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झूठ बोलनेका परिणाम  [बोध कथा]
हिन्दी कहानी - Short Story (हिन्दी कथा)

[8]

झूठ बोलनेका परिणाम

एक चरवाहा किसी वनमें गायें चराया करता था। चरागाहके निकटके वनमें बाघका निवास था। चरवाहा खेल-खेलमें ही कभी-कभी-बाघ आया, बाघ आया कहकर उच्च स्वरमें चिल्लाया करता था।
आसपास के लोग बाघ आनेकी बात सुनकर बड़ी व्यग्रताके साथ अपने हथियारोंसे लैस होकर उसकी सहायता करनेको वहाँ आ जाते। चरवाहा उन्हें देख खिलखिलाकर हँस पड़ता। आये हुए मुँह लेकर लौट जाते। लोग अपना सा
आखिरकार एक दिन सचमुच ही बाघने आकर उसकी गायोंपर आक्रमण कर दिया। तब चरवाहा अत्यन्त व्याकुल होकर 'बाघ आया, बाघ आया'- कहकर जोर जोरसे चिल्लाने लगा। परंतु उस दिन उसकी सहायता करने को कोई भी नहीं आया। सबने सोचा-दुष्ट चरवाहा पहले के समान ही हम लोगोंके साथ हँसी-मजाक कर रहा है।
बाघने अपने इच्छानुसार गायोंको मार डाला और अन्तमें चरवाहेका भी वध करके चल दिया। मूर्ख चरवाहा मरते समय बड़बड़ा रहा था-सर्वदा झूठ बोलनेवालेके सत्यपर भी कोई विश्वास नहीं करता। साथ लड़ना असम्भव जानकर और दूसरा कोई चारा न देखकर, साँस रोक करके मुर्देके समान धरतीपर लोट गया। उसने पहले सुन रखा था कि भालू मेरे हुए आदमीको हानि नहीं पहुँचाता।
भालूने आकर उसके नाक, कान, मुख, आँख तथा सीनेकी परीक्षा की और उसे मरा हुआ समझकर चला गया। भालूके चले जानेके बाद पहला मित्र पेड़से नीचे उतरा। उसने दूसरे मित्रसे जाकर पूछा 'भाई, भालू तुम्हें क्या कह गया? मैंने देखा कि. वह बड़ी देरतक तुम्हारे कानसे अपना मुख लगाये हुए था।'
दूसरा मित्र बोला-' भालू मुझे यही कह गया कि जो मित्र संकटके समय साथ छोड़कर भाग जाता है, उसके साथ फिर कभी बातचीत मत करना।'



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jhooth bolaneka parinaama

[8]

jhooth bolaneka parinaama

ek charavaaha kisee vanamen gaayen charaaya karata thaa. charaagaahake nikatake vanamen baaghaka nivaas thaa. charavaaha khela-khelamen hee kabhee-kabhee-baagh aaya, baagh aaya kahakar uchch svaramen chillaaya karata thaa.
aasapaas ke log baagh aanekee baat sunakar bada़ee vyagrataake saath apane hathiyaaronse lais hokar usakee sahaayata karaneko vahaan a jaate. charavaaha unhen dekh khilakhilaakar hans pada़taa. aaye hue munh lekar laut jaate. log apana saa
aakhirakaar ek din sachamuch hee baaghane aakar usakee gaayonpar aakraman kar diyaa. tab charavaaha atyant vyaakul hokar 'baagh aaya, baagh aayaa'- kahakar jor jorase chillaane lagaa. parantu us din usakee sahaayata karane ko koee bhee naheen aayaa. sabane sochaa-dusht charavaaha pahale ke samaan hee ham logonke saath hansee-majaak kar raha hai.
baaghane apane ichchhaanusaar gaayonko maar daala aur antamen charavaaheka bhee vadh karake chal diyaa. moorkh charavaaha marate samay bada़bada़a raha thaa-sarvada jhooth bolanevaaleke satyapar bhee koee vishvaas naheen karataa. saath lada़na asambhav jaanakar aur doosara koee chaara n dekhakar, saans rok karake murdeke samaan dharateepar lot gayaa. usane pahale sun rakha tha ki bhaaloo mere hue aadameeko haani naheen pahunchaataa.
bhaaloone aakar usake naak, kaan, mukh, aankh tatha seenekee pareeksha kee aur use mara hua samajhakar chala gayaa. bhaalooke chale jaaneke baad pahala mitr peड़se neeche utaraa. usane doosare mitrase jaakar poochha 'bhaaee, bhaaloo tumhen kya kah gayaa? mainne dekha ki. vah bada़ee deratak tumhaare kaanase apana mukh lagaaye hue thaa.'
doosara mitr bolaa-' bhaaloo mujhe yahee kah gaya ki jo mitr sankatake samay saath chhoda़kar bhaag jaata hai, usake saath phir kabhee baatacheet mat karanaa.'

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