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ठीकरी पैसा बराबर  [छोटी सी कहानी]
Short Story - हिन्दी कहानी (प्रेरक कथा)

परमहंस रामकृष्णदेव गङ्गा-किनारे बैठ जाते थे एक ओर रुपये-पैसोंका ढेर लगाकर और एक ओर कंकड़ोंकी ढेरी रखकर एक मुट्ठीमें पैसे और एकमें कंकड़ लेकर वे कहते- 'यह कंकड़, यह पैसा' और फेंक देते दोनों मुट्ठी गङ्गामें।

'ये कंकड़' वे पैसोंकी मुट्ठीको देखकर कहते औरफिर कंकड़ोंकी मुट्ठीको देखकर कहते- 'ये पैसे!' दोनों मुट्ठी फिर गङ्गाजीमें विसर्जित हो जातीं। परमहंसदेवके इस अभ्यासके फलस्वरूप ऐसी स्थिति हो गयी कि उनके शरीरसे कोई धातु भूलसे छू जाती तो वह अङ्ग सूना पड़ जाता। बहुत देरमें उस अङ्गकी चेतना लौटती ।



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theekaree paisa baraabara

paramahans raamakrishnadev gangaa-kinaare baith jaate the ek or rupaye-paisonka dher lagaakar aur ek or kankada़onkee dheree rakhakar ek muttheemen paise aur ekamen kankada़ lekar ve kahate- 'yah kankada़, yah paisaa' aur phenk dete donon mutthee gangaamen.

'ye kankada़' ve paisonkee muttheeko dekhakar kahate auraphir kankada़onkee muttheeko dekhakar kahate- 'ye paise!' donon mutthee phir gangaajeemen visarjit ho jaateen. paramahansadevake is abhyaasake phalasvaroop aisee sthiti ho gayee ki unake shareerase koee dhaatu bhoolase chhoo jaatee to vah ang soona pada़ jaataa. bahut deramen us angakee chetana lautatee .

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