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शब्दों में शक्ति-संचार  [आध्यात्मिक कथा]
Spiritual Story - छोटी सी कहानी (Spiritual Story)

शब्दों में शक्ति-संचार

डॉक्टर हेडगेवारजीके शब्द बड़े सरल होते थे, किंतु ऐसी महान् आत्माओंद्वारा उच्चरित शब्दोंमें अप्रतिकार्य शक्तिका संचार हो जाता है। एक बार डॉ0 श्यामाप्रसादजी मुखर्जी कुछ गम्भीर समस्याओंपर विचार-विमर्शकी इच्छासे डॉक्टरजीसे मिलने आये। उस समय डॉक्टरजी अत्यधिक बीमार थे। वे अधिक बात करनेकी स्थितिमें नहीं थे। अतः तय हुआ कि प्रारम्भिक बातचीत मेरे और डॉ0 मुखर्जीके बीच हो जाय, फिर अन्तिम बात वे डॉक्टरजीसे कर लेंगे। एक लम्बी बहस हुई, फिर भी डॉ॰ मुखर्जी असन्तुष्ट बने रहे। अन्तमें हम डॉक्टरजीके पास गये। डॉक्टरजीने थोड़ेसे शब्दोंमें उत्तर दिया, जिसमें वही अर्थ सन्निहित था, जो मेरेद्वारा दिये गये उत्तरमें। मुझे आश्चर्य हुआ, जब डॉ0 मुखर्जीने कहा कि अब मैं पूर्णतया सन्तुष्ट हूँ।
इस घटनासे मैंने सीखा कि व्यक्तिके चारित्र्य, तपश्चर्या और त्यागकी मात्राके अनुसार ही उसके शब्दोंमें भी शक्तिका समावेश होता है। तर्क, बहस, बुद्धिके चमत्कार इत्यादि सब उस सर्वोच्च शक्तिके समक्ष तुच्छ सिद्ध होते हैं।
ऐसे थे संघके संस्थापक हमारे डॉक्टरजी ! मनुष्यमात्रके जीवन्त हिन्दू आदर्श क्रियासिद्धिः सत्त्वे भवति महतां नोपकरणे' (महान् व्यक्ति महान् कार्योंकी सिद्धि बाह्य साधनोंसे नहीं अपितु अपनी अन्तर्निहित शक्तिके द्वारा करते हैं) – इस लोकोक्तिकी पूर्ण अभिव्यक्ति- सभी पीढ़ियोंके लिये एक मार्गदर्शक ज्योतिपुंज, जिसके प्रकाशमें वे अपने जीवनको एक गौरवमय अमर राष्ट्रीय जीवनकी उपलब्धिके लिये ढाल सके। [ श्रीमाधव सदाशिवजी गोलवलकर (गुरुजी ) ]



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shabdon men shakti-sanchaara

shabdon men shakti-sanchaara

daॉktar hedagevaarajeeke shabd bada़e saral hote the, kintu aisee mahaan aatmaaondvaara uchcharit shabdonmen apratikaary shaktika sanchaar ho jaata hai. ek baar daॉ0 shyaamaaprasaadajee mukharjee kuchh gambheer samasyaaonpar vichaara-vimarshakee ichchhaase daॉktarajeese milane aaye. us samay daॉktarajee atyadhik beemaar the. ve adhik baat karanekee sthitimen naheen the. atah tay hua ki praarambhik baatacheet mere aur daॉ0 mukharjeeke beech ho jaay, phir antim baat ve daॉktarajeese kar lenge. ek lambee bahas huee, phir bhee daॉ॰ mukharjee asantusht bane rahe. antamen ham daॉktarajeeke paas gaye. daॉktarajeene thoda़ese shabdonmen uttar diya, jisamen vahee arth sannihit tha, jo meredvaara diye gaye uttaramen. mujhe aashchary hua, jab daॉ0 mukharjeene kaha ki ab main poornataya santusht hoon.
is ghatanaase mainne seekha ki vyaktike chaaritry, tapashcharya aur tyaagakee maatraake anusaar hee usake shabdonmen bhee shaktika samaavesh hota hai. tark, bahas, buddhike chamatkaar ityaadi sab us sarvochch shaktike samaksh tuchchh siddh hote hain.
aise the sanghake sansthaapak hamaare daॉktarajee ! manushyamaatrake jeevant hindoo aadarsh kriyaasiddhih sattve bhavati mahataan nopakarane' (mahaan vyakti mahaan kaaryonkee siddhi baahy saadhanonse naheen apitu apanee antarnihit shaktike dvaara karate hain) – is lokoktikee poorn abhivyakti- sabhee peedha़iyonke liye ek maargadarshak jyotipunj, jisake prakaashamen ve apane jeevanako ek gauravamay amar raashtreey jeevanakee upalabdhike liye dhaal sake. [ shreemaadhav sadaashivajee golavalakar (gurujee ) ]

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ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
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कीरत मैया दे दे बधाई
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
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