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किसीके पीछे मत भागो  [छोटी सी कहानी]
प्रेरक कथा - हिन्दी कहानी (छोटी सी कहानी)

किसीके पीछे मत भागो

एक बार सर्दियोंकी दोपहरमें स्वामी रामतीर्थ घूमने निकले। रास्तेमें उन्होंने देखा कि एक बच्चा अपनी परछाईंको पकड़नेकी कोशिश कर रहा है। वे रुक गये। उन्होंने देखा कि बच्चा कभी तेज भागकर, कभी दबे पाँव और कभी छलाँग लगाकर अपनी परछाईंको पकड़नेकी कोशिश कर रहा है, लेकिन पकड़ नहीं पा रहा है। अन्तमें बच्चा हारकर रोने लगा।
स्वामी रामतीर्थ रोते हुए बच्चेके पास गये और उसके दोनों हाथ उठाकर उसीके सिरपर रख दिये। अब अपनी परछाईंको पकड़ी हुई देखकर बच्चा खुशीसे चिल्लाया । 'जादू! आपको यह जादू कैसे आया ?'
'किसीके भी पीछे नहीं भागकर' स्वामी रामतीर्थने बड़ा ही सरल किंतु बड़ा ही गहरा उत्तर दिया ।



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kiseeke peechhe mat bhaago

kiseeke peechhe mat bhaago

ek baar sardiyonkee dopaharamen svaamee raamateerth ghoomane nikale. raastemen unhonne dekha ki ek bachcha apanee parachhaaeenko pakada़nekee koshish kar raha hai. ve ruk gaye. unhonne dekha ki bachcha kabhee tej bhaagakar, kabhee dabe paanv aur kabhee chhalaang lagaakar apanee parachhaaeenko pakada़nekee koshish kar raha hai, lekin pakada़ naheen pa raha hai. antamen bachcha haarakar rone lagaa.
svaamee raamateerth rote hue bachcheke paas gaye aur usake donon haath uthaakar useeke sirapar rakh diye. ab apanee parachhaaeenko pakada़ee huee dekhakar bachcha khusheese chillaaya . 'jaadoo! aapako yah jaadoo kaise aaya ?'
'kiseeke bhee peechhe naheen bhaagakara' svaamee raamateerthane baड़a hee saral kintu bada़a hee gahara uttar diya .

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