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कृतज्ञताका मूल्य  [हिन्दी कथा]
प्रेरक कथा - छोटी सी कहानी (Story To Read)

एक राजाके पास दो शिकारी कुत्ते थे। वे एक दूसरेसे थोड़ी दूरपर रखे गये। उनमें प्रायः लड़ाई हुआ करती थी। राजाने अपने सम्मतिदातासे पूछा कि क्या उपाय है जिससे दोनों मित्रकी तरह एक साथ रहने लगे। उसने कहा कि आप इन्हें जंगलमें ले जाइये। जब कोई भेड़िया दीख पड़े तो इनमेंसे एकको उसपर छोड़ दीजिये। जब एक कुत्ता लड़ते-लड़ते थकने लगे तब उसकी सहायताके लिये दूसरेको छोड़ दीजियेगा; दोनों मिलकर भेड़ियेको समाप्त कर देंगे और एक-दूसरेके कृतज्ञ हो जायँगे ।

बादशाहने ऐसा ही किया। भेड़िया आया, पर दोनों कुत्तोंने उसे समाप्त कर दिया। पहले कुत्तेने दूसरे कुत्तेका बड़ा आभार माना; क्योंकि उसकी कृपासे प्राणरक्षा हुई थी। दोनों कुत्ते साथ-साथ रहने लगे और एक दूसरेके मित्र हो गये ।



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kritajnataaka moolya

ek raajaake paas do shikaaree kutte the. ve ek doosarese thoड़ee doorapar rakhe gaye. unamen praayah lada़aaee hua karatee thee. raajaane apane sammatidaataase poochha ki kya upaay hai jisase donon mitrakee tarah ek saath rahane lage. usane kaha ki aap inhen jangalamen le jaaiye. jab koee bheda़iya deekh pada़e to inamense ekako usapar chhoda़ deejiye. jab ek kutta lada़te-lada़te thakane lage tab usakee sahaayataake liye doosareko chhoda़ deejiyegaa; donon milakar bheda़iyeko samaapt kar denge aur eka-doosareke kritajn ho jaayange .

baadashaahane aisa hee kiyaa. bheda़iya aaya, par donon kuttonne use samaapt kar diyaa. pahale kuttene doosare kutteka bada़a aabhaar maanaa; kyonki usakee kripaase praanaraksha huee thee. donon kutte saatha-saath rahane lage aur ek doosareke mitr ho gaye .

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