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धन ही तो बाधा है  [Moral Story]
आध्यात्मिक कथा - हिन्दी कथा (हिन्दी कहानी)

धन ही तो बाधा है

गोपाल्लव नामक सेठ हर समय धनार्जनके जुगाड़में लगा रहता था। जैसे-जैसे धन-सम्पत्ति बढ़ती जाती थी, उसकी आकांक्षाएँ - इच्छाएँ भी बढ़तीं। उसने धनको परोपकार एवं धर्मकार्योंमें कभी खर्च नहीं किया। न कभी भगवान्की भक्ति एवं सत्संगमें रुचि रही। नगरके लोग धनके प्रति अत्यधिक आसक्ति देखकर उसे 'धन पिशाच' कहने लगे थे।
भोग-विलास एवं ऐश्वर्यने गोपाल्लवको अनेक शारीरिक बीमारियोंसे ग्रस्त कर दिया। असाध्य रोगसे ग्रस्त होनेपर वह सोचने लगा कि तूने कभी अच्छा कर्म नहीं किया। भगवान्की पूजा-उपासना नहीं की। अन्तिम समयमें असीमित धनका क्या होगा? इसी चिन्तामें शय्यापर लेटे सेठको किसीके मधुर कण्ठसे भगवान्‌के भजन गानेकी ध्वनि सुनायी दी। भजनमें कहा गया था कि मरते समय न बेटे-पोते साथ देते हैं, न धन-सम्पत्ति साथ जाती है। केवल भगवान्की भक्ति एवं सत्कर्म ही कल्याण करते हैं। सेठने सेवकसे कहा-'बाहर बैठकर भजन गानेवालेको मकानके अन्दर बुला लाओ।'
उसने कहा- 'वह कोई संगीतकार नहीं है। मोची है, वह जूते गाँठते मस्तीमें भगवान्‌की प्रशस्तिमें गीत गाता है।'
'कोई बात नहीं, उसे ही अन्दर ले आओ।'
'अच्छी बात है।'
इस प्रकार सेठने उसे आदरसहित अन्दर बुलवाया, विनम्रताके साथ उसे स्वर्णमुद्रा देते हुए कहा-' -'तुम्हारे मधुर कण्ठसे गाये गये गीतने मुझे बहुत शान्ति प्रदान की है। कल फिर आकर गीत सुनाना। इनाम दूँगा।' तीन दिन बाद मोची सेठके पास आया। स्वर्णमुद्रा | लौटाते हुए कहा- 'इस स्वर्णमुद्राकी रक्षाकी चिन्तामें मैं भगवान्‌के भजन एवं मस्तीसे विमुख हो गया। सम्पत्ति एवं धनके रहते वह अनूठा आनन्द मिलना असम्भव है।'
मोचीके शब्दोंने सेठ गोपाल्लवका विवेक जगा दिया। उसने अपनी तमाम सम्पत्ति गरीबोंमें वितरित कर दी तथा भगवान्की भक्तिमें लग गया और तब उसका शरीर भी नीरोग हो गया। [ श्रीशिवकुमारजी गोयल ]



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dhan hee to baadha hai

dhan hee to baadha hai

gopaallav naamak seth har samay dhanaarjanake jugaada़men laga rahata thaa. jaise-jaise dhana-sampatti badha़tee jaatee thee, usakee aakaankshaaen - ichchhaaen bhee badha़teen. usane dhanako paropakaar evan dharmakaaryonmen kabhee kharch naheen kiyaa. n kabhee bhagavaankee bhakti evan satsangamen ruchi rahee. nagarake log dhanake prati atyadhik aasakti dekhakar use 'dhan pishaacha' kahane lage the.
bhoga-vilaas evan aishvaryane gopaallavako anek shaareerik beemaariyonse grast kar diyaa. asaadhy rogase grast honepar vah sochane laga ki toone kabhee achchha karm naheen kiyaa. bhagavaankee poojaa-upaasana naheen kee. antim samayamen aseemit dhanaka kya hogaa? isee chintaamen shayyaapar lete sethako kiseeke madhur kanthase bhagavaan‌ke bhajan gaanekee dhvani sunaayee dee. bhajanamen kaha gaya tha ki marate samay n bete-pote saath dete hain, n dhana-sampatti saath jaatee hai. keval bhagavaankee bhakti evan satkarm hee kalyaan karate hain. sethane sevakase kahaa-'baahar baithakar bhajan gaanevaaleko makaanake andar bula laao.'
usane kahaa- 'vah koee sangeetakaar naheen hai. mochee hai, vah joote gaanthate masteemen bhagavaan‌kee prashastimen geet gaata hai.'
'koee baat naheen, use hee andar le aao.'
'achchhee baat hai.'
is prakaar sethane use aadarasahit andar bulavaaya, vinamrataake saath use svarnamudra dete hue kahaa-' -'tumhaare madhur kanthase gaaye gaye geetane mujhe bahut shaanti pradaan kee hai. kal phir aakar geet sunaanaa. inaam doongaa.' teen din baad mochee sethake paas aayaa. svarnamudra | lautaate hue kahaa- 'is svarnamudraakee rakshaakee chintaamen main bhagavaan‌ke bhajan evan masteese vimukh ho gayaa. sampatti evan dhanake rahate vah anootha aanand milana asambhav hai.'
mocheeke shabdonne seth gopaallavaka vivek jaga diyaa. usane apanee tamaam sampatti gareebonmen vitarit kar dee tatha bhagavaankee bhaktimen lag gaya aur tab usaka shareer bhee neerog ho gayaa. [ shreeshivakumaarajee goyal ]

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