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नया मुखिया  [छोटी सी कहानी]
Spiritual Story - Short Story (प्रेरक कहानी)

नया मुखिया

किसी गाँवमें एक बड़े अनुभवी मुखिया थे। वे गाँवकी भलाई चाहते थे और गाँव उनकी हर बात मानता था। मुखियाने कभी किसीके साथ अन्याय किया ही नहीं। दीन-दुखियोंके वे सच्चे सहायक थे। गाँव अपनी एकता और सुख-समृद्धिके कारण सारी तहसील में मशहूर हो गया।

लेकिन अब मुखिया बूढ़े हो गये । उनको चिन्ताहुई कि अपने बाद मैं इस गाँवका मुखियापन किसेसाँपूँगा? गाँवके तीन नौजवान उनके ध्यानमें थे।
एक दिन मुखियाने नौजवानोंको सूर्यास्तके बाद उस जगह मिलनेके लिये बुलाया, जहाँ गाँवका एक नाला बांधा जा रहा था।
तीनों नौजवान नालेके पास पहुँचे। मुखिया कहीं दिखायी नहीं पड़े। तीनों लौटने लगे। इतनेमें उन्होंने देखा कि नालेके दलदलमें एक गाड़ीवानकी गाड़ी फँस गयी है और वह अकेला ही गाड़ीको दलदलसे बाहर निकालने की कोशिश कर रहा है। अँधेरा होनेको था। गाड़ीवानने उन नौजवानोंको देखा और मददपर आनेके लिये पुकारा। नौजवान आपसमें कहने लगे कि कीचड़ जायेंगे, तो हमारे कपड़े गन्दे हो जायेंगे। एक बोला- 'मुझे बहुत जरूरी काम है; मैं जाता हूँ।' दूसरेने कहा- 'घरपर पिताजी मेरी बाट जोह रहे होंगे, मैं तो घर जाऊँगा।' यों कहकर दोनों चले गये।
तीसरे नौजवानने सोचा, अगर मैंने इस गाड़ीवानकी मदद न की तो और कौन करेगा? उसने अपनी धोती कसी और कीचड़में चलकर गाड़ीके पास पहुँचा। नौजवानने गाड़ीके पहियोंको ढकेलने में मदद की। कुछ ही देरमें गाड़ी दलदलके बाहर निकल आयी। वह गाड़ीवान और कोई नहीं, गाँवके मुखिया ही थे। उन्होंने मुँहपर ढाटा बाँध रखा था और गाँवमें किसीको खयाल भी नहीं था कि वे इस तरह गाड़ी लेकर निकलेंगे।
मुखियाने उस नौजवानकी पीठ ठोंकी और कहा कि तुम मेरी परीक्षामें पास हुए। उस दिन गाँवके लिये एक नया मुखिया मिल गया। जब गाँवोंमें ऐसे नौजवानोंकी संख्या बढ़ेगी, तभी गाँव उठकर खड़े हो सकेंगे।



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naya mukhiyaa

naya mukhiyaa

kisee gaanvamen ek bada़e anubhavee mukhiya the. ve gaanvakee bhalaaee chaahate the aur gaanv unakee har baat maanata thaa. mukhiyaane kabhee kiseeke saath anyaay kiya hee naheen. deena-dukhiyonke ve sachche sahaayak the. gaanv apanee ekata aur sukha-samriddhike kaaran saaree tahaseel men mashahoor ho gayaa.

lekin ab mukhiya boodha़e ho gaye . unako chintaahuee ki apane baad main is gaanvaka mukhiyaapan kisesaanpoongaa? gaanvake teen naujavaan unake dhyaanamen the.
ek din mukhiyaane naujavaanonko sooryaastake baad us jagah milaneke liye bulaaya, jahaan gaanvaka ek naala baandha ja raha thaa.
teenon naujavaan naaleke paas pahunche. mukhiya kaheen dikhaayee naheen pada़e. teenon lautane lage. itanemen unhonne dekha ki naaleke daladalamen ek gaada़eevaanakee gaada़ee phans gayee hai aur vah akela hee gaada़eeko daladalase baahar nikaalane kee koshish kar raha hai. andhera honeko thaa. gaaड़eevaanane un naujavaanonko dekha aur madadapar aaneke liye pukaaraa. naujavaan aapasamen kahane lage ki keechada़ jaayenge, to hamaare kapada़e gande ho jaayenge. ek bolaa- 'mujhe bahut jarooree kaam hai; main jaata hoon.' doosarene kahaa- 'gharapar pitaajee meree baat joh rahe honge, main to ghar jaaoongaa.' yon kahakar donon chale gaye.
teesare naujavaanane socha, agar mainne is gaada़eevaanakee madad n kee to aur kaun karegaa? usane apanee dhotee kasee aur keechada़men chalakar gaada़eeke paas pahunchaa. naujavaanane gaada़eeke pahiyonko dhakelane men madad kee. kuchh hee deramen gaada़ee daladalake baahar nikal aayee. vah gaada़eevaan aur koee naheen, gaanvake mukhiya hee the. unhonne munhapar dhaata baandh rakha tha aur gaanvamen kiseeko khayaal bhee naheen tha ki ve is tarah gaada़ee lekar nikalenge.
mukhiyaane us naujavaanakee peeth thonkee aur kaha ki tum meree pareekshaamen paas hue. us din gaanvake liye ek naya mukhiya mil gayaa. jab gaanvonmen aise naujavaanonkee sankhya badha़egee, tabhee gaanv uthakar khada़e ho sakenge.

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