⮪ All Stories / कथा / कहानियाँ

सच्चे सुखका बोध  [आध्यात्मिक कथा]
Shikshaprad Kahani - छोटी सी कहानी (Shikshaprad Kahani)

उसके केश और वस्त्र भीगे हुए थे। मुखपर बड़ी उदासी और मनमें अत्यन्त खिलता थी। उसके में जिज्ञासाका चित्र था और होठोंपर कोई अत्यन्त निगूढ़ प्रश्न था।

'तुम्हारी ऐसी असाधारण सी स्थिति से आश्चर्य होता है' भगवान् बुद्धने मृगारमाता विशाखासे पूछा। वह अभिवादन करके उनके निकट बैठ गयी।

'इसमें आश्चर्यकी क्या बात है, भन्ते। मेरे पौत्रका देहान्त हो गया है, इसलिये मृतके प्रति यह शोक आचरण है।' विशाखाने भगवान्‌के चरणोंमें निवेदन किया, वह स्वस्थ दीख पड़ी।

'विशाखे ! श्रावस्तीमें इस समय जितने तुम उतने पुत्र-पौत्रकी इच्छा करती हो ?' भगवान्के मनुष्य हैं, प्रश्नसे श्रावस्तीके पूर्वाराम विहारका कण-कण चकित हो उठा।

'हाँ, भन्ते!' विशाखाका उत्तर था। 'श्रावस्ती में नित्य कितने मनुष्य मरते होंगे ?' तथागतका दूसरा प्रश्न था ।

'प्रतिदिन कम-से-कम दस मरते हैं। किसी किसी दिन तो संख्या एकतक ही सीमित रहती है। पर कभी नागा नहीं हो पाता।' विशाखा इस प्रकारके प्रश्नोत्तरसे विस्मित थी।'तो क्या किसी दिन बिना भीगे केश और वस्त्रके भी तुम रह सकती हो ?' शाक्यमुनिका तीसरा प्रश्न था ।

'नहीं, भन्ते! केवल उस दिन भीगे केश और भीगे वस्त्रकी आवश्यकता है, जिस दिन मेरे पुत्र पौत्रका देहावसान होगा।' विशाखाका अङ्ग-प्रत्यङ्ग रोमाञ्चित हो उठा।

'इसलिये यह स्पष्ट हो गया कि जिसके सौ प्रिय – अपने (सम्बन्धी) हैं, सौ दुःख होते हैं उसे; जिसका एक प्रिय – अपना होता है, उसे केवल एक दुःख होता है। जिसका एक भी प्रिय – अपना नहीं है, | उसके लिये जगत्में कहीं भी दुःख नहीं है, वह सुखका बोध पाता है, सुखस्वरूप हो जाता है।' भगवान्ने दुःख सुखका विवेचन किया।

'मैं भूलमें थी, भन्ते! मुझे आत्मप्रकाश मिल गया।' विशाखाने शास्ताकी प्रसन्नता प्राप्त की। 'जगत्‌में सुखी होनेका एकमात्र उपाय यह है कि किसीको भी प्रिय (अपना) न माने, ममता न करे, अशोक और विरज (रागरहित) होना चाहे तो कहीं भी सम्बन्ध न स्वीकार करे।' तथागतने धर्मकथासे विशाखाको समुत्तेजित (जाग्रत्) किया। उसने सच्चे सुखका बोध पाया। रा0 श्री0 (बुद्धचर्या)



You may also like these:

हिन्दी कहानी अंधा हो गया
आध्यात्मिक कहानी अत्यधिक कल्याणकर
हिन्दी कहानी अद्भुत क्षमा
आध्यात्मिक कहानी अन्यायका परिमार्जन
हिन्दी कथा अपनी खोज
आध्यात्मिक कहानी अभीसे अभ्यास होना अच्छा
हिन्दी कहानी अम्बादासका कल्याण


sachche sukhaka bodha

usake kesh aur vastr bheege hue the. mukhapar bada़ee udaasee aur manamen atyant khilata thee. usake men jijnaasaaka chitr tha aur hothonpar koee atyant nigoodha़ prashn thaa.

'tumhaaree aisee asaadhaaran see sthiti se aashchary hota hai' bhagavaan buddhane mrigaaramaata vishaakhaase poochhaa. vah abhivaadan karake unake nikat baith gayee.

'isamen aashcharyakee kya baat hai, bhante. mere pautraka dehaant ho gaya hai, isaliye mritake prati yah shok aacharan hai.' vishaakhaane bhagavaan‌ke charanonmen nivedan kiya, vah svasth deekh pada़ee.

'vishaakhe ! shraavasteemen is samay jitane tum utane putra-pautrakee ichchha karatee ho ?' bhagavaanke manushy hain, prashnase shraavasteeke poorvaaraam vihaaraka kana-kan chakit ho uthaa.

'haan, bhante!' vishaakhaaka uttar thaa. 'shraavastee men nity kitane manushy marate honge ?' tathaagataka doosara prashn tha .

'pratidin kama-se-kam das marate hain. kisee kisee din to sankhya ekatak hee seemit rahatee hai. par kabhee naaga naheen ho paataa.' vishaakha is prakaarake prashnottarase vismit thee.'to kya kisee din bina bheege kesh aur vastrake bhee tum rah sakatee ho ?' shaakyamunika teesara prashn tha .

'naheen, bhante! keval us din bheege kesh aur bheege vastrakee aavashyakata hai, jis din mere putr pautraka dehaavasaan hogaa.' vishaakhaaka anga-pratyang romaanchit ho uthaa.

'isaliye yah spasht ho gaya ki jisake sau priy – apane (sambandhee) hain, sau duhkh hote hain use; jisaka ek priy – apana hota hai, use keval ek duhkh hota hai. jisaka ek bhee priy – apana naheen hai, | usake liye jagatmen kaheen bhee duhkh naheen hai, vah sukhaka bodh paata hai, sukhasvaroop ho jaata hai.' bhagavaanne duhkh sukhaka vivechan kiyaa.

'main bhoolamen thee, bhante! mujhe aatmaprakaash mil gayaa.' vishaakhaane shaastaakee prasannata praapt kee. 'jagat‌men sukhee honeka ekamaatr upaay yah hai ki kiseeko bhee priy (apanaa) n maane, mamata n kare, ashok aur viraj (raagarahita) hona chaahe to kaheen bhee sambandh n sveekaar kare.' tathaagatane dharmakathaase vishaakhaako samuttejit (jaagrat) kiyaa. usane sachche sukhaka bodh paayaa. raa0 shree0 (buddhacharyaa)

145 Views





Bhajan Lyrics View All

इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे ॥
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
राधा कट दी है गलिआं दे मोड़ आज मेरे
श्याम ने आना घनश्याम ने आना
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला

New Bhajan Lyrics View All

तेरे हाथों का, खिलौना हूँ मैं साँवरा,
जैसे मर्ज़ी तूँ, मुझको नचाए जा
होया खुशियाँ दा आज वे माहोल,
नचणा ज़रुर चाहिदा,
चाहे राम भजो चाहे श्याम,
नाम दोनों हितकारी है,
भज राधे गोविंदा रे पगले,
भज राधे गोविंदा रे,
श्यामा वे बंसी वालिया मैं तेरे बिन ना
श्यामा वे कुण्डलां वालिया मैं तेरे