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भद्र महिलाका स्वच्छन्द घूमना उचित नहीं  [Story To Read]
प्रेरक कथा - प्रेरक कहानी (Wisdom Story)

चार सौ वर्ष पहलेकी बात है। यूनानमें सरेनस नामके एक धनी व्यक्ति रहते थे। वे एक विशाल राज्यके अधिपति थे। सदा सगे-सम्बन्धियों और मित्रोंसे घिरे रहते थे। विषय-भोगमें बड़े सुखसे जीवन बीतता था, पर एक समय सहसा उनके मनमें वैराग्य उमड़ आया । जगत्की वस्तुओं और सम्बन्धोंके प्रति उनकी रुचि घटने लगी। उन्होंने दूर देशमें जाकर एकान्त सेवन करनेका निश्चय किया; एक तपस्वीकी तरह ब्रह्मचर्यव्रतका पालन करते हुए परमात्माके निष्काम भजन और चिन्तनमें ही समयका सदुपयोग करना उन्हें अच्छा लगा। उनके वैराग्यपूर्ण जीवनमें सहज सरलताकी स्वच्छ निर्मल निर्झरिणी प्रवाहित हो उठी।

सरेनसने हंगेरीमें आकर सरमियम नामके स्थानमें एक बगीचा खरीदा। अपने कड़े परिश्रमसे उन्होंने बगीचेको हरा-भरा कर दिया। बगीचेके फल आदिसे निर्वाह करके वे संसारसे पूर्ण तटस्थ होकर भगवान्केभजनानन्द-सागरमें निमग्न हो गये। उनका निवास स्थान सात्त्विक नीरवता और पवित्र सादगीसे सम्पन्न हो उठा।। लोक प्रसिद्धि उस स्थानसे कोसों दूर थी।

एक दिन दोपहर को अपनी दो कन्याओंके साथ | एक महिलाने बगीचेमें प्रवेश किया।

'तुम्हें यहाँ किसकी खोज है ?' सरेनसने अपनी कुटीसे बाहर निकलकर प्रश्न किया। "मुझे इस बगीचे में घूमने में विशेष आनन्द मिलता है।' महिलाके शब्द थे।

पर तुम्हारी ऐसी उच्च कुल और शिष्ट घरानेकी महिलाका इस समय बाहर - बगीचेमें स्वच्छन्द घूमना कदापि उचित नहीं कहा जा सकता; इस समय तो तुम्हें घरपर ही आराम करना चाहिये। ऐसा लगता है कि आनेका कारण कुछ और है। मेरी सम्मति है कि. में तुम्हें अपने समय और परित्रके प्रति विशेष सावधान रहना चाहिये।' सरेनसने उसे घर लौट जानेका आदेश दिया। उनके शब्दोंने महिलाके कोमल हृदयपर बड़ी चोट पहुँचायी। उसे अपनी अवहेलनापर बड़ा दुःख हुआ। उसने बदला लेनेका निश्चय किया। उसका पति सम्राट् मैक्सीमियनका अङ्गरक्षक था।

महिला पत्रद्वारा अपमानको सूचना दी।

'दूर देशमें हमलोग आपकी सेवामें नियुक्त हैं, घरपर हमारी पक्षियोंकी लोग थोड़ी-थोड़ी सी बात में अवज्ञा करते हैं।' पतिने न्यायालय में सम्राट के सामने आवेदन उपस्थित किया।

सन्नाट्ने सरमियम प्रान्तके अध्यक्षके नामसे एक लिखित संदेश दिया, अङ्गरक्षक पत्र लेकर अध्यक्षको सेवामें उपस्थित हुआ।

'सम्राट्का पवित्र आदेश है कि मेरी (उनके अङ्गरक्षककी) अनुपस्थितिमें मेरी स्त्रीके प्रति किये गये अपमानका पूरा-पूरा बदला लिया जाय।' महिलाके| पतिने आवेशमें कहा।

