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लोकजीवनकी बोधकथाएँ  [Hindi Story]
शिक्षदायक कहानी - आध्यात्मिक कहानी (Moral Story)

लोकजीवनकी बोधकथाएँ

'न्याय होय तो असो'
परिवारमें सामान्य चर्चा चल रही थी। तब एक बात न्याय सम्बन्धी निकली कि न्याय करना तो अच्छा है, किंतु जिसके लिये न्याय किया गया है उसे भी लगना चाहिये कि उसे न्याय मिला, तब तो वह न्याय है 'न्याय' शब्दसे मेरी चेतनामें समवेत स्वर गूँज उठे
'हाव वो माँय हाव न्याय होय तो असो। राजा होय तो श्रीकृष्ण जसो।' इन शब्दोंके साथ मेरी आँखोंके सामने वे सब दृश्य उपस्थित हो गये कि कैसे घरके आँगनमें बैठी महिलाएँ देश-काल, राज्य शासन आदि सबकी जानकारियाँ रखती थीं. वह भी व्रत उपवास, पर्व स्नानकी कथाओंके माध्यमसे। पूर्वी निमाडका एक गाँव कालमुखी घरके आँगनमें बैठी मेरी आजी माँय और उनको घेरे पच्चीस-पचास महिलाएँ। आँचलसे उनके कपालतक ढँके सिर, लटोंसे टपकती पानीकी बूँदें। उनके सम्मुख आरतियोंमें टिमटिमाते दीपक दीपकोंकी स्वर्णिम लौपर बिखरती सूरजकी रक्तिमवर्णी आभा । सबकी आँखें मेरी आजी माँयके मुखपर एक हाथमें जुवार या चावल और फूल तथा उसपर दूसरे हाथका ढक्कन सबका चित्त आजी मायके शब्दोंपर और हुँकारोंसे भरता आँगन-'हाव ओ माँय हाव' चल रही थी कथा - वार्ता कार्तिकस्नानकी। संवादों हुँकारोंसे विस्तार लेती कथा वार्ता
चौथे पयर (प्रहर)-की रात! गलीमें गीतकी उठती स्वर-लहर ! राजा श्रीकृष्णकी पटरानियोंकी नींद खुली। सबने पूछा - 'महाराज ! अभी तो रात पूरी भी नहीं हुई, फिर गाना-बजाना करती सब महिलाएँ कहाँ जा रही हैं?' श्रीकृष्णजीने बताया-'पटरानीजी! सुनो कार्तिकमास शुरू हो गया है, सब महिलाएँ यमुनाजीमें कार्तिक स्नानको जा रही हैं।' श्रीकृष्णजीने यमुना-स्नानका माहात्म्य बताया। तब पटरानियोंने पूछा- 'महाराज ! आपकी आज्ञा हो, तो हम भी मासभर यमुना-स्नान
कर लें।' श्रीकृष्णजीकी सहमति से सब पटरानियाँ स्नानको चलीं।
कथा-वार्ता चलती जा रही थी। जमुनाजीपर पहुँचकर सबने जमुनाजीको प्रणाम किया और जलमें डुबकियाँ लगाय सबने जमुनाजीकी पूजा की आरती उतारी और दीप प्रवाहित किये। जमुनाजीको भेंट दी। जमुनाजी हाथ निकालकर सबसे भेंट स्वीकार करती और वरदहस्तसे आशीष देतीं। महीना बीतनेको आया वहाँसे घर आकर सब पटरानियाँ तुलसी पूजा, ठाकुर पूजाकर श्रीकृष्णजीको कलेवा कराती थीं। आठों पटरानियोंमेंसे 'राई पटरानी' जरा ज्यादा हो उतावली रहती थीं। उन्हें लगता था कि सबसे पहले स्नानकर सबसे पहले वह ही जमुनाजीको भेंट दे। जल्दी पहुँचनेकी होड़में राई पटरानी सबका साथ छोड़करखेतोंके बीचसे छोटे रास्तेसे जमुनाजी पहुँचती थीं।
हुँकारा भरती महिलाएँ बोलतीं- 'हाव वो माँय
हाव असो नी करणू, सीधो रस्तो चलणू।
आखिरी दिन, कार्तिक पुन्यवको जरा जल्दी चली गयीं राई पटरानी। उन्होंने डुबकी लगायी, आरती पूजा की, और जैसे ही जमुनाको भेंट देनेके लिये उन्होंने अपने हाथसे अनोखा चूड़ा निकाला तो जमुनाजीने हाथ बाहर नहीं निकाला। राई पटरानीने पुनः प्रार्थना की, फिर भी जमुनाजीने भेंट स्वीकार करनेके लिये अपना हाथ बाहर नहीं निकाला। सबकी भेंट तो जमुनाजी ले रही थीं, पर राई पटरानी जितनी भी बार भेंट देनेका प्रयास करतीं, उतनी ही बार जमुनाजी अपना हाथ भीतर कर लेतीं।
हुँकारे चल रहे थे, महिलाएँ बोलती जा रही थीं 'हाव वो माँय हाव, असो कसो ?'
