंने चद्दर उठायी और रास्ता पकड़ा। अचानक एक मच्छरने खैयासकी नाकपर बैठकर काटा। खैयास चीख उठे। शिष्य बोला- 'सिंह पाससे चला गया, तब तो आपने उसकी ओर देखातक नहीं और अब नन्हे से मच्छरके काटनेसे चीख रहे हैं ?' खैयास बोले- ' भाई ! उस समय मैं खुदाके साथ था और इस समय मनुष्यके (तेरे) साथ हूँ।' –सु0 सिं0



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eeshvarake saatha

sant khaiyaas apane shishyake saath vanamen ja rahe the. namaajaka samay hua aur jharaneke paaneese 'vajoo' karake dononne chaddar bichhaayee, namaaj padha़ne khada़e hue. itanemen paas hee kaheense sinhane garjana kee. shishyake to praan sookh gaye. vah bhaagakar paasake vrikshapar chadha़ gaya aur vahaan bhee thara-thar kaanp raha thaa.

sinh aaya aur chala gayaa. khaiyaasakee or usane dekhaatak naheen aur khaiyaasako hee kahaan phurasat thee ki sinhakee or dekhate. ve namaaj padha़ rahe the, chupachaapanamaaj padha़te rahe. sinhake chale jaanepar shishy bhee peda़se utara aur usane bhee namaaj padha़ee.

namaaj pooree huee. dononne chaddar uthaayee aur raasta pakada़aa. achaanak ek machchharane khaiyaasakee naakapar baithakar kaataa. khaiyaas cheekh uthe. shishy bolaa- 'sinh paasase chala gaya, tab to aapane usakee or dekhaatak naheen aur ab nanhe se machchharake kaatanese cheekh rahe hain ?' khaiyaas bole- ' bhaaee ! us samay main khudaake saath tha aur is samay manushyake (tere) saath hoon.' –su0 sin0

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तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
रंग डालो ना बीच बाजार
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होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
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चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
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किशोरी तेरे चरणन में, महारानी तेरे
सुबह सवेरे  लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु,
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
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बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
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