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लगन हो तो सफलता निश्चित है।  [आध्यात्मिक कथा]
प्रेरक कथा - आध्यात्मिक कहानी (Wisdom Story)

कहा जाता है कि बचपनमें पण्डित बोपदेवजीकी स्मरणशक्ति अत्यन्त क्षीण थी। वे बहुत परिश्रम करते थे, किंतु व्याकरणके सूत्र उन्हें कण्ठस्थ नहीं हो पाते थे। उनके सहपाठी उन्हें चिढ़ाया करते। गुरुदेव भी उन्हें झिड़कते थे। इन सबसे दुःखी होकर बोपदेव एक दिन गुरुगृहसे भाग खड़े हुए। वे एक कुके पास जा बैठे। अब अध्ययन छोड़ देनेका उन्होंने विचार कर लिया था।

कुएँपर ग्रामको नारियाँ जल भरने आती थीं कुएँसे जल खींचकर वे घड़ेको पत्थरपर रख देती थीं तनिक देरको और रस्सी समेटकर पीछे घड़ेको उठाती थीं बोपदेवने देखा कि कुएँके मुखपर जो पत्थर है, उसमेंपानी खींचनेकी रस्सीसे कई गड्ढे पड़ गये हैं और जहाँ महिलाएँ घड़ा रखती हैं, वहाँ भी बड़ा रखते-रखते पत्थरमें गड्ढा बन गया है। बोपदेवके मनने कहा-'जब कोमल रस्सी और मिट्टीका घड़ा बार-बारकी रगड़ये पत्थरमें गड्ढा बना सकते हैं, तब क्या निरन्तर दृढ़ अभ्याससे तुम विद्वान् नहीं हो सकते ?"

बोपदेव वहींसे गुरुगृहमें लौट आये। वे अध्ययनमें जुट गये। सच्ची लगन और दृढ़ अभ्यासके कारण आगे वे प्रसिद्ध विद्वान् हुए। देवगिरिके यादव नरेश महादेवके वे सभापण्डित बने। पाणिनीय व्याकरणकी दुरूहता उन्होंने अनुभव की; इसीलिये मुग्धबोध नामका संस्कृतका सुगम व्याकरण बनाया। सु0 सिं0



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lagan ho to saphalata nishchit hai.

kaha jaata hai ki bachapanamen pandit bopadevajeekee smaranashakti atyant ksheen thee. ve bahut parishram karate the, kintu vyaakaranake sootr unhen kanthasth naheen ho paate the. unake sahapaathee unhen chidha़aaya karate. gurudev bhee unhen jhida़kate the. in sabase duhkhee hokar bopadev ek din gurugrihase bhaag khada़e hue. ve ek kuke paas ja baithe. ab adhyayan chhoda़ deneka unhonne vichaar kar liya thaa.

kuenpar graamako naariyaan jal bharane aatee theen kuense jal kheenchakar ve ghada़eko pattharapar rakh detee theen tanik derako aur rassee sametakar peechhe ghada़eko uthaatee theen bopadevane dekha ki kuenke mukhapar jo patthar hai, usamenpaanee kheenchanekee rasseese kaee gaddhe paड़ gaye hain aur jahaan mahilaaen ghada़a rakhatee hain, vahaan bhee baड़a rakhate-rakhate pattharamen gaddha ban gaya hai. bopadevake manane kahaa-'jab komal rassee aur mitteeka ghada़a baara-baarakee ragaड़ye pattharamen gaddha bana sakate hain, tab kya nirantar dridha़ abhyaasase tum vidvaan naheen ho sakate ?"

bopadev vaheense gurugrihamen laut aaye. ve adhyayanamen jut gaye. sachchee lagan aur dridha़ abhyaasake kaaran aage ve prasiddh vidvaan hue. devagirike yaadav naresh mahaadevake ve sabhaapandit bane. paanineey vyaakaranakee duroohata unhonne anubhav kee; iseeliye mugdhabodh naamaka sanskritaka sugam vyaakaran banaayaa. su0 sin0

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