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सच्चे भक्तका अनुभव  [Moral Story]
Short Story - आध्यात्मिक कहानी (Spiritual Story)

साधु मुहम्मद सैयद सच्चे भक्त संत थे। इनके पास कोई भी संग्रहकी वस्तु नहीं रहती थी । यहाँतक कि लंगोटी भी ये नहीं पहनते - नंगे रहते थे। शाहजहाँ इन्हें बहुत मानता था। दाराशिकोह तो इनका प्रधान भक्त ही था। ये प्रायः सदा एक गीत गाया करते थे, जिसका भाव है- 'मैं सच्चे संत भक्त फुरकनका शिष्य हूँ। मैं यहूदी भी हूँ, हिंदू भी और मुसलमान भी । काबाके मस्जिदमें और हिंदुओंके मन्दिरमें लोग एक ही परमात्मा की उपासना करते हैं। एक जगह यही प्रभु काले पत्थरका रूप धारण करते हैं, जिनकी काबामें पूजा होती है और दूसरी जगह (हिंदू-मन्दिरमें) मूर्तिका रूप धारण करते हैं।' औरंगजेब दाराका घोर शत्रु था। वह सैयद साहबसेभी चिढ़ता था। उसने उन्हें पकड़ मँगवाया और उन्हें धर्मद्रोही घोषितकर मुल्लाओंके हाथमें निर्णय सौंपा। निर्दय धर्मान्ध मुल्लाओंने धर्मके नामपर उन्हें शूलीकी आज्ञा दे दी, पर सैयद साहबको इससे बड़ी प्रसन्नता हुई। वे शूलीका नाम सुनकर आनन्दसे उछल पड़े। शूलीके काठपर चढ़ते समय वे बोल उठे- 'अहा ! आजका दिन मेरे लिये बड़े सौभाग्यका है। जो शरीर आत्माके साथ प्रियतम परमात्माके मिलनेमें बाधक था, आज इसी शूलीकी कृपासे वह छूट जायगा।' वे गाने लगे— 'मेरे दोस्त ! आज तू शूलीके रूपमें आया। तू किसी भी रूपमें क्यों न आवे, मैं तुझे पहचानता हूँ ।' -जा0 श0



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sachche bhaktaka anubhava

saadhu muhammad saiyad sachche bhakt sant the. inake paas koee bhee sangrahakee vastu naheen rahatee thee . yahaantak ki langotee bhee ye naheen pahanate - nange rahate the. shaahajahaan inhen bahut maanata thaa. daaraashikoh to inaka pradhaan bhakt hee thaa. ye praayah sada ek geet gaaya karate the, jisaka bhaav hai- 'main sachche sant bhakt phurakanaka shishy hoon. main yahoodee bhee hoon, hindoo bhee aur musalamaan bhee . kaabaake masjidamen aur hinduonke mandiramen log ek hee paramaatma kee upaasana karate hain. ek jagah yahee prabhu kaale pattharaka roop dhaaran karate hain, jinakee kaabaamen pooja hotee hai aur doosaree jagah (hindoo-mandiramen) moortika roop dhaaran karate hain.' aurangajeb daaraaka ghor shatru thaa. vah saiyad saahabasebhee chidha़ta thaa. usane unhen pakada़ mangavaaya aur unhen dharmadrohee ghoshitakar mullaaonke haathamen nirnay saunpaa. nirday dharmaandh mullaaonne dharmake naamapar unhen shooleekee aajna de dee, par saiyad saahabako isase bada़ee prasannata huee. ve shooleeka naam sunakar aanandase uchhal pada़e. shooleeke kaathapar chadha़te samay ve bol uthe- 'aha ! aajaka din mere liye bada़e saubhaagyaka hai. jo shareer aatmaake saath priyatam paramaatmaake milanemen baadhak tha, aaj isee shooleekee kripaase vah chhoot jaayagaa.' ve gaane lage— 'mere dost ! aaj too shooleeke roopamen aayaa. too kisee bhee roopamen kyon n aave, main tujhe pahachaanata hoon .' -jaa0 sha0

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मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
बहुत बड़ा दरबार तेरो बहुत बड़ा दरबार,
चाकर रखलो राधा रानी तेरा बहुत बड़ा
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
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फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
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लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
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