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अभ्याससे सब कुछ सम्भव  [Spiritual Story]
Wisdom Story - शिक्षदायक कहानी (Shikshaprad Kahani)

अभ्याससे सब कुछ सम्भव

राजा भोज अपने मन्त्रीके साथ कहीं दूरकी यात्रा कर रहे थे। रास्तेमें उन्होंने एक किसानको ऊबड़ खाबड़ जमीनपर गहरी नींदमें सोते देखा। राजाने मन्त्रीसे पूछा-'ऐसी ऊँची-नीची, ढेले और कंकड़ोंसे भरी हुई जमीनमें इस किसानको गहरी नींद क्यों आ गयी ? हमें तो थोड़ी अड़चन होनेपर निद्रा उचट जाती है।'
मन्त्रीने कहा- 'महाराज! यह सब अभ्यास और परिस्थितियोंपर निर्भर है। मनुष्यसे अधिक कोई कठोर नहीं और न उससे अधिक कोई कोमल होता है। परिस्थितियाँ मनुष्यको अपने अनुकूल बना लिया करती हैं।'
पर यह बात राजाको पूरी तरह नहीं जँची। मन्त्रीने कहा- 'तब इसकी परीक्षा कर ली जाय।' दोनोंने सलाह करके उस किसानको राजमहलमें रखनेका निर्णय किया, जिससे उसे कुछ दिनतक राजसी ठाठ-बाटसे रखकर जाँच की जाय। महलमें पहुँचनेपर उसके खाने, पीने और सोनेका बढ़िया से बढ़िया इन्तजाम किया
गया और उसे खूब आरामसे रखा जाने लगा। इस प्रकार कई महीने बीत गये और किसान वैसे ही राजसी जीवनका अभ्यस्त हो गया।
प्रयोगका अन्तिम दिन आ पहुँचा। मन्त्रीने किसानके पलंगपर बिछे गद्देके भीतर कुछ पत्ते और तिनके चुपकेसे रखवा दिये। राजा छिपकर देखने लगा कि देखें, इस परिवर्तनका क्या परिणाम होता है ?
किसान रातभर करवटें बदलता रहा। उसे नींद नहीं आयी। सबेरे राजा उसके पास पहुँचे तो उसने शिकायत की कि गद्देमें कुछ गड़नेवाली चीजें मालूम पड़ती हैं, जिन्होंने नींद हराम कर दी।
मन्त्रीने कहा- 'यह वही किसान है, जो कभी ढेले, और कंकड़ोंपर धूपमें पड़ा सो रहा था। आज इसे पलंगपर बिछे रुईके गद्देमें पड़े तिनके भी चुभते हैं। यह अभ्यासका ही अन्तर है।' कठोरता और कोमलताकी जैसी परिस्थितियोंका सामना करना पड़े, कुछ ही दिनों में मनुष्य उन्हींका अभ्यस्त हो जाता है।



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abhyaasase sab kuchh sambhava

abhyaasase sab kuchh sambhava

raaja bhoj apane mantreeke saath kaheen doorakee yaatra kar rahe the. raastemen unhonne ek kisaanako oobada़ khaabada़ jameenapar gaharee neendamen sote dekhaa. raajaane mantreese poochhaa-'aisee oonchee-neechee, dhele aur kankada़onse bharee huee jameenamen is kisaanako gaharee neend kyon a gayee ? hamen to thoda़ee ada़chan honepar nidra uchat jaatee hai.'
mantreene kahaa- 'mahaaraaja! yah sab abhyaas aur paristhitiyonpar nirbhar hai. manushyase adhik koee kathor naheen aur n usase adhik koee komal hota hai. paristhitiyaan manushyako apane anukool bana liya karatee hain.'
par yah baat raajaako pooree tarah naheen janchee. mantreene kahaa- 'tab isakee pareeksha kar lee jaaya.' dononne salaah karake us kisaanako raajamahalamen rakhaneka nirnay kiya, jisase use kuchh dinatak raajasee thaatha-baatase rakhakar jaanch kee jaaya. mahalamen pahunchanepar usake khaane, peene aur soneka baढ़iya se badha़iya intajaam kiyaa
gaya aur use khoob aaraamase rakha jaane lagaa. is prakaar kaee maheene beet gaye aur kisaan vaise hee raajasee jeevanaka abhyast ho gayaa.
prayogaka antim din a pahunchaa. mantreene kisaanake palangapar bichhe gaddeke bheetar kuchh patte aur tinake chupakese rakhava diye. raaja chhipakar dekhane laga ki dekhen, is parivartanaka kya parinaam hota hai ?
kisaan raatabhar karavaten badalata rahaa. use neend naheen aayee. sabere raaja usake paas pahunche to usane shikaayat kee ki gaddemen kuchh gada़nevaalee cheejen maaloom pada़tee hain, jinhonne neend haraam kar dee.
mantreene kahaa- 'yah vahee kisaan hai, jo kabhee dhele, aur kankada़onpar dhoopamen pada़a so raha thaa. aaj ise palangapar bichhe rueeke gaddemen pada़e tinake bhee chubhate hain. yah abhyaasaka hee antar hai.' kathorata aur komalataakee jaisee paristhitiyonka saamana karana pada़e, kuchh hee dinon men manushy unheenka abhyast ho jaata hai.

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