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अलौकिक भ्रातृप्रेम  [बोध कथा]
Spiritual Story - Hindi Story (हिन्दी कथा)

सरयूके स्वच्छ पुलिनपर चक्रवर्तीजीके चारों कुमार खेलने आये थे सखाओंके साथ समस्त बालकोंका विभाजन हो गया दो दलोंमें एक दलके अग्रणी हुए श्रीराम और दूसरे दलके भरतलाल श्रीरामके साथ लक्ष्मण और भरतके साथ शत्रुघ्न कुमार तो सदासे रहे रहते आये, सुतरां आज भी थे। दोनों यूथ सुसज्जित खड़े हो गये। दोनों दलोंके मध्यमें विस्तृत समतल भूमि स्थिर हो गयी। मध्यमें रेखा बना दी गयी। खेल चलने लगा। आज राजकुमार कबड्डी खेल रहे थे।लखनलाल आज उमंगमें थे। वे बार-बार भरतजीको ललकारते थे भैया! आज तो रघुनाथजी विजयी होंगे।' -'भैया! यह ललकार भरतको उल्लसित करती थी। उनके दलके बालक आज हार रहे थे एक-एक करके उनका दल कम हो रहा था। प्रत्येक बार जब लक्ष्मण आते थे, एक-दो बालकोंको छूकर ही लौटते थे। अन्तमें शत्रुघ्र भी हार गये अपने दलमें बच रहे अकेले भरत। 'अब सब लोग चुपचाप खड़े रहेंगे। भरतलाल मुझे छू लें तो विजय उनकी न छू पायें तो विजय मेरेदलकी।' श्रीराघवेन्द्रने खेलमें एक अद्भुत निर्णय दे दिया। 'आप पूरे वेगसे भागें तो सही।' लक्ष्मणजीने बड़े भाईको प्रोत्साहित किया।

भरत आये दौड़ते और श्रीराम भागे; किंतु ऐसे भागे जैसे उन्हें दौड़ना आता ही न हो। दस पग जाते-जाते तो भरतके हाथने उनकी पीठका स्पर्श कर लिया। 'भाई भरत विजयी हुए !' श्रीरामका कमलमुखप्रफुल्लित हो उठा। दोनों हाथोंसे तालियाँ बजायीं उन्होंने। लेकिन भरतका मुख नीचे झुक गया था। उनके नेत्रोंमें उल्लासके स्थानपर लज्जाका भाव था। अपने अग्रजके भ्रातृस्नेहका साक्षात् करके उनके बड़े-बड़े नेत्र भर आये थे।

'विजयी हुए भाई भरत !' श्रीराम तो उल्लास में ताली बजाते ही जा रहे थे । - सु0 सिं0



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alaukik bhraatriprema

sarayooke svachchh pulinapar chakravarteejeeke chaaron kumaar khelane aaye the sakhaaonke saath samast baalakonka vibhaajan ho gaya do dalonmen ek dalake agranee hue shreeraam aur doosare dalake bharatalaal shreeraamake saath lakshman aur bharatake saath shatrughn kumaar to sadaase rahe rahate aaye, sutaraan aaj bhee the. donon yooth susajjit khada़e ho gaye. donon dalonke madhyamen vistrit samatal bhoomi sthir ho gayee. madhyamen rekha bana dee gayee. khel chalane lagaa. aaj raajakumaar kabaddee khel rahe the.lakhanalaal aaj umangamen the. ve baara-baar bharatajeeko lalakaarate the bhaiyaa! aaj to raghunaathajee vijayee honge.' -'bhaiyaa! yah lalakaar bharatako ullasit karatee thee. unake dalake baalak aaj haar rahe the eka-ek karake unaka dal kam ho raha thaa. pratyek baar jab lakshman aate the, eka-do baalakonko chhookar hee lautate the. antamen shatrughr bhee haar gaye apane dalamen bach rahe akele bharata. 'ab sab log chupachaap khada़e rahenge. bharatalaal mujhe chhoo len to vijay unakee n chhoo paayen to vijay meredalakee.' shreeraaghavendrane khelamen ek adbhut nirnay de diyaa. 'aap poore vegase bhaagen to sahee.' lakshmanajeene bada़e bhaaeeko protsaahit kiyaa.

bharat aaye dauda़te aur shreeraam bhaage; kintu aise bhaage jaise unhen dauda़na aata hee n ho. das pag jaate-jaate to bharatake haathane unakee peethaka sparsh kar liyaa. 'bhaaee bharat vijayee hue !' shreeraamaka kamalamukhapraphullit ho uthaa. donon haathonse taaliyaan bajaayeen unhonne. lekin bharataka mukh neeche jhuk gaya thaa. unake netronmen ullaasake sthaanapar lajjaaka bhaav thaa. apane agrajake bhraatrisnehaka saakshaat karake unake bada़e-bada़e netr bhar aaye the.

'vijayee hue bhaaee bharat !' shreeraam to ullaas men taalee bajaate hee ja rahe the . - su0 sin0

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