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रस्सीमें सर्पका भ्रम  [Short Story]
Spiritual Story - Spiritual Story (आध्यात्मिक कथा)

रस्सीमें सर्पका भ्रम

(स्वामी श्रीअमरानन्दजी

घड़ीने अभी-अभी नौका घण्टा बजाया था। हिरेन 'सुन्दरवनके बाघ' फिल्म देखनेके बाद वापस अपने घर लौट रहा था। रॉयल बंगाल बाघोंके अंचलमें जाकर इस फिल्मका निर्माण किया गया था।
हिरेन उस फिल्मके दृश्योंके बारेमें सोचता हुआ चला जा रहा था। चलते-चलते वह सहसा चौंक गया। सामने सड़कपर एक साँप लेटा हुआ था। उसपर उसका पाँव पड़ते-पड़ते रह गया था। बड़े भाग्यसे ही उसकी जान बच गयी थी। वह थोड़ा पीछे हटकर और भी अच्छी तरह साँपको देखने लगा। यह एक वैसा ही नाग लग रहा था, जैसा कि उसने कुछ दिनों पूर्व सँपेरेकी टोकरी में देखा था ।
हिरेनने साँपसे बचनेके लिये बगलका एक दूसरा रास्ता पकड़नेकी सोची। तभी उसने देखा कि एक व्यक्ति हाथमें टार्च लिये उस साँपकी ओर ही चला जा रहा है।
हिरेन चिल्लाया- 'उधरसे मत जाओ,सड़कपरएक नाग लेटा है।'
वह व्यक्ति बोला-'डरो मत। मेरे साथ आओ।
घण्टेभर पहले मैं इसी सड़कसे होकर गया था। मैंने तुम्हारे साँपको देख लिया है। वह नाग नहीं, रस्सीका एक टुकड़ामात्र है।' वह हिरेनको उस जगह ले गया। हिरेनने टार्चसे आलोकित सड़कको स्पष्ट रूपसे देखा तो उसे पता चला कि वहाँ कोई नाग नहीं, बल्कि एक रस्सी पड़ी है। दोनों खिलखिलाकर हँस पड़े। हिरेनका भय जा चुका था।

कभी-कभी हम एक वस्तुको कुछ दूसरा समझ बैठते हैं और इस कारण हम भ्रमित या भयभीत हो जाते हैं। वेदान्तके मतानुसार रस्सीमें सर्पके भयके समान ही हमारे सुख-दुःख, हमारी समस्याएँ, आशंकाएँ और चिन्ताएँ एक तरहके भ्रमपर आधारित होती हैं। मूलतः हम पूर्ण और आनन्दमय हैं, तथापि हम अपनेको श्मशानकी ओर अग्रसर हो रहे एक लाचार मर्त्य प्राणीके रूपमें देखते हैं। हम लोग ऐसा व्यवहार करते हैं, मानो हमपर जादू कर दिया गया हो और इसीको वेदान्तमें माया कहते हैं। जब मायाका जादू टूट जाता है, तब हमें अपने वास्तविक स्वरूपका ज्ञान होता है।



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rasseemen sarpaka bhrama

rasseemen sarpaka bhrama

(svaamee shreeamaraanandajee

ghaड़eene abhee-abhee nauka ghanta bajaaya thaa. hiren 'sundaravanake baagha' philm dekhaneke baad vaapas apane ghar laut raha thaa. raॉyal bangaal baaghonke anchalamen jaakar is philmaka nirmaan kiya gaya thaa.
hiren us philmake drishyonke baaremen sochata hua chala ja raha thaa. chalate-chalate vah sahasa chaunk gayaa. saamane sada़kapar ek saanp leta hua thaa. usapar usaka paanv paड़te-pada़te rah gaya thaa. bada़e bhaagyase hee usakee jaan bach gayee thee. vah thoda़a peechhe hatakar aur bhee achchhee tarah saanpako dekhane lagaa. yah ek vaisa hee naag lag raha tha, jaisa ki usane kuchh dinon poorv sanperekee tokaree men dekha tha .
hirenane saanpase bachaneke liye bagalaka ek doosara raasta pakada़nekee sochee. tabhee usane dekha ki ek vyakti haathamen taarch liye us saanpakee or hee chala ja raha hai.
hiren chillaayaa- 'udharase mat jaao,sada़kaparaek naag leta hai.'
vah vyakti bolaa-'daro mata. mere saath aao.
ghantebhar pahale main isee sada़kase hokar gaya thaa. mainne tumhaare saanpako dekh liya hai. vah naag naheen, rasseeka ek tukada़aamaatr hai.' vah hirenako us jagah le gayaa. hirenane taarchase aalokit sada़kako spasht roopase dekha to use pata chala ki vahaan koee naag naheen, balki ek rassee pada़ee hai. donon khilakhilaakar hans pada़e. hirenaka bhay ja chuka thaa.

kabhee-kabhee ham ek vastuko kuchh doosara samajh baithate hain aur is kaaran ham bhramit ya bhayabheet ho jaate hain. vedaantake mataanusaar rasseemen sarpake bhayake samaan hee hamaare sukha-duhkh, hamaaree samasyaaen, aashankaaen aur chintaaen ek tarahake bhramapar aadhaarit hotee hain. moolatah ham poorn aur aanandamay hain, tathaapi ham apaneko shmashaanakee or agrasar ho rahe ek laachaar marty praaneeke roopamen dekhate hain. ham log aisa vyavahaar karate hain, maano hamapar jaadoo kar diya gaya ho aur iseeko vedaantamen maaya kahate hain. jab maayaaka jaadoo toot jaata hai, tab hamen apane vaastavik svaroopaka jnaan hota hai.

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