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भगवान्की कृपापर विश्वास  [शिक्षदायक कहानी]
हिन्दी कहानी - Spiritual Story (हिन्दी कहानी)

एक अकिंचन भगवद्भक्तने एक बार व्रत किया। पूरे दस दिनतक वे केवल जल पीकर रहे। उनका शरीर अत्यन्त दुर्बल हो गया। व्रत समाप्त होनेपर वे उठे और अपनी कुटियासे बाहर आये। वहाँ पृथ्वीपर एक सूखा फल पड़ा था। एक बार इच्छा हुई कि उसे उठाकर व्रतका पारण करें; किंतु फिर मनने कहा 'यह फल सूखा है, इस समय शरीरके लिये हानिकर है, ऐसा कैसे हो सकता है कि दयामय प्रभुने दस दिनके दीर्घ उपवासके पश्चात् इस फलसे व्रत - पारणका विधान किया हो।' फलको वहीं छोड़कर वे कुटियाकेसामने एक वृक्षके नीचे बैठ गये। कुछ ही देरमें वहाँ एक व्यापारी आये। बहुत से फल और मेवा वे ले आये थे। उन्होंने बताया- 'मेरा जहाज समुद्र में तूफानमें पड़ गया था। उस समय मैंने संकल्प किया था कि सकुशल किनारे पहुँचनेपर भगवान्‌को भोग लगाऊँगा और जो पहिला अतिथि मिलेगा उसे वह प्रसाद अर्पित करूँगा। मेरा जहाज किनारे खड़ा है। तटपर मैं देरतक प्रतीक्षा करता रहा; किंतु कोई व्यक्ति उधर नहीं आया। प्रसाद लेकर मैं वहाँसे चला तो आप ही सर्वप्रथम मुझे दिखायी पड़े।कृपा करके यह प्रसाद स्वीकार करें।' साधुने अपनी आवश्यकता-जितना प्रसाद ले लिया। उनके नेत्र भर आये थे और वे मन-ही-मन कहरहे थे—‘मेरे दयामय स्वामी मेरे लिये पहिलेसे ही व्यवस्था करनेमें व्यस्त थे ।'

- सु0 सिं0



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bhagavaankee kripaapar vishvaasa

ek akinchan bhagavadbhaktane ek baar vrat kiyaa. poore das dinatak ve keval jal peekar rahe. unaka shareer atyant durbal ho gayaa. vrat samaapt honepar ve uthe aur apanee kutiyaase baahar aaye. vahaan prithveepar ek sookha phal pada़a thaa. ek baar ichchha huee ki use uthaakar vrataka paaran karen; kintu phir manane kaha 'yah phal sookha hai, is samay shareerake liye haanikar hai, aisa kaise ho sakata hai ki dayaamay prabhune das dinake deergh upavaasake pashchaat is phalase vrat - paaranaka vidhaan kiya ho.' phalako vaheen chhoda़kar ve kutiyaakesaamane ek vrikshake neeche baith gaye. kuchh hee deramen vahaan ek vyaapaaree aaye. bahut se phal aur meva ve le aaye the. unhonne bataayaa- 'mera jahaaj samudr men toophaanamen pada़ gaya thaa. us samay mainne sankalp kiya tha ki sakushal kinaare pahunchanepar bhagavaan‌ko bhog lagaaoonga aur jo pahila atithi milega use vah prasaad arpit karoongaa. mera jahaaj kinaare khada़a hai. tatapar main deratak prateeksha karata rahaa; kintu koee vyakti udhar naheen aayaa. prasaad lekar main vahaanse chala to aap hee sarvapratham mujhe dikhaayee pada़e.kripa karake yah prasaad sveekaar karen.' saadhune apanee aavashyakataa-jitana prasaad le liyaa. unake netr bhar aaye the aur ve mana-hee-man kaharahe the—‘mere dayaamay svaamee mere liye pahilese hee vyavastha karanemen vyast the .'

- su0 sin0

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