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सफलताका राज - सच्ची लगन  [Moral Story]
प्रेरक कथा - Hindi Story (Short Story)

सफलताका राज - सच्ची लगन

संसारके सबसे महान् वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीनकी सफलतासे प्रभावित होकर कई युवा उनके पास आते थे और उनसे चर्चाकर अपने जीवनकी सही दिशा चुननेका प्रयास करते थे। आइंस्टीन भी यथा शक्ति उन लोगोंकी सहायता करते थे। एक दिन एक युवा उनके पास आया और उनसे पूछा- 'सर ! सारे संसारमें आपका नाम है, सभी आपकी प्रशंसा करते हैं, कृपाकर मुझे बताइये कि महान् बननेका मूलमन्त्र क्या है ?"
आइंस्टीनने एक शब्दमें कहा-'लगन।' युवक बोला-'मैं कुछ समझा नहीं सर!' आइंस्टीन अपनी बातको समझाते हुए बोले- 'जब मैं तुम्हारी आयुका था, तब गणितसे बहुत डरता था, जैसे कि तुम आज डरते हो। प्रायः मैं गणितमें अनुत्तीर्ण हो जाता था, जिसके लिये मुझे सजा दी जाती। मेरे वे मित्र, जो मुझसे आगे बढ़ जाते, मेरा मजाक उड़ाते। मैं बहुत दुखी होता। फिर मैंने सोचा कि आखिर मुझमें कोई कमी नहीं, फिर गणितसे क्या घबराना ? उस दिनसे मैंने गणितके सवाल निरन्तर हल करने शुरू कर दिये। कई बार असफल रहा और दोस्तोंने मजाक बनाया, किंतु बिना घबराये, मैं लगनसे गणितका अभ्यास करता गया। इसी लगनका यह फल है कि आज लोग मेरे सिद्धान्तोंका अनुसरण करते हैं, साथ ही मैंने विज्ञानमें भी दक्षता हासिल की। लगन ही मेरा गुरुमन्त्र है। तुम भी इसे अपना लो।' युवकने आइंस्टीनकी बात सदाके लिये गाँठ बाँध ली। लक्ष्य प्राप्त करनेकी सच्ची लगन हो तो भौतिक साधनहीनता कभी बाधा नहीं बनती। वस्तुतः लगन वह आन्तरिक शक्ति है, जो बाहरी अवरोधोंपर सदैव विजय पाकर लक्ष्यकी प्राप्ति कराती है। [ श्रीमती आभा निगमजी ]



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saphalataaka raaj - sachchee lagana

saphalataaka raaj - sachchee lagana

sansaarake sabase mahaan vaijnaanik alabart aainsteenakee saphalataase prabhaavit hokar kaee yuva unake paas aate the aur unase charchaakar apane jeevanakee sahee disha chunaneka prayaas karate the. aainsteen bhee yatha shakti un logonkee sahaayata karate the. ek din ek yuva unake paas aaya aur unase poochhaa- 'sar ! saare sansaaramen aapaka naam hai, sabhee aapakee prashansa karate hain, kripaakar mujhe bataaiye ki mahaan bananeka moolamantr kya hai ?"
aainsteenane ek shabdamen kahaa-'lagana.' yuvak bolaa-'main kuchh samajha naheen sara!' aainsteen apanee baatako samajhaate hue bole- 'jab main tumhaaree aayuka tha, tab ganitase bahut darata tha, jaise ki tum aaj darate ho. praayah main ganitamen anutteern ho jaata tha, jisake liye mujhe saja dee jaatee. mere ve mitr, jo mujhase aage baढ़ jaate, mera majaak uda़aate. main bahut dukhee hotaa. phir mainne socha ki aakhir mujhamen koee kamee naheen, phir ganitase kya ghabaraana ? us dinase mainne ganitake savaal nirantar hal karane shuroo kar diye. kaee baar asaphal raha aur dostonne majaak banaaya, kintu bina ghabaraaye, main laganase ganitaka abhyaas karata gayaa. isee laganaka yah phal hai ki aaj log mere siddhaantonka anusaran karate hain, saath hee mainne vijnaanamen bhee dakshata haasil kee. lagan hee mera gurumantr hai. tum bhee ise apana lo.' yuvakane aainsteenakee baat sadaake liye gaanth baandh lee. lakshy praapt karanekee sachchee lagan ho to bhautik saadhanaheenata kabhee baadha naheen banatee. vastutah lagan vah aantarik shakti hai, jo baaharee avarodhonpar sadaiv vijay paakar lakshyakee praapti karaatee hai. [ shreematee aabha nigamajee ]

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हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
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जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
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सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
मेरा आपकी कृपा से,
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