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श्रीधर स्वामीका संन्यास  [हिन्दी कथा]
आध्यात्मिक कथा - आध्यात्मिक कथा (Hindi Story)

परम भागवत श्रीधर स्वामी पूर्वाश्रममें दिग्विजयी पण्डित थे। एक समय वे दिग्विजय करके घर लौट रहे थे। रास्तेमें डाकुओंने आपको घेर लिया। तब वे आँखें मूँदकर मन-ही-मन अपने इष्टदेव भगवान् श्रीरामचन्द्रका स्मरण करने लगे। उसी क्षण डाकुओंको दिखायी दिया कि एक नवदूर्वादलश्याम तेजस्वी तरुण धनुष-बाण लिये ललकार रहा है। डाकू डर गये और उन्होंने श्रीधरजीके चरणोंपर गिरकर दीन भावसेकातर प्रार्थना की- 'महाराज ! आपके साथी ये श्यामसुन्दर युवक हमें बाणोंसे मार डालना चाहते हैं- बचाइये, बचाइये।' यह सुनकर श्रीधरजी मन-ही-मन बड़े दुःखी हुए और उन्होंने सोचा कि तुच्छ धनकी रक्षाके लिये मेरे प्रभुको कितना कष्ट सहना पड़ रहा है। उन्हें वैराग्य हो गया और वे उसी क्षण संसार छोड़कर काशी चले गये और वहाँ श्रीपरमानन्द स्वामीजीसे संन्यास लेकर श्रीनृसिंह- मन्त्रकी दीक्षा प्राप्त की।



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shreedhar svaameeka sannyaasa

param bhaagavat shreedhar svaamee poorvaashramamen digvijayee pandit the. ek samay ve digvijay karake ghar laut rahe the. raastemen daakuonne aapako gher liyaa. tab ve aankhen moondakar mana-hee-man apane ishtadev bhagavaan shreeraamachandraka smaran karane lage. usee kshan daakuonko dikhaayee diya ki ek navadoorvaadalashyaam tejasvee tarun dhanusha-baan liye lalakaar raha hai. daakoo dar gaye aur unhonne shreedharajeeke charanonpar girakar deen bhaavasekaatar praarthana kee- 'mahaaraaj ! aapake saathee ye shyaamasundar yuvak hamen baanonse maar daalana chaahate hain- bachaaiye, bachaaiye.' yah sunakar shreedharajee mana-hee-man bada़e duhkhee hue aur unhonne socha ki tuchchh dhanakee rakshaake liye mere prabhuko kitana kasht sahana pada़ raha hai. unhen vairaagy ho gaya aur ve usee kshan sansaar chhoda़kar kaashee chale gaye aur vahaan shreeparamaanand svaameejeese sannyaas lekar shreenrisinha- mantrakee deeksha praapt kee.

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