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माता जीजाबाई  [आध्यात्मिक कथा]
Hindi Story - Wisdom Story (हिन्दी कथा)

माता जीजाबाई

महाराष्ट्रके एक गाँवमें एक छोटी-सी बच्ची खेल रही थी। अकस्मात् कुछ यवन सैनिक एक मन्दिरको तोड़नेके लिये आ पहुँचे। उस नन्ही बच्चीने प्रतिरोध किया। सैनिकोंने बच्चीका उपहासकर उसे एक तरफ हटा दिया और मन्दिर गिरानेके लिये हथौड़ा चलाने लगे। बच्ची पुनः डटकर खड़ी हो गयी। उसने कहा-'पहले मेरे सिरपर हथौड़ा चलेगा, फिर देवताके मन्दिरको छू सकोगे। मैं जीते जी मन्दिरको गिराने नहीं दूँगी। देवताने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, जो मन्दिरको गिरानेका दुष्ट प्रयास कर रहे हो ?'
उन दिनों मन्दिर प्रतिदिन गिरते थे। रोज-रोज ऐसे दृश्योंको देखकर लोगोंकी संवेदनाके तन्तु प्रायः मर चुके थे। उन्हें अनुभव ही नहीं होता था कि कोई विशेष घटना घटित हो रही है। किंतु बच्ची वह सब सहन न कर सकी। कुछ देर पश्चात् उसके माता-पिताको सूचना मिली और वे उसे खींचकर घर ले गये और उसकी इच्छाके विरुद्ध सैनिकोंसे संघर्षको रोकने हेतु उसको एक कमरेमें बन्द कर दिया। बच्ची कमरेकी खिड़कीसे देवालय गिरनेका यह असह्य दृश्य देख रही थी तथा वहींसे दाँत पीसकर आँसू बहाती हुई सैनिकोंको चेतावनी दे रही थी कि 'तुम्हें इस पापका दण्ड देकर रहूँगी।' सैनिक बच्चीकी मजबूरीपर हँसते थे। यह नन्ही बच्ची हमारा क्या बिगाड़ लेगी! किंतु उस नन्ही बच्चीने बचपनमें जो संकल्प किया और उसी संकल्पकी पूर्तिहेतु विवाह होनेपर अपनी इष्टदेवी माता शिवा भवानीसे प्रार्थना की कि मेरे अरमानोंको पूरा करनेवाला एक धर्मरक्षक पुत्र प्रदान करो। उस बच्ची जीजाबाईके पवित्र और दृढ़ संकल्पसे ही सदा विजयी छत्रपति शिवाजी
जैसा महान् इतिहास निर्माता वीर प्रकट हुआ।
जब शाहजीका स्वर्गवास हुआ। शाहजोकी धर्मपत्नी जीजाबाई सती होने लगीं तो शिवाजी रोने लगे, 'माँ तूने मुझे जन्म दिया। तूने लोरियाँ गा-गाकर मुझे संस्कारित किया। तूने कहा कि हिन्दूपदपादशाहीकी स्थापना करनी है। माँ जिस पौधेको तूने लगाया, सींचा है, पाला-पोसा है। उस पौधेको फलवान् तो होने दे। तुम्हारे संरक्षणमें पौधा फल जाय, मैं अपने लक्ष्यतक पहुँच जाऊँ, इतना तो करो।' माँको हाथ जोड़े। माँ मान गयी। माँ अपना कर्तव्य पालन करती रही और छत्रपति शिवाजीका राजतिलक हुआ। पाँच-पाँच बादशाहोंको पछाड़कर-बीजापुर,
गोलकुण्डा, औरंगजेब, कुछ देशी शक्तियाँ, कुछ विदेशी शक्तियाँ- उन्होंने स्वतन्त्र हिन्दू राज्य स्थापित किया। राजतिलक हुआ। शहनाइयाँ बर्जी, सब और गाजे-बाजे। हुए। राष्ट्रीय नृत्य हुए-भाट आये। सब राजाओंने मस्तक झुकाया। माँने कहा—'बेटा! मेरा कार्य पूरा हो गया है। जिस कार्यके लिये जी रही थी, वह कार्य पूरा हो गया है। अगली एकादशीपर मैं जाऊँगी।' उसके 5-6 दिन बाद एकादशी आयी और जीजाबाईने शरीर छोड़ दिया। गंगाजल, तुलसीदल लिया और शरीर छोड़ दिया। यह है धन्य माता! यह है निर्मोही माता, कर्तव्यपरायण माता, यह है परित्राता माता। [ डॉ0 श्रीहरवंशलालजी ओबराय ]