यह सब देख दूसरी पटरानियोंने पूछा- 'जमुना महारानी ! राईकी भेंट क्यों नहीं लेतीं ?' तब यमुनाजीने बताया- 'राई पटरानीको चोरीका पाप लगा है। तेलीके खेतमेंसे निकलते वक्त इसके घाघरेसे तेलीके खेतका तिल्लीका एक डोडा टूटा और घाघरेमें चिपक गया। जब यह इस चोरीके पापसे मुक्त होगी. तब मैं राईकी भेंट स्वीकार करूँगी।'

हुँकारा देती महिलाएँ कहतीं- 'हाव ओ माँय हाव, सीधो रस्तो चलणू ।'
पटरानियाँ मिलकर घर आयीं। श्रीकृष्णजीको पूरी वार्ता बतायी। तब श्रीकृष्णजीने, जिसका खेत था, उस तेलीको बुलवाया।
महाराज श्रीकृष्णजीका फरमान सुनते ही तेलीका जीव धक-धक करने लगा, कि जाने क्यों महाराज श्रीकृष्ण बुला रहे हैं, हमसे क्या गलती हो गयी। तेलनने अपने पतिको समझाया- 'स्वामी! तुम क्यों डरते हो ? अपनने तो राजाका कोई नुकसान नहीं किया; चलो, मैं भी साथ चलती हूँ।' तेली-तेलन राजदरबारमें हाथ जोड़कर खड़े हो गये ।
आँगनमें बैठी महिलाएँ हुँकारा भरते बोलतीं 'हाव ओ माँय हाव, राजाका दरबार तो कोई नी जाय।'
श्रीकृष्णजीने तेलीको बतलाया-'राई पटरानी तुम्हारे खेतसे जमुना स्नानको गुजरी। उसके घाघरेमें यह तिल्लीका एक डोडा अटक गया। उसपर चोरीका आरोप लगा है। अब तुम राई पटरानीको जो सजा दोगे, उसे और हमें स्वीकार होगी।'
हुँकारा देती महिलाएँ फिर बोलीं- 'हाव ओ माँय हाव, राजा होय, तो असो।'
तेली और तेलनने आपसमें बात करी तेलीने कहा- 'महाराज ! वह तिल्लीका डोडा फोड़ लो, जितने दानें होंगे, राई पटरानी उतने साल हमारे घरमें रहकर हमारे बाल-बच्चे सम्हालेंगी।'
हुँकारा देती महिलाएँ कहती- 'हाय हाय माँय
तेली तो बड़ो चतुर निकल्यो।'
फिर स्वर निकलते हैं-'हाव ओ माँय हाव।'
तिल्लीका डोडा फोड़ा गया। उसमें बारह दाने निकले। श्रीकृष्णजीने कहा-'राई पटरानी! तेलीने तुम्हारी सजा सुनायी है, तुम्हें उसका न्याय मानना होगा। यह तिल्लीके बारह दानोंकी चोरीकी सजा है, तुम्हें बारह साल तेलीके घरपर उसके बाल-बच्चे सम्हालने पड़ेंगे।'
राई पटरानीने सजा स्वीकारते हुए 'हाँ' कहा और वे तेली-तेलनके साथ चल पड़ीं। वे उनके घर रहने लगीं और तेलीके बच्चे सम्हालने लगीं।
हुँकारा देती महिलाओंकी टिप्पणी- 'हाय ओ माँय हाय, कहाँ राजाकी राणी न महल, कहाँ तेलीको गाराको घर । '
दिन जाते देर नहीं लगती। तेलीके घर पटरानी उसके बच्चोंको सम्हालती और तेली-तेलन अपना घर खेतीका काम करते और घाणा चलाते ।
तेली तो होशियार था, बड़ा चतुर था। चाहता तो धन-दौलत, घर-गाँव माँग लेता, पर वह जानता था कि जबतक पटरानीजी हमारे घर रहेंगी, तबतक श्रीकृष्णजीका मन हमारे घरमें ही लगा रहेगा।
हुँकारेके साथ ये स्वर- 'हाव ओ माँय हाव, कसी किरपा हुई तेली पऽऽ ।'
