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बोध-सूक्ति- पीयूष  [आध्यात्मिक कहानी]
प्रेरक कहानी - प्रेरक कहानी (Spiritual Story)

बोध-सूक्ति- पीयूष

'अनिर्वेदः सिद्धेर्मूलम् ॥'-निराशाका अभाव हो सफलताका मूल है।

'न सन्देहदेहो वीरव्रतनिर्वाहः ॥ ' - वीरोचित आचरण संशयग्रस्त मनसे नहीं किया जा सकता।

'शतभंगीभवद्भद्रा महतां हि प्रसत्तयः ॥ ' - महापुरुषोंकी प्रसन्नता सैकड़ों रूपोंमें कल्याणदायिनी होती है।



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bodha-sookti- peeyoosha

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'anirvedah siddhermoolam ..'-niraashaaka abhaav ho saphalataaka mool hai.

'n sandehadeho veeravratanirvaahah .. ' - veerochit aacharan sanshayagrast manase naheen kiya ja sakataa.

'shatabhangeebhavadbhadra mahataan hi prasattayah .. ' - mahaapurushonkee prasannata saikaड़on rooponmen kalyaanadaayinee hotee hai.

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आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
मेरी बाँह पकड़ लो इक बार,सांवरिया
मैं तो जाऊँ तुझ पर कुर्बान, सांवरिया
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
दुनिया का बन कर देख लिया, श्यामा का बन
राधा नाम में कितनी शक्ति है, इस राह पर
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा

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परलों घोर विपैत में उबरय के नय अछि आश,
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खुली हवा में महक श्याम की भक्तों को है
कीर्तन की है रात सभी के कष्ट मिटाने आई,
ओ बन्दे तेरी कोड़ी लगे ना कोई दाम,
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