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maata jeejaabaaee

maata jeejaabaaee

mahaaraashtrake ek gaanvamen ek chhotee-see bachchee khel rahee thee. akasmaat kuchh yavan sainik ek mandirako toda़neke liye a pahunche. us nanhee bachcheene pratirodh kiyaa. sainikonne bachcheeka upahaasakar use ek taraph hata diya aur mandir giraaneke liye hathauda़a chalaane lage. bachchee punah datakar khada़ee ho gayee. usane kahaa-'pahale mere sirapar hathauda़a chalega, phir devataake mandirako chhoo sakoge. main jeete jee mandirako giraane naheen doongee. devataane tumhaara kya bigaada़a hai, jo mandirako giraaneka dusht prayaas kar rahe ho ?'
un dinon mandir pratidin girate the. roja-roj aise drishyonko dekhakar logonkee sanvedanaake tantu praayah mar chuke the. unhen anubhav hee naheen hota tha ki koee vishesh ghatana ghatit ho rahee hai. kintu bachchee vah sab sahan n kar sakee. kuchh der pashchaat usake maataa-pitaako soochana milee aur ve use kheenchakar ghar le gaye aur usakee ichchhaake viruddh sainikonse sangharshako rokane hetu usako ek kamaremen band kar diyaa. bachchee kamarekee khida़keese devaalay giraneka yah asahy drishy dekh rahee thee tatha vaheense daant peesakar aansoo bahaatee huee sainikonko chetaavanee de rahee thee ki 'tumhen is paapaka dand dekar rahoongee.' sainik bachcheekee majabooreepar hansate the. yah nanhee bachchee hamaara kya bigaada़ legee! kintu us nanhee bachcheene bachapanamen jo sankalp kiya aur usee sankalpakee poortihetu vivaah honepar apanee ishtadevee maata shiva bhavaaneese praarthana kee ki mere aramaanonko poora karanevaala ek dharmarakshak putr pradaan karo. us bachchee jeejaabaaeeke pavitr aur dridha़ sankalpase hee sada vijayee chhatrapati shivaajee
jaisa mahaan itihaas nirmaata veer prakat huaa.
jab shaahajeeka svargavaas huaa. shaahajokee dharmapatnee jeejaabaaee satee hone lageen to shivaajee rone lage, 'maan toone mujhe janm diyaa. toone loriyaan gaa-gaakar mujhe sanskaarit kiyaa. toone kaha ki hindoopadapaadashaaheekee sthaapana karanee hai. maan jis paudheko toone lagaaya, seencha hai, paalaa-posa hai. us paudheko phalavaan to hone de. tumhaare sanrakshanamen paudha phal jaay, main apane lakshyatak pahunch jaaoon, itana to karo.' maanko haath joda़e. maan maan gayee. maan apana kartavy paalan karatee rahee aur chhatrapati shivaajeeka raajatilak huaa. paancha-paanch baadashaahonko pachhaada़kara-beejaapur,
golakunda, aurangajeb, kuchh deshee shaktiyaan, kuchh videshee shaktiyaan- unhonne svatantr hindoo raajy sthaapit kiyaa. raajatilak huaa. shahanaaiyaan barjee, sab aur gaaje-baaje. hue. raashtreey nrity hue-bhaat aaye. sab raajaaonne mastak jhukaayaa. maanne kahaa—'betaa! mera kaary poora ho gaya hai. jis kaaryake liye jee rahee thee, vah kaary poora ho gaya hai. agalee ekaadasheepar main jaaoongee.' usake 5-6 din baad ekaadashee aayee aur jeejaabaaeene shareer chhoda़ diyaa. gangaajal, tulaseedal liya aur shareer chhoda़ diyaa. yah hai dhany maataa! yah hai nirmohee maata, kartavyaparaayan maata, yah hai paritraata maataa. [ daॉ0 shreeharavanshalaalajee obaraay ]

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