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श्वेत नीलकण्ठका रहस्य  [Hindi Story]
आध्यात्मिक कथा - Story To Read (छोटी सी कहानी)

श्वेत नीलकण्ठका रहस्य

एक किसानको विरासत खूब धन-सम्पत्ति मिली। वह दिनभर खाली बैठा हुक्का गुला और गम होता रहता। रिश्तेदार और काम करनेवाले नौकर-चाकर उसके आलस्यका लाभ उठाते और उसके मालपर हाथ साफ करनेमें लगे रहते।
एक दिन उसका पुराना मित्र उससे मिलने आया। यह अव्यवस्था देखकर उसे कष्ट हुआ। उसने किसानको समझानेको कोशिश की, किंतु उसपर कोई असर नहीं हुआ। तब उसने अपने मित्र किसानसे कहा कि वह उसे एक महात्माके पास ले जायगा, जो उसे अमीर होनेके नुसा बतायेंगे। यह सुनकर वह तुरंत अपने मित्रके साथ उन महात्मा के पास जा पहुँचा। महात्माने किसानसे कहा-'हर दिन सूर्योदयसे पहले एक स्वेत नीलकण्ठ खलिहान, गोशाला, घुड़साल और घरमें चक्कर लगाता है और बहुत जल्दी गायब हो जाता है। उस नीलकण्ठके दर्शन तुम्हारी धन-सम्पत्तिको बढ़ानेकी क्षमता रखते हैं।'
अगले दिन किसान खुशी-खुशी सूर्योदयसे पहले उठा और नीलकण्ठको खोजमें सबसे पहले अपने खलिहान में गया। वहाँ उसने देखा कि उसका एक रिश्तेदार अनाजसे बोरा भरकर ले जा रहा है। इसके बाद शीघ्र ही वह गोशाला पहुँचा तो देखा कि उसका नौकरदूधकी भरी बाल्टी चुराकर अपने घर ले जा रहा है। जब वह घुड़साल गया, तो वहाँ बेहद गन्दगी पायी और देखा कि नौकर सो रहा था। अगले दिन भी कुछ ऐसा हो हुआ। किसानके रिश्तेदार और नौकर अब ईमानदारी और फुर्तीसे काम करने लगे, लेकिन उसे श्वेत नीलकण्ठके दर्शन नहीं हुए। उसने महात्मासे जब यह बात कही, तब उन्होंने कहा—'तुम्हें उसके दर्शन तो हो गये, लेकिन तुम उसे पहचान नहीं पाये। यह श्वेत नीलकण्ठ 'कर्तव्य' है।'



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shvet neelakanthaka rahasya

shvet neelakanthaka rahasya

ek kisaanako viraasat khoob dhana-sampatti milee. vah dinabhar khaalee baitha hukka gula aur gam hota rahataa. rishtedaar aur kaam karanevaale naukara-chaakar usake aalasyaka laabh uthaate aur usake maalapar haath saaph karanemen lage rahate.
ek din usaka puraana mitr usase milane aayaa. yah avyavastha dekhakar use kasht huaa. usane kisaanako samajhaaneko koshish kee, kintu usapar koee asar naheen huaa. tab usane apane mitr kisaanase kaha ki vah use ek mahaatmaake paas le jaayaga, jo use ameer honeke nusa bataayenge. yah sunakar vah turant apane mitrake saath un mahaatma ke paas ja pahunchaa. mahaatmaane kisaanase kahaa-'har din sooryodayase pahale ek svet neelakanth khalihaan, goshaala, ghuda़saal aur gharamen chakkar lagaata hai aur bahut jaldee gaayab ho jaata hai. us neelakanthake darshan tumhaaree dhana-sampattiko baढ़aanekee kshamata rakhate hain.'
agale din kisaan khushee-khushee sooryodayase pahale utha aur neelakanthako khojamen sabase pahale apane khalihaan men gayaa. vahaan usane dekha ki usaka ek rishtedaar anaajase bora bharakar le ja raha hai. isake baad sheeghr hee vah goshaala pahuncha to dekha ki usaka naukaradoodhakee bharee baaltee churaakar apane ghar le ja raha hai. jab vah ghuda़saal gaya, to vahaan behad gandagee paayee aur dekha ki naukar so raha thaa. agale din bhee kuchh aisa ho huaa. kisaanake rishtedaar aur naukar ab eemaanadaaree aur phurteese kaam karane lage, lekin use shvet neelakanthake darshan naheen hue. usane mahaatmaase jab yah baat kahee, tab unhonne kahaa—'tumhen usake darshan to ho gaye, lekin tum use pahachaan naheen paaye. yah shvet neelakanth 'kartavya' hai.'

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