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चन्दनका कोयला बनाते हम  [Moral Story]
छोटी सी कहानी - Short Story (छोटी सी कहानी)

चन्दनका कोयला बनाते हम

एक राजा वन-भ्रमणको गया। रास्ता भटककर, भूख-प्याससे व्याकुल हुआ वह एक लकड़हारे के झोंपड़ेपर पहुँचा। लकड़हारेने अपने आतिथ्यसे उसे तृप्त किया। चलते समय राजाने उसे बताया- 'मैं इस देशका राजा हूँ। तुम्हारी सज्जनतासे प्रभावित होकर मैं तुम्हें चन्दनका एक वन देता हूँ।'
चन्दनके पेड़ोंकी महत्तासे अनजान उस लकड़हारेने चन्दनकी लकड़ीका कोयला बना-बनाकर बेचना शुरू कर दिया और जैसे-तैसे गुजर-बसर करने लगा।
धीरे-धीरे सब पेड़ कट गये और अन्तमें केवल गिनतीके पेड़ बचे। एक दिन बारिश बहुत तेज हो रही थी, अतः वह लकड़ीका कोयला न बना सका और उसने लकड़ी ही बेचनेका निश्चय किया। बाजारमें जब वह चन्दनकी लकड़ी लेकर पहुँचा तो उसकी सुगन्धसे प्रभावित होकर कई लोगोंने भारी मूल्य देकर वह लकड़ी खरीदी। आश्चर्यचकित लकड़हारेने अब इसका कारण पूछा तो लोगोंने कहा—'यह चन्दनकी लकड़ी है, बहुत मूल्यवान् होती है।'
अब तो वह लकड़हारा अपनी नासमझीपर बहुत पछताया। उसे पछताते देखकर एक समझदार आदमी उसके पास आया और यह कहकर उसे धीरज बँधाया, 'पछताओ मत भाई, तुम अकेले नासमझ नहीं हो, सारी दुनिया ही ऐसी नासमझी दिखाती है। परमात्मारूपी राजाने हमें दुर्लभ मानव-तनरूपी चन्दनका वन दिया, लेकिन हम चन्दन वनके पेड़ोंकी भाँति अपनी एक-एक साँसको काम, क्रोध, लोभ, मोहकी आगमें जलाकर कोयला करते रहते हैं और उसे कौड़ीके मोल गवाँते रहते हैं। इसलिये अब जो थोड़े बहुत पेड़ (साँसें) बचे हैं, उन्हींका सदुपयोग कर लो।'



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chandanaka koyala banaate hama

chandanaka koyala banaate hama

ek raaja vana-bhramanako gayaa. raasta bhatakakar, bhookha-pyaasase vyaakul hua vah ek lakada़haare ke jhonpada़epar pahunchaa. lakada़haarene apane aatithyase use tript kiyaa. chalate samay raajaane use bataayaa- 'main is deshaka raaja hoon. tumhaaree sajjanataase prabhaavit hokar main tumhen chandanaka ek van deta hoon.'
chandanake peda़onkee mahattaase anajaan us lakada़haarene chandanakee lakada़eeka koyala banaa-banaakar bechana shuroo kar diya aur jaise-taise gujara-basar karane lagaa.
dheere-dheere sab peda़ kat gaye aur antamen keval ginateeke peda़ bache. ek din baarish bahut tej ho rahee thee, atah vah lakada़eeka koyala n bana saka aur usane lakada़ee hee bechaneka nishchay kiyaa. baajaaramen jab vah chandanakee lakada़ee lekar pahuncha to usakee sugandhase prabhaavit hokar kaee logonne bhaaree mooly dekar vah lakada़ee khareedee. aashcharyachakit lakada़haarene ab isaka kaaran poochha to logonne kahaa—'yah chandanakee lakada़ee hai, bahut moolyavaan hotee hai.'
ab to vah lakada़haara apanee naasamajheepar bahut pachhataayaa. use pachhataate dekhakar ek samajhadaar aadamee usake paas aaya aur yah kahakar use dheeraj bandhaaya, 'pachhataao mat bhaaee, tum akele naasamajh naheen ho, saaree duniya hee aisee naasamajhee dikhaatee hai. paramaatmaaroopee raajaane hamen durlabh maanava-tanaroopee chandanaka van diya, lekin ham chandan vanake peda़onkee bhaanti apanee eka-ek saansako kaam, krodh, lobh, mohakee aagamen jalaakar koyala karate rahate hain aur use kauda़eeke mol gavaante rahate hain. isaliye ab jo thoda़e bahut peda़ (saansen) bache hain, unheenka sadupayog kar lo.'

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