बारह बरस पूरे हुए। कार्तिकमास आया। राई पटरानी जमुनाजी स्नानको गयीं, स्नान करके राई पटरानीजीने अपने हाथका चूड़ा निकालकर जमुनाजीको भेंट करनेके लिये जैसे ही हाथ बढ़ाया, जमुनाजीने हाथ निकालकर उनकी भेंट स्वीकार कर ली। उस समय जमुनाजीपर सभी पटरानियाँ उपस्थित थीं, उन्होंने घर आकर श्रीकृष्णजीको बताया कि राईकी भेंट जमुनाजीने ले ली।
हुँकारा भरती महिलाएँ कहतीं - 'हाव ओ माँयहाव, राई पटरानी दोषमुक्त हुयी।'
श्रीकृष्णभगवान् गाजा-बाजासे तेलीके घर आये। सजा - सजाया रथ, सातों पटरानियाँ साथमें थीं। तेली तेलनको वस्त्राभूषण देकर श्रीकृष्णजी आदरके साथ राई पटरानीको रथपर अपने बगलमें बैठाकर ससम्मान ले गये।
हुँकारा देती महिलाएँ कहतीं- 'हाव ओ माँय हाव, श्रीकृष्णजी तो जाणता था कि राईकी गलती नी हाई, पण ई शिक्षा थी सबका लेण, कि कदी भी बड़ो आदमी छोटा ख नुकसान नी पहुँचाव, हाव ओ माँय 'हाव'
तेली-तेलनने भी अपनी बेटी जैसी राईकी बिदा करी और दामाद-जैसे श्रीकृष्णकी आव-भगत करी।
राईपटरानीसहित श्रीकृष्णजीका रथ जैसे ही तेलीके घरसे चला, वैसे ही गलीमें मुड़ते ही तेलीकी घास फूसकी झोपड़ीकी जगह एक बड़ा कंचन-महल खड़ा हो गया। दास-दासी, नौकर-चाकर सब हो गये। तेली तेलनके फटे कपड़े शरीरपर ही रेशमी-जरीके हो गये।
तेली बोला-'सुण ओ स्याणी! राजा न अपणो न्याय केत्तो अच्छो कर्यो । '
हुँकारा देती महिलाएँ कहतीं- 'हाव ओ माँय हाव "जेको घर साक्षात् भगवान्‌की आधी काया रहेगा, ओकी तो असीज तकदीर बदल गा।'
कथा-वार्ताकी फलश्रुति निमाड़ीमें सुनाते हुए आजी माँयने कहा- 'भगवान् न जसा राई पटरानीको आदर कर्यो, असो सबको कर। भगवान् न जसा तेली तेलेणपर तुष्टमान हुया, असा सबपर होय।'
भावार्थ- 'भगवान्ने जैसे तेली-तेलनपर कृपा करी, तेलीके दिन फेरे, ऐसे सबके फेरें।'
श्रोता महिलाएँ हुँकारा देते हुए बोलीं- 'हाव ओ माँय हाव।'
न्याय भी ऐसा कि जिसकी क्षति हुई है, उसीसे उसकी भरपाईका न्याय पूछना, यह हमारी उदारवादी परम्पराका अनुपम उदाहरण है। तेलीको पता ही नहीं था, कि उसकी क्षति हुई, पर राजाका फर्ज है, प्रजाके नुकसानकी भरपाई करना। तेलीको लगा, अहसास हुआ कि उसके साथ भरपूर न्याय हुआ है।
हमारे व्रत-उपवासकी कथाएँ मात्र कथाएँ नहीं हैं, ये जीवनको संयमित सुसंस्कारित करनेकी, ज्ञान-नीतिकी जीती-जागती पाठशालाएँ हैं। तभी ये कथाएँ-परम्पराएँ | आजतक धाराकी भाँति प्रवाहित होती आ रही हैं, इनके मूलमें निर्मल मनोभावोंके अजस्त्र स्रोत हैं।



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lokajeevanakee bodhakathaaen

lokajeevanakee bodhakathaaen

'nyaay hoy to aso'
parivaaramen saamaany charcha chal rahee thee. tab ek baat nyaay sambandhee nikalee ki nyaay karana to achchha hai, kintu jisake liye nyaay kiya gaya hai use bhee lagana chaahiye ki use nyaay mila, tab to vah nyaay hai 'nyaaya' shabdase meree chetanaamen samavet svar goonj uthe
