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सेवाभावी महात्मा टॉलस्टॉय  [Short Story]
प्रेरक कहानी - शिक्षदायक कहानी (आध्यात्मिक कथा)

(11) सेवाभावी महात्मा टॉलस्टॉय

'टॉलस्टॉय केवल एक प्रसिद्ध साहित्यकार ही नहीं वरन् एक उच्चकोटिके सन्त भी थे। एक बार वे एक सूखाग्रस्त इलाकेसे निकल रहे थे। भूखे, पीड़ित एवं बेसहारोंको देखकर उनके हृदयमें करुणा उमड़ आयी और उनके पास जो कुछ भी था, उसे उन्होंने जरूरतमन्दोंमें बाँटना प्रारम्भ कर दिया। किसीको उन्होंने पैसे दिये तो किसीको खाना और अन्तमें एक व्यक्तिको उन्होंने अपना कोट और स्वेटर भी उतारकर दे दिया। सब देनेके पश्चात् जब वे आगे बढ़े तो एक दिव्यांग व्यक्ति उनके पास आया। उसे देखकर टॉलस्टॉयकी आँखोंमें आँसू आ गये और वे बोले-'भाई। तुम्हें देनेको अब मेरे पास कुछ भी नहीं है।' यह सुनकर उस दिव्यांग व्यक्तिने उन्हें गलेसे लगा लिया और बोला- 'आप ऐसा न बोलें। आज आपने जो प्रेम दिया है, वह बहुतोंके पास देनेको नहीं है।'



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sevaabhaavee mahaatma taॉlastaॉya

(11) sevaabhaavee mahaatma taॉlastaॉya

'taॉlastaॉy keval ek prasiddh saahityakaar hee naheen varan ek uchchakotike sant bhee the. ek baar ve ek sookhaagrast ilaakese nikal rahe the. bhookhe, peeda़it evan besahaaronko dekhakar unake hridayamen karuna umada़ aayee aur unake paas jo kuchh bhee tha, use unhonne jarooratamandonmen baantana praarambh kar diyaa. kiseeko unhonne paise diye to kiseeko khaana aur antamen ek vyaktiko unhonne apana kot aur svetar bhee utaarakar de diyaa. sab deneke pashchaat jab ve aage badha़e to ek divyaang vyakti unake paas aayaa. use dekhakar taॉlastaॉyakee aankhonmen aansoo a gaye aur ve bole-'bhaaee. tumhen deneko ab mere paas kuchh bhee naheen hai.' yah sunakar us divyaang vyaktine unhen galese laga liya aur bolaa- 'aap aisa n bolen. aaj aapane jo prem diya hai, vah bahutonke paas deneko naheen hai.'

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