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अपने लिये क्या माँगूँ  [हिन्दी कथा]
Short Story - Spiritual Story (Short Story)

अपने लिये क्या माँगूँ ?

द्वितीय महायुद्धतक यहूदियोंके देशका कहीं कोई 1 अस्तित्व नहीं था, वह सर्वप्रथम सन् 1948 ई0 में बना। कुल 27 लाख जनसंख्यावाले इस इजराइल नामक देशकी सफलता और उसकी सम्पन्नताका कारण यहूदियोंकी गहन धर्मनिष्ठा है, जो विश्वमें एक आदर्श उदाहरण है।
यहूदी अपने धर्मग्रन्थोंपर बहुत अधिक विश्वास रखते हैं और वैसे ही मातृभूमि और जातीय आदर्शोंकी रक्षाके लिये अपने निजी स्वार्थोंको हँसते हुए बलिदान कर देनेका उनका स्वभाव भी अपने-आपमें अनूठा है। आज उसीके बलपर इजराइलने इतनी प्रगति एवं आत्मनिर्भरता प्राप्त की और विश्व राजनीतिमें एक विशिष्ट स्थान बनाया है। यहूदियोंमें धर्मप्रेम और जातीय

सेवाका भाव कितना प्रबल होता है, इस सन्दर्भमें यहाँ

एक घटना प्रस्तुत है
द्वितीय महायुद्धमें ब्रिटेनके एक यहूदीने ब्रिटेनको अपने अथक परिश्रम और लगनपूर्ण वैज्ञानिक कार्योंसे युद्ध-विजयमें महत्त्वपूर्ण सहयोग दिया। उस वैज्ञानिकको उसकी विशिष्ट सैनिक सेवाओंके लिये अधिकारियोंने पुरस्कार देनेकी इच्छा प्रकट की।
एक उच्च ब्रिटिश शासनाध्यक्षने उससे प्रश्न किया 'आपने ब्रिटेनकी महान् सेवा की है, इस उपलक्ष्य में ब्रिटेन आपका सम्मान करना चाहता है। बताइये, आपकी महान सेवाओंके बदले हम आपको क्या दे सकते हैं ?'
करोड़-दो करोड़ रुपये, कोई जागीर या पद प्रतिष्ठा प्राप्त की जा सकती थी। वैज्ञानिकके मनमें एक बार भावी जीवनका रस-विलासपूर्ण आकर्षण सामने आ प्रस्तुत हुआ, किंतु दूसरे ही क्षण उसके अन्तःकरणने कहा- 'क्षुद्र, अतिक्षुद्र स्वार्थ या लौकिक वासनाके पीछे अपने धर्म, संस्कृति और जातीय हितको न भूल, कुछ माँगना है तो धर्मके लिये माँग। तू तो अन्ततः विनष्ट होगा ही, चिरंतन धर्मकी रक्षामें यदि कुछ योगदान बन सके, तो यह न केवल तेरे अपितु सारी यहूदी जातिके गौरवका एक भव्य इतिहास बनेगा।'
और तब उस वैज्ञानिकने कहा- 'मान्यवर ! यदि
आप हमें कुछ दे सकते हैं तो हम यहूदियोंकी मातृभूमि वापस कर दें, ताकि हम अपने धार्मिक आदर्शोंकी रक्षा कर सकें।' अंग्रेज बड़े कृतज्ञ थे। उन्होंने फिलिस्तीनका कुछ भाग दे दिया, जहाँ यहूदी पुनः संगठित हुए। थोड़ेसे यहूदियोंने अपने निजी स्वार्थीको त्यागकर अपनी जातिके लिये सर्वस्व त्यागके इस उदाहरणको आदर्श बनाया। सब यहूदी रेगिस्तानी इलाकेको हरा-भरा बनानेमें जुट गये और सबके सामूहिक श्रमका ही फल है कि आज इजरायल न केवल आर्थिक दृष्टिसे ही सम्पन्न है, वरन् थोड़े भूभागवाला होनेपर भी विश्वके राजनीतिक मंचपर एक विशिष्ट महत्त्व रखता है।



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apane liye kya maangoon

apane liye kya maangoon ?

dviteey mahaayuddhatak yahoodiyonke deshaka kaheen koee 1 astitv naheen tha, vah sarvapratham san 1948 ee0 men banaa. kul 27 laakh janasankhyaavaale is ijaraail naamak deshakee saphalata aur usakee sampannataaka kaaran yahoodiyonkee gahan dharmanishtha hai, jo vishvamen ek aadarsh udaaharan hai.
yahoodee apane dharmagranthonpar bahut adhik vishvaas rakhate hain aur vaise hee maatribhoomi aur jaateey aadarshonkee rakshaake liye apane nijee svaarthonko hansate hue balidaan kar deneka unaka svabhaav bhee apane-aapamen anootha hai. aaj useeke balapar ijaraailane itanee pragati evan aatmanirbharata praapt kee aur vishv raajaneetimen ek vishisht sthaan banaaya hai. yahoodiyonmen dharmaprem aur jaateeya

sevaaka bhaav kitana prabal hota hai, is sandarbhamen yahaan

ek ghatana prastut hai
dviteey mahaayuddhamen britenake ek yahoodeene britenako apane athak parishram aur laganapoorn vaijnaanik kaaryonse yuddha-vijayamen mahattvapoorn sahayog diyaa. us vaijnaanikako usakee vishisht sainik sevaaonke liye adhikaariyonne puraskaar denekee ichchha prakat kee.
ek uchch british shaasanaadhyakshane usase prashn kiya 'aapane britenakee mahaan seva kee hai, is upalakshy men briten aapaka sammaan karana chaahata hai. bataaiye, aapakee mahaan sevaaonke badale ham aapako kya de sakate hain ?'
karoda़-do karoda़ rupaye, koee jaageer ya pad pratishtha praapt kee ja sakatee thee. vaijnaanikake manamen ek baar bhaavee jeevanaka rasa-vilaasapoorn aakarshan saamane a prastut hua, kintu doosare hee kshan usake antahkaranane kahaa- 'kshudr, atikshudr svaarth ya laukik vaasanaake peechhe apane dharm, sanskriti aur jaateey hitako n bhool, kuchh maangana hai to dharmake liye maanga. too to antatah vinasht hoga hee, chirantan dharmakee rakshaamen yadi kuchh yogadaan ban sake, to yah n keval tere apitu saaree yahoodee jaatike gauravaka ek bhavy itihaas banegaa.'
aur tab us vaijnaanikane kahaa- 'maanyavar ! yadi
aap hamen kuchh de sakate hain to ham yahoodiyonkee maatribhoomi vaapas kar den, taaki ham apane dhaarmik aadarshonkee raksha kar saken.' angrej bada़e kritajn the. unhonne philisteenaka kuchh bhaag de diya, jahaan yahoodee punah sangathit hue. thoda़ese yahoodiyonne apane nijee svaartheeko tyaagakar apanee jaatike liye sarvasv tyaagake is udaaharanako aadarsh banaayaa. sab yahoodee registaanee ilaakeko haraa-bhara banaanemen jut gaye aur sabake saamoohik shramaka hee phal hai ki aaj ijaraayal n keval aarthik drishtise hee sampann hai, varan thoda़e bhoobhaagavaala honepar bhee vishvake raajaneetik manchapar ek vishisht mahattv rakhata hai.

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