पर वह अशिष्ट है कौन, जिसने आप-जैसे सज्जनकी पत्नीका अपमान किया ?' अध्यक्षने विस्मित | होकर कहा।

"वह तो एक वज्र दिहाती है, सरेनस नामका एकमूर्ख माली है।' अङ्गरक्षकने अपराधीका परिचय दिया। सरेनसको तत्काल न्यायालय में उपस्थित होना पड़ा।

"यह सरेनस है।'

'तुम क्या करते हो ?' अध्यक्षका प्रश्न था।

'मैं एक माली हूँ।' सरेनसने उत्तर दिया।

"तुमने सम्राट्के अङ्गरक्षककी पत्नीको अपमानित करनेका दुःसाहस क्यों किया?' न्यायालयका दूसरा प्रश्न था।

'मैं समझता हूँ कि मैंने जीवनमें आजतक किसी की भी पत्नीका अपमान नहीं किया है।' सरेनसके उत्तरमें निष्कपट सरलता थी।

"सम्राट् अङ्गरक्षककी पत्नीको अवहेलना और अपमान करनेवालेको दण्ड देनेके पहले गवाहोंका न्यायालय में उपस्थित होना आवश्यक है; यह प्रमाणित हो जायगा कि अपराधीने अपने बगीचेमें एक शिष्ट महिलाको किस प्रकार अपमानित किया था।' अध्यक्षने आदेश दिया।

सरेनसके मस्तिष्कमें बगीचेवाली घटना नाच उठी। सारा का सारा चित्र आँखोंके सामने घूमने लगा।

'हाँ, मुझे स्मरण है, एक दिन कुसमयमें एक शिष्ट महिला अपनी दो कन्याओंके साथ मेरे बगीचेमें घूमने आयी थी मैंने उससे निर्भयतापूर्वक कहा था कि तुम्हारा इस समय आना कदापि उचित नहीं है। तुम घर चली जाओ। मुझे उसकी नीयतमें कुछ संदेह हुआ, इसीलिये विवश होकर सावधान करना पड़ा।' सरेनसने समाधान किया।

इस सद्भावपूर्ण उदारसे महिलाका पति बिस्मित हो उठा। मालीके साधारण वेषमें उसने महान् संतका दर्शन किया। उसका सिर लज्जासे नत हो गया।

'मैं आपके उपकारका बदला नहीं चुका सकता।' उसने संतका सविनय अभिवादन किया।

संत सरेनसके नेत्रोंसे मृदुल सादगी टपक रही थी; अधरोंपर दिव्य मुसकान थी। सम्राट्का अङ्गरक्षक न्यायालयके बाहर चला गया।

-रा0 श्री0



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bhadr mahilaaka svachchhand ghoomana uchit naheen

chaar sau varsh pahalekee baat hai. yoonaanamen sarenas naamake ek dhanee vyakti rahate the. ve ek vishaal raajyake adhipati the. sada sage-sambandhiyon aur mitronse ghire rahate the. vishaya-bhogamen bada़e sukhase jeevan beetata tha, par ek samay sahasa unake manamen vairaagy umada़ aaya . jagatkee vastuon aur sambandhonke prati unakee ruchi ghatane lagee. unhonne door deshamen jaakar ekaant sevan karaneka nishchay kiyaa; ek tapasveekee tarah brahmacharyavrataka paalan karate hue paramaatmaake nishkaam bhajan aur chintanamen hee samayaka sadupayog karana unhen achchha lagaa. unake vairaagyapoorn jeevanamen sahaj saralataakee svachchh nirmal nirjharinee pravaahit ho uthee.

sarenasane hangereemen aakar saramiyam naamake sthaanamen ek bageecha khareedaa. apane kada़e parishramase unhonne bageecheko haraa-bhara kar diyaa. bageecheke phal aadise nirvaah karake ve sansaarase poorn tatasth hokar bhagavaankebhajanaananda-saagaramen nimagn ho gaye. unaka nivaas sthaan saattvik neeravata aur pavitr saadageese sampann ho uthaa.. lok prasiddhi us sthaanase koson door thee.

ek din dopahar ko apanee do kanyaaonke saath | ek mahilaane bageechemen pravesh kiyaa.

