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स्वावलम्बीका बल  [प्रेरक कथा]
Spiritual Story - Story To Read (आध्यात्मिक कहानी)

प्राचीन अरबनिवासियोंमें हातिम ताईका नाम अत्यन्त प्रसिद्ध है। वह अपनी अमित दातृत्व-शक्ति किंवा सतत दानशीलताके लिये बड़ा विख्यात था।

एक दिन उसके मित्रोंने उससे पूछा, 'हातिम! क्या तुम किसी ऐसे व्यक्तिको भी जानते हो जो तुम्हारी अपेक्षा भी अतिशय श्रेष्ठ रहा हो ?'

'हाँ' हातिमने उत्तर दिया 'वह कौन था?' मित्रोंने पूछा

हातिमने कहा—'एक दिन मैंने बहुत बड़ा भोज दिया था और उसमें हजारों आदमियोंको निमन्त्रित किया। उसी दिन कुछ समय बाद कुछ अरब मुरकोंके साथ मैं वहाँकी मरुस्थलीमें वनस्थलीकी ओर घूमने निकल गया। वहाँ मैंने एक लकड़हारेको देखा जिसनेएक बोझा काँट काट रखा था। मैंने उससे पूछा - 'भाई ! तुम हातिमके भोजमें आज क्यों नहीं सम्मिलित होने चले गये, जो यहाँ इतना श्रम कर रहे हो ?' उसने उत्तर दिया 'जो अपने जीविकोपार्जनमें स्वयं समर्थ हैं, उन्हें हातिमकी दानशीलता या भोजकी कोई अपेक्षा नहीं है।' हातिमने बतलाया, 'मित्रो! मैं उस लकड़हारेको अपनी अपेक्षा सर्वथा श्रेष्ठ मानता हूँ; क्योंकि मेरी दृष्टिमें उन दानियोंकी अपेक्षा जो दूसरोंका धन लेकर दान देते हैं या उन व्यक्तियोंकी अपेक्षा जो दूसरोंके भोजके लिये सदा मुँह ताकते रहते हैं, स्वयं परिश्रम कर उससे अपना पोषण करनेवाला व्यक्ति अतिशय श्रेष्ठ है।' हातिमके मित्र इसे सुनकर लज्जित हो गये ।

-जा0 श0



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svaavalambeeka bala

praacheen arabanivaasiyonmen haatim taaeeka naam atyant prasiddh hai. vah apanee amit daatritva-shakti kinva satat daanasheelataake liye bada़a vikhyaat thaa.

ek din usake mitronne usase poochha, 'haatima! kya tum kisee aise vyaktiko bhee jaanate ho jo tumhaaree apeksha bhee atishay shreshth raha ho ?'

'haan' haatimane uttar diya 'vah kaun thaa?' mitronne poochhaa

haatimane kahaa—'ek din mainne bahut bada़a bhoj diya tha aur usamen hajaaron aadamiyonko nimantrit kiyaa. usee din kuchh samay baad kuchh arab murakonke saath main vahaankee marusthaleemen vanasthaleekee or ghoomane nikal gayaa. vahaan mainne ek lakada़haareko dekha jisaneek bojha kaant kaat rakha thaa. mainne usase poochha - 'bhaaee ! tum haatimake bhojamen aaj kyon naheen sammilit hone chale gaye, jo yahaan itana shram kar rahe ho ?' usane uttar diya 'jo apane jeevikopaarjanamen svayan samarth hain, unhen haatimakee daanasheelata ya bhojakee koee apeksha naheen hai.' haatimane batalaaya, 'mitro! main us lakada़haareko apanee apeksha sarvatha shreshth maanata hoon; kyonki meree drishtimen un daaniyonkee apeksha jo doosaronka dhan lekar daan dete hain ya un vyaktiyonkee apeksha jo doosaronke bhojake liye sada munh taakate rahate hain, svayan parishram kar usase apana poshan karanevaala vyakti atishay shreshth hai.' haatimake mitr ise sunakar lajjit ho gaye .

-jaa0 sha0

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