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सत्यनिष्ठा (गुरु रामसिंह )  [Short Story]
हिन्दी कथा - हिन्दी कथा (आध्यात्मिक कहानी)

'सत्य ही एकमात्र धर्म है। सत्यको पकड़े रहनेसे सभी धर्मके अङ्ग स्वतः सिद्ध हो जाते हैं। सत्य ही मुक्तिका साधन है।' यह प्रधान उपदेश था कूका सम्प्रदायके संस्थापक गुरु रामसिंहजीका l

एक बार अम्बालामें कसाइयों और हिंदुओंमें झगड़ा हो गया। कसाई एकत्र होकर बहुत-सी गायोंको जुलूस बनाकर वधके लिये ले जा रहे थे। मार्गमें हिंदुओंके लिये यह दृश्य असह्य हो गया। उन्होंने कसाइयोंके हाथसे गायोंको बलपूर्वक छीन लेनेका प्रयत्न किया। बहुत से लोग घायल हुए; किंतु कसाई संख्यामें अधिक थे। हिंदू सफल नहीं हो सके। परंतु उसी रात्रिको कुछ लोग कसाइयोंके घरमें छिपकर घुस गये और उन्होंने उनको मार डाला। फलतः सबेरेसे ही पुलिसनेलोगोंकी धर-पकड़ प्रारम्भ की। ऐसे अवसरोंपर प्रायः जैसा होता है, उस समय भी हुआ। अधिकांश निरपराध लोग पकड़े गये। उनके विरुद्ध झूठी गवाहियाँ पुलिसने तैयार कीं।

गुरु रामसिंहको जब यह समाचार मिला, तब वे बहुत दुःखी हुए। अपने शिष्योंके मध्यमें वे बोले 'हिंदुओंने बहुत कायरतापूर्ण कार्य किया है। उन्हें कसाइयोंको मारना ही था तो सामने ललकारकर लड़ते। अब तो वे और भी पाप कर रहे हैं कि स्वयं छिप गये हैं और निरपराध लोग दण्ड भोग रहे हैं। '

उस समय गुरु रामसिंहकी मंडलीमें एक ऐसा उनका शिष्य भी था जो इस काण्डमें सम्मिलित था। उसने अपना अपराध गुरुके सम्मुख स्वीकार किया।गुरु रामसिंहने पूछा- 'तुम्हारे साथ जो लोग थे, उनमें क्या और कोई भी मेरा शिष्य था ?'

उसने कहा—'नहीं, उनमें और कोई कूका नहीं था।' गुरु रामसिंह - 'तब तुम्हें सरकारी अधिकारियोंके सम्मुख उपस्थित होकर अपना अपराध स्वीकार कर लेना चाहिये। तुम्हारे साथियोंमें कोई मेरा शिष्य होता तो उससे भी मैं यही करनेको कहता। परंतु तुम्हें किसी भी कष्टके भय या प्रलोभनमें पड़कर अपने साथियोंके साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिये। उनका नामबतलाना तुम्हारा कर्तव्य नहीं है। यह उनका कर्तव्य है कि वह अपना अपराध स्वीकार करें।'

गुरुकी आज्ञा मानकर वह व्यक्ति सरकारी अधिकारियोंके सामने उपस्थित हुआ। उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। किंतु उससे किसी प्रकार उसके साथियोंका नाम नहीं पूछा जा सका। उसे अंग्रेजी न्यायने फाँसी दी; किंतु धर्मराजका न्याय उसे पुण्यात्माओंके लोक स्वर्गमें भेजेगा, यह भी क्या संदेह करनेकी बात है ?



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satyanishtha (guru raamasinh )

'saty hee ekamaatr dharm hai. satyako pakada़e rahanese sabhee dharmake ang svatah siddh ho jaate hain. saty hee muktika saadhan hai.' yah pradhaan upadesh tha kooka sampradaayake sansthaapak guru raamasinhajeeka l

ek baar ambaalaamen kasaaiyon aur hinduonmen jhagada़a ho gayaa. kasaaee ekatr hokar bahuta-see gaayonko juloos banaakar vadhake liye le ja rahe the. maargamen hinduonke liye yah drishy asahy ho gayaa. unhonne kasaaiyonke haathase gaayonko balapoorvak chheen leneka prayatn kiyaa. bahut se log ghaayal hue; kintu kasaaee sankhyaamen adhik the. hindoo saphal naheen ho sake. parantu usee raatriko kuchh log kasaaiyonke gharamen chhipakar ghus gaye aur unhonne unako maar daalaa. phalatah saberese hee pulisanelogonkee dhara-pakada़ praarambh kee. aise avasaronpar praayah jaisa hota hai, us samay bhee huaa. adhikaansh niraparaadh log pakada़e gaye. unake viruddh jhoothee gavaahiyaan pulisane taiyaar keen.

guru raamasinhako jab yah samaachaar mila, tab ve bahut duhkhee hue. apane shishyonke madhyamen ve bole 'hinduonne bahut kaayarataapoorn kaary kiya hai. unhen kasaaiyonko maarana hee tha to saamane lalakaarakar lada़te. ab to ve aur bhee paap kar rahe hain ki svayan chhip gaye hain aur niraparaadh log dand bhog rahe hain. '

us samay guru raamasinhakee mandaleemen ek aisa unaka shishy bhee tha jo is kaandamen sammilit thaa. usane apana aparaadh guruke sammukh sveekaar kiyaa.guru raamasinhane poochhaa- 'tumhaare saath jo log the, unamen kya aur koee bhee mera shishy tha ?'

usane kahaa—'naheen, unamen aur koee kooka naheen thaa.' guru raamasinh - 'tab tumhen sarakaaree adhikaariyonke sammukh upasthit hokar apana aparaadh sveekaar kar lena chaahiye. tumhaare saathiyonmen koee mera shishy hota to usase bhee main yahee karaneko kahataa. parantu tumhen kisee bhee kashtake bhay ya pralobhanamen pada़kar apane saathiyonke saath vishvaasaghaat naheen karana chaahiye. unaka naamabatalaana tumhaara kartavy naheen hai. yah unaka kartavy hai ki vah apana aparaadh sveekaar karen.'

gurukee aajna maanakar vah vyakti sarakaaree adhikaariyonke saamane upasthit huaa. usane apana aparaadh sveekaar kar liyaa. kintu usase kisee prakaar usake saathiyonka naam naheen poochha ja sakaa. use angrejee nyaayane phaansee dee; kintu dharmaraajaka nyaay use punyaatmaaonke lok svargamen bhejega, yah bhee kya sandeh karanekee baat hai ?

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