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सबहि नचावत रामु गोसाईं  [आध्यात्मिक कहानी]
हिन्दी कथा - Hindi Story (आध्यात्मिक कथा)

'सबहि नचावत रामु गोसाईं '

कठपुतलियोंको नृत्य-अभिनय करते-करते काफी समय हो गया। एक दिन कुछ कठपुतलियोंको अपने नृत्य कौशलपर अभिमान हो आया। उन्होंने सोचा, 'हमारा नृत्य कितना आकर्षक है। हम नृत्यकला में कितनी पारंगत हैं। लोग हमारा नृत्य कितने चावसे देखते हैं, लेकिन हमें हमेशा सूत्रधारकी इच्छाके अनुरूप ही चलना पड़ता है। क्यों न, हम इससे सम्बन्ध तोड़कर स्वतन्त्र हो जायँ ।'
एक अनुभवी वृद्ध कठपुतलीने उन्हें समझाया 'तुम्हारा विचार ठीक नहीं। देखो, सूत्रधारसे सम्बन्ध तोड़नेकी नादानी मत करना, वरना तुम निष्प्राण होकर रह जाओगी। नृत्यकलाका प्रदर्शन तो दूर, तुम्हारा स्वयंका अस्तित्व ही खतरेमें पड़ जायगा', परंतु उन अभिमानी नवोदित कठपुतलियोंने उसकी एक न सुनी। इतनेमें खेल प्रारम्भ करनेका समय हो गया। सूत्रधारने जैसे ही खेल प्रारम्भ किया, उन सब कठपुतलियोंने अपने-अपने सूत्र उससे विच्छिन्न कर लिये। वे स्वतन्त्र होकर नृत्य करनेका प्रयत्न करने लगीं, किंतु आश्चर्य ! अब वे अपना कोई भी अंग संचालित करनेमें असमर्थ थीं। उन्होंने बहुतेरी कोशिश की, लेकिन वे नृत्य करनेमें सफल न हो सकीं
तभी उनकी दृष्टि उस वृद्ध कठपुतलीपर पड़ी। वह सूत्रधारके सूत्रसे जुड़ी हुई बड़ी तल्लीनतासे नृत्य कर रही थी। यह देखकर वे लज्जित होकर मन-ही-मन सूत्रधारसे क्षमा माँगने लगीं। सूत्रधारने देखा - कुछ कठपुतलियाँ सूत्र विच्छिन्न होनेके कारण निर्जीव-सी पड़ी हैं। उसने उनका अभिमान क्षमाकर फिरसे उनका सूत्र जोड़ दिया। सूत्रके जुड़ते ही फिरसे प्राणोंका संचार होनेपर वे अभिमान त्यागकर पुनः नृत्य करने लगीं।
यह देखकर वह वृद्ध कठपुतली आनन्दसे भर गयी और नृत्य करते-करते धीरे-धीरे गुनगुनाने लगी- उमा दारु जोषित की नाईं । सबहि नचावत रामु गुसाईं ॥




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sabahi nachaavat raamu gosaaeen

'sabahi nachaavat raamu gosaaeen '

kathaputaliyonko nritya-abhinay karate-karate kaaphee samay ho gayaa. ek din kuchh kathaputaliyonko apane nrity kaushalapar abhimaan ho aayaa. unhonne socha, 'hamaara nrity kitana aakarshak hai. ham nrityakala men kitanee paarangat hain. log hamaara nrity kitane chaavase dekhate hain, lekin hamen hamesha sootradhaarakee ichchhaake anuroop hee chalana pada़ta hai. kyon n, ham isase sambandh toda़kar svatantr ho jaayan .'
ek anubhavee vriddh kathaputaleene unhen samajhaaya 'tumhaara vichaar theek naheen. dekho, sootradhaarase sambandh toda़nekee naadaanee mat karana, varana tum nishpraan hokar rah jaaogee. nrityakalaaka pradarshan to door, tumhaara svayanka astitv hee khataremen pada़ jaayagaa', parantu un abhimaanee navodit kathaputaliyonne usakee ek n sunee. itanemen khel praarambh karaneka samay ho gayaa. sootradhaarane jaise hee khel praarambh kiya, un sab kathaputaliyonne apane-apane sootr usase vichchhinn kar liye. ve svatantr hokar nrity karaneka prayatn karane lageen, kintu aashchary ! ab ve apana koee bhee ang sanchaalit karanemen asamarth theen. unhonne bahuteree koshish kee, lekin ve nrity karanemen saphal n ho sakeen
tabhee unakee drishti us vriddh kathaputaleepar pada़ee. vah sootradhaarake sootrase juda़ee huee bada़ee talleenataase nrity kar rahee thee. yah dekhakar ve lajjit hokar mana-hee-man sootradhaarase kshama maangane lageen. sootradhaarane dekha - kuchh kathaputaliyaan sootr vichchhinn honeke kaaran nirjeeva-see pada़ee hain. usane unaka abhimaan kshamaakar phirase unaka sootr joda़ diyaa. sootrake juda़te hee phirase praanonka sanchaar honepar ve abhimaan tyaagakar punah nrity karane lageen.
yah dekhakar vah vriddh kathaputalee aanandase bhar gayee aur nrity karate-karate dheere-dheere gunagunaane lagee- uma daaru joshit kee naaeen . sabahi nachaavat raamu gusaaeen ..


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