⮪ All Stories / कथा / कहानियाँ

वह तुम ही हो  [शिक्षदायक कहानी]
Shikshaprad Kahani - प्रेरक कहानी (हिन्दी कहानी)

अरुणके पुत्र उद्दालकका एक लड़का श्वेतकेतु था। उससे एक दिन पिताने कहा, 'श्वेतकेतो! तू गुरुकुलमें जाकर ब्रह्मचर्य का पालन कर; क्योंकि हमारे कुलमें कोई भी पुरुष स्वाध्यायरहित ब्रह्मबन्धु नहीं हुआ।'

तदनन्तर श्वेतकेतु गुरुकुलमें गया और वहाँ उपनयन कराकर बारह वर्षतक विद्याध्ययन करता रहा। जब वह अध्ययन समाप्त करके घर लौटा, तब उसे अपनी विद्याका बड़ा अहंकार हो गया। पिताने उसकी यह दशा देखकर उससे पूछा-'सौम्य तुम्हें जो अपने पाण्डित्यका इतना अभिमान हो रहा है, सो क्या तुम्हें उस एक वस्तुका ज्ञान है, जिसके जान लेनेपर सारी वस्तुओंका ज्ञान हो जाता है, जिस एकके सुन लेनेसे सारी सुनने योग्य वस्तुओंका श्रवण तथा जिसे विचार लेनेपर सभी विचारणीय वस्तुओंका विचार हो जाता है?"

श्वेतकेतुने कहा- 'मैं तो ऐसी किसी भी वस्तुका ज्ञान नहीं रखता। ऐसा ज्ञान हो भी कैसे सकता है ?" पिताने कहा- 'जिस प्रकार एक मृत्तिकाके जान लेनेपर घट, शरावादि सम्पूर्ण मिट्टीके पदार्थोंका ज्ञान हो जाता है। अथवा जिस प्रकार एक सुवर्णको जान लेनेपर सम्पूर्ण कड़े, मुकुट, कुण्डल एवं पात्रादि सभी सुवर्णके पदार्थ जान लिये जाते हैं। अथवा एक लोहेके नखछेदनीसे सम्पूर्ण लोहेके पदार्थोंका ज्ञान हो जाता है कि तत्त्व तो केवल लोहा है टाँकी, कुदाल,नखछेदनी, तलवार आदि तो वाणीके विकार हैं।'

इसपर श्वेतकेतुने कहा- 'पिताजी! पूज्य गुरुदेवने मुझे इस प्रकारकी कोई शिक्षा नहीं दी। अब आप ही मुझे उस तत्त्वत्का उपदेश करें, सचमुच मेरा ज्ञान अत्यन्त अल्प तथा नगण्य है।' इसपर पिताने कहा 'आरम्भमें यह एकमात्र अद्वितीय सत् था। उसने विचार किया कि मैं बहुत हो जाऊँ। उसने तेज (अग्नि) उत्पन्न किया। तेजसे जल, जलसे अन्न और पुनः सब अन्य पदार्थ उत्पन्न किये। कहीं भी जो लाल रंगकी वस्तु है वह अग्रिका अंश है, शुक्ल वस्तु जलका अंश है तथा कृष्ण वस्तु अन्नका अंश है। अतएव इस विश्वमें अग्नि, जल और अन्न ही तत्त्व हैं। इन तीनोंके ज्ञानसे विश्वकी सारी वस्तुओंका ज्ञान हो जाता है। अथवा इन सभीके भी मूल 'सत्तत्त्व' के जान लेनेपर पुनः कुछ भी ज्ञेय अवशिष्ट नहीं रह जाता।'

श्वेतकेतुके आग्रहपर आरुणिने पुनः इस तत्त्वका दही, मधु, नदी एवं वृक्षादिके उदाहरणसे बोध कराया और बतलाया कि सत्से उत्पन्न होनेके कारण ये सब सत् आत्मा ही हैं और वह आत्मा तुम ही हो। इस प्रकार श्वेतकेतुने सच्चा ज्ञान पाया कि एक परमात्मा के जान लेने, चिन्तन करने, आराधन-पूजन करनेसे सबकी जानकारी, आराधना हो जाती है।

-जा0 श0 (छान्दोग्य0)



You may also like these:

