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क्षणिक सुखकी तृष्णा विनाशका कारण बनती है  [Hindi Story]
Hindi Story - Wisdom Story (Story To Read)

4 ] क्षणिक सुखकी तृष्णा विनाशका कारण बनती है

एक दूकानमें मधुका बर्तन उलटकर गिर गया था। इससे चारों ओर मधु फैल गया। मधुकी सुगन्ध पाकर झुण्ड की - झुण्ड मक्खियाँ आकर मधु खाने लगीं। जबतक एक बूँद भी मधु पड़ा रहा, वे उस स्थानसे हिलीं नहीं। अधिक देरतक वहाँ रहनेसे क्रमश: सभी मक्खियोंके पाँव मधुसे लिपट गये। उसके बाद मक्खियाँ प्रयास करतीं रह गयीं, पर उड़ न सकीं और बादमें भी उड़नेकी आशा नहीं रही। तब वे अपने आपको धिक्कारते हुए शिकायतके स्वरमें कहने लगीं, 'हम कैसी मूर्ख हैं, क्षणिक सुखके लिये हमने प्राण दे दिये।'
इसी प्रकार जो मूर्ख मनुष्य जीभके स्वादके लोभमें पड़ जाते हैं, वे अपना स्वास्थ्य नष्ट कर देते हैं और शीघ्र ही मृत्युके मुखमें चले जाते हैं।



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kshanik sukhakee trishna vinaashaka kaaran banatee hai

4 ] kshanik sukhakee trishna vinaashaka kaaran banatee hai

ek dookaanamen madhuka bartan ulatakar gir gaya thaa. isase chaaron or madhu phail gayaa. madhukee sugandh paakar jhund kee - jhund makkhiyaan aakar madhu khaane lageen. jabatak ek boond bhee madhu pada़a raha, ve us sthaanase hileen naheen. adhik deratak vahaan rahanese kramasha: sabhee makkhiyonke paanv madhuse lipat gaye. usake baad makkhiyaan prayaas karateen rah gayeen, par uda़ n sakeen aur baadamen bhee uda़nekee aasha naheen rahee. tab ve apane aapako dhikkaarate hue shikaayatake svaramen kahane lageen, 'ham kaisee moorkh hain, kshanik sukhake liye hamane praan de diye.'
isee prakaar jo moorkh manushy jeebhake svaadake lobhamen pada़ jaate hain, ve apana svaasthy nasht kar dete hain aur sheeghr hee mrityuke mukhamen chale jaate hain.

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