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बैलोंकी चोट संतपर  [Short Story]
Story To Read - शिक्षदायक कहानी (आध्यात्मिक कहानी)

श्रीकेवलरामजी ऐसे ही थे। श्रीकृष्णके नयन शरके लक्ष्य ये हो चुके थे। श्रीकृष्णके अतिरिक्त इनकी आँखोंमें और कोई था ही नहीं। ये विषय-वासनाको बहुत दूर छोड़ आये थे। मायाकी छाया भी इनको स्पर्श नहीं कर पाती थी। करुणा और प्रेमके आप मूर्तिमान् स्वरूप थे l

'भिक्षा दो, माँ!' किसीकी देहरीपर पहुँचकर ये आवाज लगा देते। माताएँ चावल, दाल, शाक और घृतादि लेकर आपके सामने आतीं तो आप कहने लगते- 'अत्यन्त प्रेमपूर्वक भगवान् श्रीकृष्णकी पूजा करें, मेरी यही भिक्षा है!' और उलटे पाँव लौट पड़ते। बड़ा प्रभाव पड़ता इनकी बातोंका सुननेवालोंपर। इसी प्रकार ये प्रत्येक स्त्री-पुरुषको श्रीकृष्ण-प्रेम-पथपर अग्रसर करनेके लिये सतत प्रयत्न करते रहते।

'मेरी एक प्रार्थना स्वीकार करें!' किसी अनाचारी वैष्णवको देखते ही ये झटसे विनयपूर्वक कहते। से भगवद्भक्त थे। इनके मनमें अविरल शान्ति लहरें लेती रहती। पर श्रीकृष्णके पूजा-प्रचारके लिये जैसे इनके मनमें आग लगी रहती थी। जिस किसीको देखते ही ये उसके पीछे पड़ जाते थे। श्रीकृष्णका नाम-जप करनेका वचन ले ही लेते थे। विनय और आग्रहको देखकर वैष्णव पूछ बैठते 'क्या कहते हैं ?"

'आप श्यामसुन्दरकी प्रतिदिन नियमपूर्वक अन्तर्हृदय के विशुद्ध प्रेमसे पूजा किया करें!' कहते हुए ये श्यामसुन्दरकी मनोहर प्रतिमा सामने रख देते। साथ ही इनकी आँखेंछलक पड़तीं।

साधु इनका ढंग देखकर दंग हो जाते। उनके मनमें पश्चात्ताप होता और प्रभुकी प्रतिमा लेकर प्रेमपूर्वक उपासनामें लग जाते।

एक बारकी बात है, आप एक गाड़ीवानके साथ चल रहे थे। गाड़ीवान गाड़ीपर बैठा गाड़ी हाँकता जा रहा था और श्रीकेवलरामजी पृथ्वीपर पैदल ही गाड़ीवानको श्रीकृष्णकथा सुनाते जा रहे थे।

एक स्थानपर बैल थोडेसे रुके तो गाड़ीवानने क्रोधित होकर दो-तीन साँटियाँ जोरसे उनकी पीठपर दे मारी। बैल साँटीके भयसे दौड़ने लगे। गाड़ीवानने कथा सुननेके लिये श्रीकेवलरामजीकी ओर देखा तो वे नहीं थे। गाड़ीवानने गाड़ीपर खड़े होकर देखा तो आप पीछे मूच्छित होकर गिर पड़े थे।

गाड़ीवान घबराकर गाड़ीसे कूद पड़ा और उसने दौड़कर श्रीकेवलरामजीको अपनी गोदमें उठा लिया। उसने देखा जो साँटी उसने बैलको मारी थी, वह श्री केवलरामजीकी पीठपर लगी थी। उसका चिह्न स्पष्ट दीख रहा था।

ये संत इतनी उच्चकोटिपर पहुँच गये हैं, इसकी गाड़ीवानके मनमें कल्पना भी नहीं थी। वह उनके चरणोंपर गिरकर क्षमा-प्रार्थना करने लगा। गाड़ीपर और भी कई आदमी थे। सब-के-सब श्रीकेवलरामजीके चरणोंपर माथा रखकर क्षमाकी याचना कर रहे थे। 'भगवान् श्रीकृष्ण प्रेम और क्षमाके मूर्तिमान् स्वरूप हैं।सृष्टिके कर्त्ता, पालक और विनाशक वे ही हैं। माया मोह उन्हींकी देन है; पर जो सबको त्यागकर उनके चरण-कमलोंके भ्रमर बन जाते हैं, बड़ी सरलतासे वे भवसागर पार कर लेते हैं। तुमलोग श्रीकृष्णके बनजाओ। बस, वे स्वयं क्षमा कर देंगे।' कहकर श्रीकेवलरामजी हँसने लगे, पर उपस्थित व्यक्तियोंकी आँखोंसे अश्रु- सरिता प्रवाहित हो रही थी।

