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सत्य ही धर्म है  [Hindi Story]
आध्यात्मिक कहानी - आध्यात्मिक कहानी (Hindi Story)

सत्य ही धर्म है

महान् सन्त गुरु नानकदेवजी एक बार सद्विचारोंका प्रचार करते हुए एक नगरमें पहुँचे। वहाँ शाह शरफ नामक फकीर रहते थे। वे गुरुजीकी ख्याति सुनकर उनका सत्संग करने पहुँचे। फकीरने नानकदेवको गृहस्थवाले कपड़े पहने देखा, तो उन्होंने सहज भावसे पूछा- 'आप तो सन्त हैं, फिर भी आपने न सिर मुँडाया है, न फकीरोंवाले कपड़े पहने हैं। ऐसा क्यों ?' नानकदेवजीने जवाब दिया- 'मैं जानता हूँ कि यदि करना ही है, तो मनको साफ करो, सिरको नहीं। कपड़े चाहे जैसे पहन लो, मनको फकीरी बनाओ। कपड़ोंका नहीं, दुर्व्यसनोंका त्याग करनेवाला ही सच्चा फकीर है।'
शाह शरफने अगला प्रश्न किया-'आप किस मत-सम्प्रदायके सन्त हैं ?' नानकदेवका उत्तर था- 'मेरा मत सत्यमार्ग है। सत्य ही मेरी जाति है, यही मेरा धर्म है।' शाह शरफने अन्तिम प्रश्न किया-'दरवेश कौन होता है ?' गुरु नानकदेवने कहा-'जो सत्यपर अविचल रहे, जो प्रेम एवं करुणा लुटाता हो, वही सच्चा दरवेश है। जो न क्रोध करे, न अभिमान, न स्वयं दुखी हो, न किसीको दुःख दे, हमेशा ईश्वरका ध्यान करता रहे और दूसरोंके सुखकी कामना करता रहे, वही सच्चा दरवेश है।'
सन्त शाह शरफकी तमाम जिज्ञासाओंका समाधान हो गया।



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saty hee dharm hai

saty hee dharm hai

mahaan sant guru naanakadevajee ek baar sadvichaaronka prachaar karate hue ek nagaramen pahunche. vahaan shaah sharaph naamak phakeer rahate the. ve gurujeekee khyaati sunakar unaka satsang karane pahunche. phakeerane naanakadevako grihasthavaale kapada़e pahane dekha, to unhonne sahaj bhaavase poochhaa- 'aap to sant hain, phir bhee aapane n sir mundaaya hai, n phakeeronvaale kapada़e pahane hain. aisa kyon ?' naanakadevajeene javaab diyaa- 'main jaanata hoon ki yadi karana hee hai, to manako saaph karo, sirako naheen. kapada़e chaahe jaise pahan lo, manako phakeeree banaao. kapada़onka naheen, durvyasanonka tyaag karanevaala hee sachcha phakeer hai.'
shaah sharaphane agala prashn kiyaa-'aap kis mata-sampradaayake sant hain ?' naanakadevaka uttar thaa- 'mera mat satyamaarg hai. saty hee meree jaati hai, yahee mera dharm hai.' shaah sharaphane antim prashn kiyaa-'daravesh kaun hota hai ?' guru naanakadevane kahaa-'jo satyapar avichal rahe, jo prem evan karuna lutaata ho, vahee sachcha daravesh hai. jo n krodh kare, n abhimaan, n svayan dukhee ho, n kiseeko duhkh de, hamesha eeshvaraka dhyaan karata rahe aur doosaronke sukhakee kaamana karata rahe, vahee sachcha daravesh hai.'
sant shaah sharaphakee tamaam jijnaasaaonka samaadhaan ho gayaa.

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