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खेतड़ीके महाराजके साथ भेंट  [प्रेरक कथा]
प्रेरक कथा - Wisdom Story (Spiritual Story)

खेतड़ीके महाराजके साथ भेंट

एक निरभिमानी जीवन
एक और चित्ताकर्षक घटना तब घटी, जब विवेकानन्द खेतड़ीके महाराजके यहाँ रुके हुए थे। खेतड़ीनरेश अजीतसिंह स्वामीजीके महान् प्रशंसक एवं शिष्य हो गये थे। एक शामको महाराजके मनोरंजनके लिये एक नर्तकीकी संगीतशाला आयोजित की गयी थी। स्वामीजी पासमें ही एक तम्बूमें ठहरे हुए थे, उन्हें संगीत सुननेके लिये आमन्त्रित किया गया। परंतु उन्होंने कहला भेजा कि 'संन्यासी होनेके नाते वे संगीत सभामें जाना नहीं चाहेंगे।' इससे उस नर्तकीकी भावनाको ठेस लगी। नर्तकीने स्वामीजीको मानो उत्तर देनेके लिये भक्त कवि सूरदासका निम्नलिखित पद गाया
प्रभु मेरे अवगुन चित न धरो ।
समदरसी प्रभु नाम तिहारो अपने पनहि करो ॥ इक लोहा पूजा में राखत, इक घर बधिक परो ।
यह दुविधा पारस नहिं जानत कंचन करत खरो
एक नदिया, इक नार कहावत मैलो नीर भरो। जब मिलिकै दोठ एक वरन भए सुरसरि नाम परो ॥प्रभु मेरे अवगुन चित न धरो।
सन्ध्याकी नीरवतामें गहरी चोट खायी हुई उस नर्तकीकी आवाज स्वामीजीके कानोंतक पहुँच गयी और उनके मनमें भावनाओंका परिवर्तन आ गया, जिससे उनकी आँखें एक महान् आध्यात्मिक सत्यकी ओर खुल गयीं, जिसका वे उपदेश तो दे रहे थे, परंतु जिसे वे भूल से गये थे। स्वामीजीने नर्तकीका सम्मान किया।



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khetada़eeke mahaaraajake saath bhenta

khetada़eeke mahaaraajake saath bhenta

ek nirabhimaanee jeevana
ek aur chittaakarshak ghatana tab ghatee, jab vivekaanand khetada़eeke mahaaraajake yahaan ruke hue the. khetada़eenaresh ajeetasinh svaameejeeke mahaan prashansak evan shishy ho gaye the. ek shaamako mahaaraajake manoranjanake liye ek nartakeekee sangeetashaala aayojit kee gayee thee. svaameejee paasamen hee ek tamboomen thahare hue the, unhen sangeet sunaneke liye aamantrit kiya gayaa. parantu unhonne kahala bheja ki 'sannyaasee honeke naate ve sangeet sabhaamen jaana naheen chaahenge.' isase us nartakeekee bhaavanaako thes lagee. nartakeene svaameejeeko maano uttar deneke liye bhakt kavi sooradaasaka nimnalikhit pad gaayaa
prabhu mere avagun chit n dharo .
samadarasee prabhu naam tihaaro apane panahi karo .. ik loha pooja men raakhat, ik ghar badhik paro .
yah duvidha paaras nahin jaanat kanchan karat kharo
ek nadiya, ik naar kahaavat mailo neer bharo. jab milikai doth ek varan bhae surasari naam paro ..prabhu mere avagun chit n dharo.
sandhyaakee neeravataamen gaharee chot khaayee huee us nartakeekee aavaaj svaameejeeke kaanontak pahunch gayee aur unake manamen bhaavanaaonka parivartan a gaya, jisase unakee aankhen ek mahaan aadhyaatmik satyakee or khul gayeen, jisaka ve upadesh to de rahe the, parantu jise ve bhool se gaye the. svaameejeene nartakeeka sammaan kiyaa.

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