'haav vo maany haav nyaay hoy to aso. raaja hoy to shreekrishn jaso.' in shabdonke saath meree aankhonke saamane ve sab drishy upasthit ho gaye ki kaise gharake aanganamen baithee mahilaaen desha-kaal, raajy shaasan aadi sabakee jaanakaariyaan rakhatee theen. vah bhee vrat upavaas, parv snaanakee kathaaonke maadhyamase. poorvee nimaadaka ek gaanv kaalamukhee gharake aanganamen baithee meree aajee maany aur unako ghere pachcheesa-pachaas mahilaaen. aanchalase unake kapaalatak dhanke sir, latonse tapakatee paaneekee boonden. unake sammukh aaratiyonmen timatimaate deepak deepakonkee svarnim laupar bikharatee soorajakee raktimavarnee aabha . sabakee aankhen meree aajee maanyake mukhapar ek haathamen juvaar ya chaaval aur phool tatha usapar doosare haathaka dhakkan sabaka chitt aajee maayake shabdonpar aur hunkaaronse bharata aangana-'haav o maany haava' chal rahee thee katha - vaarta kaartikasnaanakee. sanvaadon hunkaaronse vistaar letee katha vaartaa
chauthe payar (prahara)-kee raata! galeemen geetakee uthatee svara-lahar ! raaja shreekrishnakee pataraaniyonkee neend khulee. sabane poochha - 'mahaaraaj ! abhee to raat pooree bhee naheen huee, phir gaanaa-bajaana karatee sab mahilaaen kahaan ja rahee hain?' shreekrishnajeene bataayaa-'pataraaneejee! suno kaartikamaas shuroo ho gaya hai, sab mahilaaen yamunaajeemen kaartik snaanako ja rahee hain.' shreekrishnajeene yamunaa-snaanaka maahaatmy bataayaa. tab pataraaniyonne poochhaa- 'mahaaraaj ! aapakee aajna ho, to ham bhee maasabhar yamunaa-snaana
kar len.' shreekrishnajeekee sahamati se sab pataraaniyaan snaanako chaleen.
kathaa-vaarta chalatee ja rahee thee. jamunaajeepar pahunchakar sabane jamunaajeeko pranaam kiya aur jalamen dubakiyaan lagaay sabane jamunaajeekee pooja kee aaratee utaaree aur deep pravaahit kiye. jamunaajeeko bhent dee. jamunaajee haath nikaalakar sabase bhent sveekaar karatee aur varadahastase aasheesh deteen. maheena beetaneko aaya vahaanse ghar aakar sab pataraaniyaan tulasee pooja, thaakur poojaakar shreekrishnajeeko kaleva karaatee theen. aathon pataraaniyonmense 'raaee pataraanee' jara jyaada ho utaavalee rahatee theen. unhen lagata tha ki sabase pahale snaanakar sabase pahale vah hee jamunaajeeko bhent de. jaldee pahunchanekee hoda़men raaee pataraanee sabaka saath chhoda़karakhetonke beechase chhote raastese jamunaajee pahunchatee theen.
