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अज्ञानमें करना मूर्खता तो जानकर करना अपराध  [Hindi Story]
हिन्दी कहानी - Spiritual Story (हिन्दी कहानी)

अज्ञानमें करना मूर्खता तो जानकर करना अपराध

हेनरी थोरो (1817 - 1862 ई0) अमेरिकाके प्रधान चिन्तक एवं विचारक माने जाते हैं। इन्हींका एक निबन्ध है Civil Disobedience (सविनय आज्ञाभंग), जिसमें सत्याग्रहकी रूपरेखा दी है। महात्मा गाँधी थोरोसे बहुत प्रभावित थे और इन्हींके निबन्धके आधारपर उन्होंने अपने सन् 1930 ई0वाले आन्दोलनका नाम 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन' (Civil Disobedience movement) रखा था।
थोरो स्वयं भारतीय विचारधारासे बहुत
प्रभावित थे। उन्होंने अपने निबन्धोंमें जगह-जगह कालिदास, विष्णुपुराण, हरिवंशपुराण इत्यादिके उद्धरण दिये हैं। भारतीय विचारधारासे प्रभावित होकर वे लगभग दो वर्षतक जंगलमें आश्रम बनाकर रहे। इन्हीं दिनों उन्होंने एक किसानसे कुछ जमीन सौदा बहुत लाभका था। किसानको इससे पश्चात्ताप कि उसकी जमीन सस्ते दामोंमें निकल गयी। वह अगले दिन रात्रिमें थोरोके पास आया और गिड़गिड़ाते हुए कहने लगा- 'महाशय ! वह जमीनका सौदा वापस कर दें। मेरी स्त्री बहुत नाराज हो रही है। "कहीं बिका हुआ सौदा वापस होता है!' थोरोने उत्तर दिया। 'महाशय ! आप उचित हर्जाना ले लें। मैं गरीब आदमी हूँ। मेरे पास इससे अधिक नहीं है।' दस डालर थोरोकी ओर सरकाते हुए किसानने कहा। 'जब तुम गरीब हो तो ये दस डालर क्यों दे रहे हो?' 'अपनी मूर्खताका दण्ड । अनजानमें बाजारभावसे कमपर अपनी चीज बेच देना मूर्खता नहीं तो और क्या है' किसानने कहा।'अनजानमें बाजार भावसे कमपर अपनी चीज बेच देना मूर्खता है तुम्हारी निगाहमें, तो फिर बताओ जान-बूझकर उचित मूल्यसे कममें कोई चीज ले लेना क्या है ? कृषक! तुम जो कुछ कहते हो, वह सर्वांशमें तो ठीक नहीं है; फिर भी मैं समझता हूँ कि मैंने जान-बूझकर उचित मूल्यसे कममें तुम्हारी जमीन लेकर अपराध किया है। धन्यवाद ! तुम्हारी जमीनका सौदा वापस और तुम अपने ये दस डालर भी लेते जाओ। गलती मेरी और हर्जाना तुम दो।' थोरोने उत्तर दिया।



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ajnaanamen karana moorkhata to jaanakar karana aparaadha

ajnaanamen karana moorkhata to jaanakar karana aparaadha

henaree thoro (1817 - 1862 ee0) amerikaake pradhaan chintak evan vichaarak maane jaate hain. inheenka ek nibandh hai Civil Disobedience (savinay aajnaabhanga), jisamen satyaagrahakee rooparekha dee hai. mahaatma gaandhee thorose bahut prabhaavit the aur inheenke nibandhake aadhaarapar unhonne apane san 1930 ee0vaale aandolanaka naam 'savinay avajna aandolana' (Civil Disobedience movement) rakha thaa.
thoro svayan bhaarateey vichaaradhaaraase bahut
prabhaavit the. unhonne apane nibandhonmen jagaha-jagah kaalidaas, vishnupuraan, harivanshapuraan ityaadike uddharan diye hain. bhaarateey vichaaradhaaraase prabhaavit hokar ve lagabhag do varshatak jangalamen aashram banaakar rahe. inheen dinon unhonne ek kisaanase kuchh jameen sauda bahut laabhaka thaa. kisaanako isase pashchaattaap ki usakee jameen saste daamonmen nikal gayee. vah agale din raatrimen thoroke paas aaya aur gida़gida़aate hue kahane lagaa- 'mahaashay ! vah jameenaka sauda vaapas kar den. meree stree bahut naaraaj ho rahee hai. "kaheen bika hua sauda vaapas hota hai!' thorone uttar diyaa. 'mahaashay ! aap uchit harjaana le len. main gareeb aadamee hoon. mere paas isase adhik naheen hai.' das daalar thorokee or sarakaate hue kisaanane kahaa. 'jab tum gareeb ho to ye das daalar kyon de rahe ho?' 'apanee moorkhataaka dand . anajaanamen baajaarabhaavase kamapar apanee cheej bech dena moorkhata naheen to aur kya hai' kisaanane kahaa.'anajaanamen baajaar bhaavase kamapar apanee cheej bech dena moorkhata hai tumhaaree nigaahamen, to phir bataao jaana-boojhakar uchit moolyase kamamen koee cheej le lena kya hai ? krishaka! tum jo kuchh kahate ho, vah sarvaanshamen to theek naheen hai; phir bhee main samajhata hoon ki mainne jaana-boojhakar uchit moolyase kamamen tumhaaree jameen lekar aparaadh kiya hai. dhanyavaad ! tumhaaree jameenaka sauda vaapas aur tum apane ye das daalar bhee lete jaao. galatee meree aur harjaana tum do.' thorone uttar diyaa.

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