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गुरुप्राप्ति  [हिन्दी कथा]
हिन्दी कथा - प्रेरक कथा (Shikshaprad Kahani)

मधुर कवि तिरुक्कोलूर नामक स्थानमें एक सामवेदी ब्राह्मणके यहाँ उत्पन्न हुए थे। ये वेदके अच्छे ज्ञाता थे; किंतु इन्होंने सोचा कि भगवान्की भक्तिके बिना वेदके ज्ञानका कोई मूल्य नहीं। इन्हें भगवान्‌की प्राप्तिकी तीव्र अभिलाषा थी। एक दिन ये गङ्गातटपर घूम रहे थे कि दक्षिणकी ओर इन्हें प्रकाश दिखायी दिया। यह प्रकाश इन्हें तीन दिनोंतक दीखा। इस प्रकाशसे प्रभावित होकर ये खिंचे-खिंचे उसी ओर चलते गये। पूछनेपर पता चला कि आगे एक योगी रहते हैं। ये वहाँ गये। प्राचीन मन्दिरके समीप इमलीके कोटरमें समाधिस्थ योगीके इन्हें दर्शन हुए। इन्होंने उनके उपदेशके लिये प्रतीक्षा की, पर योगीकी समाधि नहीं खुली। आवाज दी, तालीबजायी; पर कोई उत्तर नहीं मिला। मन्दिरकी दीवालपर पत्थर मारा, पर महात्मापर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। विवशतः मधुर कविने साहस किया और कोटरके समीप जाकर बोले- 'महाराज ! मैं आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता था। यदि सत्-पदार्थ- (सूक्ष्म चेतन शक्ति) असत् (जड प्रकृति) के अंदर ही आविर्भूत हो जाय तो वह क्या खायेगा और कहाँ विश्राम करेगा ?' योगीने अब उत्तर दिया- ' वह उसीको खायेगा और वहींपर विश्राम करेगा।' मधुर कविने अपने गुरुको पहचान लिया, जिनकी वे इतने दिनोंसे खोज कर रहे थे। वे इस असत्-शरीरके अंदर सत् (परमात्मा) - के रूपमें विद्यमान थे। शि0 दु0



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gurupraapti

madhur kavi tirukkoloor naamak sthaanamen ek saamavedee braahmanake yahaan utpann hue the. ye vedake achchhe jnaata the; kintu inhonne socha ki bhagavaankee bhaktike bina vedake jnaanaka koee mooly naheen. inhen bhagavaan‌kee praaptikee teevr abhilaasha thee. ek din ye gangaatatapar ghoom rahe the ki dakshinakee or inhen prakaash dikhaayee diyaa. yah prakaash inhen teen dinontak deekhaa. is prakaashase prabhaavit hokar ye khinche-khinche usee or chalate gaye. poochhanepar pata chala ki aage ek yogee rahate hain. ye vahaan gaye. praacheen mandirake sameep imaleeke kotaramen samaadhisth yogeeke inhen darshan hue. inhonne unake upadeshake liye prateeksha kee, par yogeekee samaadhi naheen khulee. aavaaj dee, taaleebajaayee; par koee uttar naheen milaa. mandirakee deevaalapar patthar maara, par mahaatmaapar koee prabhaav naheen pada़aa. vivashatah madhur kavine saahas kiya aur kotarake sameep jaakar bole- 'mahaaraaj ! main aapase ek prashn poochhana chaahata thaa. yadi sat-padaartha- (sookshm chetan shakti) asat (jad prakriti) ke andar hee aavirbhoot ho jaay to vah kya khaayega aur kahaan vishraam karega ?' yogeene ab uttar diyaa- ' vah useeko khaayega aur vaheenpar vishraam karegaa.' madhur kavine apane guruko pahachaan liya, jinakee ve itane dinonse khoj kar rahe the. ve is asat-shareerake andar sat (paramaatmaa) - ke roopamen vidyamaan the. shi0 du0

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वृन्दावन के बांके बिहारी,
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आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
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यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
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अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
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तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे ॥
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
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