- शि0 दु0



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bailonkee chot santapara

shreekevalaraamajee aise hee the. shreekrishnake nayan sharake lakshy ye ho chuke the. shreekrishnake atirikt inakee aankhonmen aur koee tha hee naheen. ye vishaya-vaasanaako bahut door chhoda़ aaye the. maayaakee chhaaya bhee inako sparsh naheen kar paatee thee. karuna aur premake aap moortimaan svaroop the l

'bhiksha do, maan!' kiseekee dehareepar pahunchakar ye aavaaj laga dete. maataaen chaaval, daal, shaak aur ghritaadi lekar aapake saamane aateen to aap kahane lagate- 'atyant premapoorvak bhagavaan shreekrishnakee pooja karen, meree yahee bhiksha hai!' aur ulate paanv laut pada़te. bada़a prabhaav pada़ta inakee baatonka sunanevaalonpara. isee prakaar ye pratyek stree-purushako shreekrishna-prema-pathapar agrasar karaneke liye satat prayatn karate rahate.

'meree ek praarthana sveekaar karen!' kisee anaachaaree vaishnavako dekhate hee ye jhatase vinayapoorvak kahate. se bhagavadbhakt the. inake manamen aviral shaanti laharen letee rahatee. par shreekrishnake poojaa-prachaarake liye jaise inake manamen aag lagee rahatee thee. jis kiseeko dekhate hee ye usake peechhe pada़ jaate the. shreekrishnaka naama-jap karaneka vachan le hee lete the. vinay aur aagrahako dekhakar vaishnav poochh baithate 'kya kahate hain ?"

'aap shyaamasundarakee pratidin niyamapoorvak antarhriday ke vishuddh premase pooja kiya karen!' kahate hue ye shyaamasundarakee manohar pratima saamane rakh dete. saath hee inakee aankhenchhalak pada़teen.

saadhu inaka dhang dekhakar dang ho jaate. unake manamen pashchaattaap hota aur prabhukee pratima lekar premapoorvak upaasanaamen lag jaate.

ek baarakee baat hai, aap ek gaada़eevaanake saath chal rahe the. gaada़eevaan gaada़eepar baitha gaada़ee haankata ja raha tha aur shreekevalaraamajee prithveepar paidal hee gaada़eevaanako shreekrishnakatha sunaate ja rahe the.

ek sthaanapar bail thodese ruke to gaada़eevaanane krodhit hokar do-teen saantiyaan jorase unakee peethapar de maaree. bail saanteeke bhayase dauda़ne lage. gaaड़eevaanane katha sunaneke liye shreekevalaraamajeekee or dekha to ve naheen the. gaaड़eevaanane gaada़eepar khada़e hokar dekha to aap peechhe moochchhit hokar gir pada़e the.

gaada़eevaan ghabaraakar gaada़eese kood pada़a aur usane dauda़kar shreekevalaraamajeeko apanee godamen utha liyaa. usane dekha jo saantee usane bailako maaree thee, vah shree kevalaraamajeekee peethapar lagee thee. usaka chihn spasht deekh raha thaa.

ye sant itanee uchchakotipar pahunch gaye hain, isakee gaaड़eevaanake manamen kalpana bhee naheen thee. vah unake charanonpar girakar kshamaa-praarthana karane lagaa. gaada़eepar aur bhee kaee aadamee the. saba-ke-sab shreekevalaraamajeeke charanonpar maatha rakhakar kshamaakee yaachana kar rahe the. 'bhagavaan shreekrishn prem aur kshamaake moortimaan svaroop hain.srishtike kartta, paalak aur vinaashak ve hee hain. maaya moh unheenkee den hai; par jo sabako tyaagakar unake charana-kamalonke bhramar ban jaate hain, baड़ee saralataase ve bhavasaagar paar kar lete hain. tumalog shreekrishnake banajaao. bas, ve svayan kshama kar denge.' kahakar shreekevalaraamajee hansane lage, par upasthit vyaktiyonkee aankhonse ashru- sarita pravaahit ho rahee thee.

- shi0 du0

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