'tumhen yahaan kisakee khoj hai ?' sarenasane apanee kuteese baahar nikalakar prashn kiyaa. "mujhe is bageeche men ghoomane men vishesh aanand milata hai.' mahilaake shabd the.

par tumhaaree aisee uchch kul aur shisht gharaanekee mahilaaka is samay baahar - bageechemen svachchhand ghoomana kadaapi uchit naheen kaha ja sakataa; is samay to tumhen gharapar hee aaraam karana chaahiye. aisa lagata hai ki aaneka kaaran kuchh aur hai. meree sammati hai ki. men tumhen apane samay aur paritrake prati vishesh saavadhaan rahana chaahiye.' sarenasane use ghar laut jaaneka aadesh diyaa. unake shabdonne mahilaake komal hridayapar bada़ee chot pahunchaayee. use apanee avahelanaapar baड़a duhkh huaa. usane badala leneka nishchay kiyaa. usaka pati samraat maikseemiyanaka angarakshak thaa.

mahila patradvaara apamaanako soochana dee.

'door deshamen hamalog aapakee sevaamen niyukt hain, gharapar hamaaree pakshiyonkee log thoda़ee-thoda़ee see baat men avajna karate hain.' patine nyaayaalay men samraat ke saamane aavedan upasthit kiyaa.

sannaatne saramiyam praantake adhyakshake naamase ek likhit sandesh diya, angarakshak patr lekar adhyakshako sevaamen upasthit huaa.

'samraatka pavitr aadesh hai ki meree (unake angarakshakakee) anupasthitimen meree streeke prati kiye gaye apamaanaka pooraa-poora badala liya jaaya.' mahilaake| patine aaveshamen kahaa.

par vah ashisht hai kaun, jisane aapa-jaise sajjanakee patneeka apamaan kiya ?' adhyakshane vismit | hokar kahaa.

"vah to ek vajr dihaatee hai, sarenas naamaka ekamoorkh maalee hai.' angarakshakane aparaadheeka parichay diyaa. sarenasako tatkaal nyaayaalay men upasthit hona paड़aa.

"yah sarenas hai.'

'tum kya karate ho ?' adhyakshaka prashn thaa.

'main ek maalee hoon.' sarenasane uttar diyaa.

"tumane samraatke angarakshakakee patneeko apamaanit karaneka duhsaahas kyon kiyaa?' nyaayaalayaka doosara prashn thaa.

'main samajhata hoon ki mainne jeevanamen aajatak kisee kee bhee patneeka apamaan naheen kiya hai.' sarenasake uttaramen nishkapat saralata thee.

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sarenasake mastishkamen bageechevaalee ghatana naach uthee. saara ka saara chitr aankhonke saamane ghoomane lagaa.

'haan, mujhe smaran hai, ek din kusamayamen ek shisht mahila apanee do kanyaaonke saath mere bageechemen ghoomane aayee thee mainne usase nirbhayataapoorvak kaha tha ki tumhaara is samay aana kadaapi uchit naheen hai. tum ghar chalee jaao. mujhe usakee neeyatamen kuchh sandeh hua, iseeliye vivash hokar saavadhaan karana pada़aa.' sarenasane samaadhaan kiyaa.

is sadbhaavapoorn udaarase mahilaaka pati bismit ho uthaa. maaleeke saadhaaran veshamen usane mahaan santaka darshan kiyaa. usaka sir lajjaase nat ho gayaa.

'main aapake upakaaraka badala naheen chuka sakataa.' usane santaka savinay abhivaadan kiyaa.

sant sarenasake netronse mridul saadagee tapak rahee thee; adharonpar divy musakaan thee. samraatka angarakshak nyaayaalayake baahar chala gayaa.

-raa0 shree0

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