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पिताका आशीर्वाद नहीं समझा  [Hindi Story]
Short Story - छोटी सी कहानी (प्रेरक कहानी)

पिताका आशीर्वाद नहीं समझा

एक युवक स्नातककी पढ़ाई कर रहा था। उसकी इच्छा थी कि पढ़ाई पूरी होनेपर, स्नातक-दिवसपर उसके पिता उसे एक स्पोर्ट्स कार उपहारमें दें। उसके पिता आर्थिक रूपसे समर्थ थे। आखिर वह दिन आया, जिसका वह बेसब्री से इन्तजार कर रहा था। वह उस कारके सपने देख रहा था, जो उसके पिता उसे खरीदकर देनेवाले थे। उसने अपने पितासे और कुछ भी तो नहीं माँगा था।
स्नातक-दिवसपर उसके पिताने पुत्रको अपने कमरेमें बुलाया और कहा कि उन्हें अपने पुत्रपर गर्व है। उन्होंने एक सुन्दर उपहारका पैकेट रंगीन, चमकीले आवरणसे सजा अपने पुत्रके हाथमें बड़े प्यारसे थमाया। पुत्र इस डिब्बेको देखकर निराश हुआ। उसने पैकेट खोलकर देखा कि एक सजिल्द बाइबिलकी किताब है और उसपर स्वर्णिम अक्षरोंमें उसका नाम अंकित है। वह आगबबूला हो गया और उसने अपने पितासे जोरसे कहा- 'क्या आप अपने पैसोंसे यही देना चाहते थे ?' इतना कहकर वह घरसे बाहर निकल गया। उसने फिर मुड़कर भी पीछे नहीं देखा।
कई साल बीत गये। वह अपने कारोबारमें व्यस्त रहा। उसने एक सुन्दर मकान बनाया और अपने परिवार के साथ आनन्दसे रहने लगा। एक दिन उसे अपने पिताकी याद आयी तो सोचा कि वे बूढ़े हो गये होंगे, उसे उनके पास जाना चाहिये। स्नातक-दिवसके बाद उनको देखा ही नहीं। वह पितासे मिलनेके लिये जानेकी तैयारी करने लगा, तभी उसे एक तार मिला कि उसके पिताका देहान्त हो गया है और वसीयतमें उन्होंने सब कुछ अपने पुत्रके नाम लिख दिया है। उसे अपने गाँव जाकर सब कुछ अपने अधिकारमें लेना है।
जब वह अपने घर पहुँचा तो उसे बहुत दुःख हुआ, उसका हृदय भर आया। उसने अपने पिताके कागजात ढूँढ़े, तो उसमें उसे वह बाइबिलकी किताब नजर आयी उसी स्थितिमें। उसकी आँखोंमें आँसू आ गये। वह उस किताबके पन्ने पलटने लगा, तभी एक कारकी चाबी किताबके पीछेवाले कवरसे गिरी। चाबीके
साथ संलग्न एक चिटपर डीलरका नाम, स्नातक दिवसकी तारीख, बिल भुगतानका विवरण लिखा हुआ था। यह चाबी उसकी चहेती स्पोर्ट्स कारकी थी।
हम कई बार स्वयंको मिलनेवाले आशीर्वादसे इसलिये वंचित हो जाते हैं कि वे हमारी कल्पनाओंके अनुसार नहीं होते हैं।



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pitaaka aasheervaad naheen samajhaa

pitaaka aasheervaad naheen samajhaa

ek yuvak snaatakakee padha़aaee kar raha thaa. usakee ichchha thee ki padha़aaee pooree honepar, snaataka-divasapar usake pita use ek sports kaar upahaaramen den. usake pita aarthik roopase samarth the. aakhir vah din aaya, jisaka vah besabree se intajaar kar raha thaa. vah us kaarake sapane dekh raha tha, jo usake pita use khareedakar denevaale the. usane apane pitaase aur kuchh bhee to naheen maanga thaa.
snaataka-divasapar usake pitaane putrako apane kamaremen bulaaya aur kaha ki unhen apane putrapar garv hai. unhonne ek sundar upahaaraka paiket rangeen, chamakeele aavaranase saja apane putrake haathamen bada़e pyaarase thamaayaa. putr is dibbeko dekhakar niraash huaa. usane paiket kholakar dekha ki ek sajild baaibilakee kitaab hai aur usapar svarnim aksharonmen usaka naam ankit hai. vah aagababoola ho gaya aur usane apane pitaase jorase kahaa- 'kya aap apane paisonse yahee dena chaahate the ?' itana kahakar vah gharase baahar nikal gayaa. usane phir muda़kar bhee peechhe naheen dekhaa.
kaee saal beet gaye. vah apane kaarobaaramen vyast rahaa. usane ek sundar makaan banaaya aur apane parivaar ke saath aanandase rahane lagaa. ek din use apane pitaakee yaad aayee to socha ki ve boodha़e ho gaye honge, use unake paas jaana chaahiye. snaataka-divasake baad unako dekha hee naheen. vah pitaase milaneke liye jaanekee taiyaaree karane laga, tabhee use ek taar mila ki usake pitaaka dehaant ho gaya hai aur vaseeyatamen unhonne sab kuchh apane putrake naam likh diya hai. use apane gaanv jaakar sab kuchh apane adhikaaramen lena hai.
jab vah apane ghar pahuncha to use bahut duhkh hua, usaka hriday bhar aayaa. usane apane pitaake kaagajaat dhoondha़e, to usamen use vah baaibilakee kitaab najar aayee usee sthitimen. usakee aankhonmen aansoo a gaye. vah us kitaabake panne palatane laga, tabhee ek kaarakee chaabee kitaabake peechhevaale kavarase giree. chaabeeke
saath sanlagn ek chitapar deelaraka naam, snaatak divasakee taareekh, bil bhugataanaka vivaran likha hua thaa. yah chaabee usakee chahetee sports kaarakee thee.
ham kaee baar svayanko milanevaale aasheervaadase isaliye vanchit ho jaate hain ki ve hamaaree kalpanaaonke anusaar naheen hote hain.

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