hunkaara bharatee mahilaaen bolateen- 'haav vo maanya
haav aso nee karanoo, seedho rasto chalanoo.
aakhiree din, kaartik punyavako jara jaldee chalee gayeen raaee pataraanee. unhonne dubakee lagaayee, aaratee pooja kee, aur jaise hee jamunaako bhent deneke liye unhonne apane haathase anokha chooda़a nikaala to jamunaajeene haath baahar naheen nikaalaa. raaee pataraaneene punah praarthana kee, phir bhee jamunaajeene bhent sveekaar karaneke liye apana haath baahar naheen nikaalaa. sabakee bhent to jamunaajee le rahee theen, par raaee pataraanee jitanee bhee baar bhent deneka prayaas karateen, utanee hee baar jamunaajee apana haath bheetar kar leteen.
hunkaare chal rahe the, mahilaaen bolatee ja rahee theen 'haav vo maany haav, aso kaso ?'
yah sab dekh doosaree pataraaniyonne poochhaa- 'jamuna mahaaraanee ! raaeekee bhent kyon naheen leteen ?' tab yamunaajeene bataayaa- 'raaee pataraaneeko choreeka paap laga hai. teleeke khetamense nikalate vakt isake ghaagharese teleeke khetaka tilleeka ek doda toota aur ghaagharemen chipak gayaa. jab yah is choreeke paapase mukt hogee. tab main raaeekee bhent sveekaar karoongee.'

hunkaara detee mahilaaen kahateen- 'haav o maany haav, seedho rasto chalanoo .'
pataraaniyaan milakar ghar aayeen. shreekrishnajeeko pooree vaarta bataayee. tab shreekrishnajeene, jisaka khet tha, us teleeko bulavaayaa.
mahaaraaj shreekrishnajeeka pharamaan sunate hee teleeka jeev dhaka-dhak karane laga, ki jaane kyon mahaaraaj shreekrishn bula rahe hain, hamase kya galatee ho gayee. telanane apane patiko samajhaayaa- 'svaamee! tum kyon darate ho ? apanane to raajaaka koee nukasaan naheen kiyaa; chalo, main bhee saath chalatee hoon.' telee-telan raajadarabaaramen haath joda़kar khada़e ho gaye .
aanganamen baithee mahilaaen hunkaara bharate bolateen 'haav o maany haav, raajaaka darabaar to koee nee jaaya.'
shreekrishnajeene teleeko batalaayaa-'raaee pataraanee tumhaare khetase jamuna snaanako gujaree. usake ghaagharemen yah tilleeka ek doda atak gayaa. usapar choreeka aarop laga hai. ab tum raaee pataraaneeko jo saja doge, use aur hamen sveekaar hogee.'
hunkaara detee mahilaaen phir boleen- 'haav o maany haav, raaja hoy, to aso.'
telee aur telanane aapasamen baat karee teleene kahaa- 'mahaaraaj ! vah tilleeka doda phoda़ lo, jitane daanen honge, raaee pataraanee utane saal hamaare gharamen rahakar hamaare baala-bachche samhaalengee.'
hunkaara detee mahilaaen kahatee- 'haay haay maanya
telee to bada़o chatur nikalyo.'
phir svar nikalate hain-'haav o maany haava.'
tilleeka doda phoda़a gayaa. usamen baarah daane nikale. shreekrishnajeene kahaa-'raaee pataraanee! teleene tumhaaree saja sunaayee hai, tumhen usaka nyaay maanana hogaa. yah tilleeke baarah daanonkee choreekee saja hai, tumhen baarah saal teleeke gharapar usake baala-bachche samhaalane pada़enge.'
raaee pataraaneene saja sveekaarate hue 'haan' kaha aur ve telee-telanake saath chal pada़een. ve unake ghar rahane lageen aur teleeke bachche samhaalane lageen.
