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सौन्दर्यकी पवित्रता  [Story To Read]
हिन्दी कहानी - Short Story (Moral Story)

स्पेनके पेरु प्रान्तके लिमा नगरमें सोलहवीं शताब्दी में संत रोजका जन्म हुआ था। वह असाधारण रूपवती थी उसके मनमें यह धारणा परिपुष्ट हो गयी थी किमेरा सौन्दर्य भगवान्‌के लिये है और जब वह भगवान्‌के लिये है- तब परम पवित्र है । सौन्दर्य सांसारिकों की दृष्टि पड़नेपर अपवित्र हो जाता है । वह इस दिशामें सदासावधान रहती थी कि कहीं उसका शारीरिक सौन्दर्य दूसरोंके मनमें विकार उत्पन्न न कर दे। अपने निवास स्थानसे बाहर निकलनेपर वह अपने मुखपर लाल | मिर्चकी बुकनी पोत लिया करती थी; इससे मुख सूज जाता था और उसकी आकृति भद्दी दीख पड़ती थी ।

'यह तो स्वर्गकी सुन्दरी है। कितने सुन्दर और चिकने हैं इसके हाथ ! इसके बनानेवालेने अपनी सारी कला इसके सृजनमें समाप्त कर दी है।' एक नवयुवकके उद्गार थे संत रोजके प्रति । वह घरसे बाहर कहीं जारही थी । रोजके खुले हाथोंकी ओर उसकी दृष्टि चली गयी थी। नारीके अङ्ग इसीलिये ढके रहने योग्य हैं। अस्तु ।

रोज उसके इस कथनसे बहुत दु:खी हुई । जो सौन्दर्य दूसरेके मनमें वासना उत्पन्न कर दे, वह इस शरीरपर रहने योग्य नहीं है- यह सोचकर वह घरमें चली गयी। उसने अपने दोनों सुन्दर और स्निग्ध हाथोंको खौलते चूनेके पानीमें तत्काल डालकर विकृत कर दिया। अपने शरीरसे अपवित्र सौन्दर्य समाप्तकर वह प्रसन्नतासे नाच उठी।

- रा0 श्री0



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saundaryakee pavitrataa

spenake peru praantake lima nagaramen solahaveen shataabdee men sant rojaka janm hua thaa. vah asaadhaaran roopavatee thee usake manamen yah dhaarana paripusht ho gayee thee kimera saundary bhagavaan‌ke liye hai aur jab vah bhagavaan‌ke liye hai- tab param pavitr hai . saundary saansaarikon kee drishti pada़nepar apavitr ho jaata hai . vah is dishaamen sadaasaavadhaan rahatee thee ki kaheen usaka shaareerik saundary doosaronke manamen vikaar utpann n kar de. apane nivaas sthaanase baahar nikalanepar vah apane mukhapar laal | mirchakee bukanee pot liya karatee thee; isase mukh sooj jaata tha aur usakee aakriti bhaddee deekh pada़tee thee .

'yah to svargakee sundaree hai. kitane sundar aur chikane hain isake haath ! isake banaanevaalene apanee saaree kala isake srijanamen samaapt kar dee hai.' ek navayuvakake udgaar the sant rojake prati . vah gharase baahar kaheen jaarahee thee . rojake khule haathonkee or usakee drishti chalee gayee thee. naareeke ang iseeliye dhake rahane yogy hain. astu .

roj usake is kathanase bahut du:khee huee . jo saundary doosareke manamen vaasana utpann kar de, vah is shareerapar rahane yogy naheen hai- yah sochakar vah gharamen chalee gayee. usane apane donon sundar aur snigdh haathonko khaulate chooneke paaneemen tatkaal daalakar vikrit kar diyaa. apane shareerase apavitr saundary samaaptakar vah prasannataase naach uthee.

- raa0 shree0

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