आध्यात्मिक कथा माता जीजाबाई
आध्यात्मिक कहानी बोध-सूक्ति- पीयूष
हिन्दी कहानी ज्ञानपिपासु
प्रेरक कहानी जरूरतमन्दोंकी सेवा
शिक्षदायक कहानी सहायता लेनेमें संकोच
आध्यात्मिक कहानी महत्त्वपूर्ण दान


vah tum hee ho

arunake putr uddaalakaka ek lada़ka shvetaketu thaa. usase ek din pitaane kaha, 'shvetaketo! too gurukulamen jaakar brahmachary ka paalan kara; kyonki hamaare kulamen koee bhee purush svaadhyaayarahit brahmabandhu naheen huaa.'

tadanantar shvetaketu gurukulamen gaya aur vahaan upanayan karaakar baarah varshatak vidyaadhyayan karata rahaa. jab vah adhyayan samaapt karake ghar lauta, tab use apanee vidyaaka bada़a ahankaar ho gayaa. pitaane usakee yah dasha dekhakar usase poochhaa-'saumy tumhen jo apane paandityaka itana abhimaan ho raha hai, so kya tumhen us ek vastuka jnaan hai, jisake jaan lenepar saaree vastuonka jnaan ho jaata hai, jis ekake sun lenese saaree sunane yogy vastuonka shravan tatha jise vichaar lenepar sabhee vichaaraneey vastuonka vichaar ho jaata hai?"

shvetaketune kahaa- 'main to aisee kisee bhee vastuka jnaan naheen rakhataa. aisa jnaan ho bhee kaise sakata hai ?" pitaane kahaa- 'jis prakaar ek mrittikaake jaan lenepar ghat, sharaavaadi sampoorn mitteeke padaarthonka jnaan ho jaata hai. athava jis prakaar ek suvarnako jaan lenepar sampoorn kada़e, mukut, kundal evan paatraadi sabhee suvarnake padaarth jaan liye jaate hain. athava ek loheke nakhachhedaneese sampoorn loheke padaarthonka jnaan ho jaata hai ki tattv to keval loha hai taankee, kudaal,nakhachhedanee, talavaar aadi to vaaneeke vikaar hain.'

isapar shvetaketune kahaa- 'pitaajee! poojy gurudevane mujhe is prakaarakee koee shiksha naheen dee. ab aap hee mujhe us tattvatka upadesh karen, sachamuch mera jnaan atyant alp tatha nagany hai.' isapar pitaane kaha 'aarambhamen yah ekamaatr adviteey sat thaa. usane vichaar kiya ki main bahut ho jaaoon. usane tej (agni) utpann kiyaa. tejase jal, jalase ann aur punah sab any padaarth utpann kiye. kaheen bhee jo laal rangakee vastu hai vah agrika ansh hai, shukl vastu jalaka ansh hai tatha krishn vastu annaka ansh hai. ataev is vishvamen agni, jal aur ann hee tattv hain. in teenonke jnaanase vishvakee saaree vastuonka jnaan ho jaata hai. athava in sabheeke bhee mool 'sattattva' ke jaan lenepar punah kuchh bhee jney avashisht naheen rah jaataa.'

shvetaketuke aagrahapar aarunine punah is tattvaka dahee, madhu, nadee evan vrikshaadike udaaharanase bodh karaaya aur batalaaya ki satse utpann honeke kaaran ye sab sat aatma hee hain aur vah aatma tum hee ho. is prakaar shvetaketune sachcha jnaan paaya ki ek paramaatma ke jaan lene, chintan karane, aaraadhana-poojan karanese sabakee jaanakaaree, aaraadhana ho jaatee hai.

-jaa0 sha0 (chhaandogya0)

107 Views





Bhajan Lyrics View All

सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
राधा कट दी है गलिआं दे मोड़ आज मेरे
श्याम ने आना घनश्याम ने आना
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥

New Bhajan Lyrics View All

छोड़ जगत के काम छोड़ सीना जोरी रे,
ले लो हरि का नाम जिंदगी थोड़ी है...
शंभू ये तेरी माया,
कहीं है धूप,
मालिक तेरे जहां में,
इतनी बड़े जहां में,
माँ है सच्ची सरकार मेरी अम्बें रानी,
भक्तों की पालनहार मेरी अम्बें रानी,
जग ये मुझे क्या लुभाये भला क्या भटकाए,
जब खाटूवाला राह दिखाए,