hunkaara detee mahilaaonkee tippanee- 'haay o maany haay, kahaan raajaakee raanee n mahal, kahaan teleeko gaaraako ghar . '
din jaate der naheen lagatee. teleeke ghar pataraanee usake bachchonko samhaalatee aur telee-telan apana ghar kheteeka kaam karate aur ghaana chalaate .
telee to hoshiyaar tha, bada़a chatur thaa. chaahata to dhana-daulat, ghara-gaanv maang leta, par vah jaanata tha ki jabatak pataraaneejee hamaare ghar rahengee, tabatak shreekrishnajeeka man hamaare gharamen hee laga rahegaa.
hunkaareke saath ye svara- 'haav o maany haav, kasee kirapa huee telee pa'' .'
baarah baras poore hue. kaartikamaas aayaa. raaee pataraanee jamunaajee snaanako gayeen, snaan karake raaee pataraaneejeene apane haathaka chooda़a nikaalakar jamunaajeeko bhent karaneke liye jaise hee haath badha़aaya, jamunaajeene haath nikaalakar unakee bhent sveekaar kar lee. us samay jamunaajeepar sabhee pataraaniyaan upasthit theen, unhonne ghar aakar shreekrishnajeeko bataaya ki raaeekee bhent jamunaajeene le lee.
hunkaara bharatee mahilaaen kahateen - 'haav o maanyahaav, raaee pataraanee doshamukt huyee.'
shreekrishnabhagavaan gaajaa-baajaase teleeke ghar aaye. saja - sajaaya rath, saaton pataraaniyaan saathamen theen. telee telanako vastraabhooshan dekar shreekrishnajee aadarake saath raaee pataraaneeko rathapar apane bagalamen baithaakar sasammaan le gaye.
hunkaara detee mahilaaen kahateen- 'haav o maany haav, shreekrishnajee to jaanata tha ki raaeekee galatee nee haaee, pan ee shiksha thee sabaka len, ki kadee bhee bada़o aadamee chhota kh nukasaan nee pahunchaav, haav o maany 'haava'
telee-telanane bhee apanee betee jaisee raaeekee bida karee aur daamaada-jaise shreekrishnakee aava-bhagat karee.
raaeepataraaneesahit shreekrishnajeeka rath jaise hee teleeke gharase chala, vaise hee galeemen muda़te hee teleekee ghaas phoosakee jhopada़eekee jagah ek bada़a kanchana-mahal khada़a ho gayaa. daasa-daasee, naukara-chaakar sab ho gaye. telee telanake phate kapada़e shareerapar hee reshamee-jareeke ho gaye.
telee bolaa-'sun o syaanee! raaja n apano nyaay ketto achchho karyo . '
hunkaara detee mahilaaen kahateen- 'haav o maany haav "jeko ghar saakshaat bhagavaan‌kee aadhee kaaya rahega, okee to aseej takadeer badal gaa.'
kathaa-vaartaakee phalashruti nimaada़eemen sunaate hue aajee maanyane kahaa- 'bhagavaan n jasa raaee pataraaneeko aadar karyo, aso sabako kara. bhagavaan n jasa telee telenapar tushtamaan huya, asa sabapar hoya.'
bhaavaartha- 'bhagavaanne jaise telee-telanapar kripa karee, teleeke din phere, aise sabake pheren.'
shrota mahilaaen hunkaara dete hue boleen- 'haav o maany haava.'
nyaay bhee aisa ki jisakee kshati huee hai, useese usakee bharapaaeeka nyaay poochhana, yah hamaaree udaaravaadee paramparaaka anupam udaaharan hai. teleeko pata hee naheen tha, ki usakee kshati huee, par raajaaka pharj hai, prajaake nukasaanakee bharapaaee karanaa. teleeko laga, ahasaas hua ki usake saath bharapoor nyaay hua hai.
hamaare vrata-upavaasakee kathaaen maatr kathaaen naheen hain, ye jeevanako sanyamit susanskaarit karanekee, jnaana-neetikee jeetee-jaagatee paathashaalaaen hain. tabhee ye kathaaen-paramparaaen | aajatak dhaaraakee bhaanti pravaahit hotee a rahee hain, inake moolamen nirmal manobhaavonke ajastr srot hain.

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