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रहस्य-उद्घाटन  [Shikshaprad Kahani]
Spiritual Story - Shikshaprad Kahani (Hindi Story)

रहीम खानखाना मुसलमान होनेपर भी श्रीकृष्णके अनन्य भक्त थे। एक बार दिल्लीके बादशाहकी आज्ञा उन्होंने दक्षिण भारतके एक हिंदू राजापर चढ़ाई की। घोर युद्ध हुआ तथा अन्तमें विजय रहीम खानखानाकी हुई। उस हिंदू राजाने रहीमके पास यह प्रस्ताव भेजा कि 'अब जीत तो आपकी हो ही गयी है; ऐसी स्थिति में हमलोग परस्पर मित्र बन जाते तो मेरे लिये एक गौरवकी बात होती।' रहीम बड़े सज्जन थे। उन्होंने राजाका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया; क्योंकि किसीको भी नीचा दिखाना उन्हें अच्छा नहीं लगता था। दूसरे दिन राजाने रहीमसे यह प्रार्थना की कि आप यहाँसे जानेके पूर्व मेरे घर भोजन करें। रहीमने यह भी मान लिया तथा संध्या समय एक सिपाही साथ लेकर भोजन करने चले। वे किलेके फाटकपर पहुँचे तो उन्हें एक बालक मिला। बालकने पूछा—'खाँ साहब ! कहाँ जा रहे हैं?"

रहीम—‘राजाके यहाँ भोजन करने जा रहा हूँ।'

बालक - 'मत जाइये।'

रहीम - 'क्यों?'

बालक- 'इसलिये कि राजाके मनमें पाप है। उसने आपके भोजनमें जहर मिला दिया है। आपको मारकर फिर वह युद्ध करेगा तथा आपकी सेनाको मार भगा देगा।'

रहीम' पर मैं तो वचन दे चुका हूँ कि भोजन करूँगा।'

बालक- 'वचन तोड़ दीजिये।'

रहीम-'यह मेरे लिये बड़ा कठिन है।' इसपर वह बालक बड़ी देरतक रहीमको समझातारहा। पर रहीम जाकर भोजन करनेके पक्षमें ही रहे। उन्होंने यह दोहा कहा -

अमी पियावत मान बिनु कह रहीम न सुहाय । प्रेम सहित मरियौ भलौ, जो विष देय बुलाय किंतु बालक फिर भी उन्हें रोकता रहा । अन्तमें रहीमने हँसकर कहा- 'क्या तू भगवान् श्रीकृष्ण है जो मैं तेरी बात मान लूँ !'

अब तो बालक खिलखिलाकर हँस पड़ा और

बोला- 'कहीं मैं श्रीकृष्ण ही होऊँ तो !'

रहीम उस बालककी ओर आश्चर्यभरी दृष्टिसे देखने लगे। इतनेमें वहाँ परम दिव्य प्रकाश फैल गया और बालकके स्थानपर भगवान् श्रीकृष्ण प्रकट हो गये। माथेपर मोर मुकुट एवं फेंटमें वंशीकी विचित्र निराली शोभा थी। रहीम उनके चरणोंपर गिर पड़े। भगवान् बोले- 'अब तो नहीं जाओगे न ?'

रहीम - ' जैसी प्रभुकी आज्ञा ।' भगवान् अन्तर्धान हो गये और रहीम वहींसे लौट पड़े। आकर उसी समय उन्होंने किलेपर चढ़ाई कर दी। एक पहरके अंदर उन्होंने राजाको बंदी बना लिया। बंदी - वेषमें राजा रहीमके पास आया तो रहीमने पूछा- क्यों राजा साहब! मित्रको भी जहर दिया जाता है ?' राजाने सिर नीचा कर लिया, पर उसे अत्यन्त आश्चर्य था कि रहीम जान कैसे गये; क्योंकि उसके अतिरिक्त और किसीको भी इस बातका पता नहीं था। उसने हाथ जोड़कर पूछा-'रहीम मैं जानता हूँ कि मुझे मृत्युदण्ड मिलेगा; पर मृत्युसे पहले कृपया यह बतायें कि आप यह भेद जान कैसे गये ?' रहीमने कहा- 'मैंअपने मित्रकी हत्या नहीं करूँगा, आपको मृत्युदण्ड नहीं मिलेगा। पर वह बात मैं नहीं बताना चाहता।' राजाने पृथ्वीपर सिर रखकर कहा-' -'मुझे प्राणोंकी भीख न देकर केवल उसी बातको बता देनेकी भीख दे दें।'रहीम बोले-'अच्छी बात है; लीजिये, मेरे एवं आपके प्रभु श्रीकृष्णने यह बात बतायी है !' राजा फूट-फूटकर रोने लगा। रहीमने उसकी हथकड़ी-बेड़ी खोल दी और उसे हृदयसे लगा लिया। दोनों उस दिनसे सच्चे मित्र बन गये l



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rahasya-udghaatana

raheem khaanakhaana musalamaan honepar bhee shreekrishnake anany bhakt the. ek baar dilleeke baadashaahakee aajna unhonne dakshin bhaaratake ek hindoo raajaapar chadha़aaee kee. ghor yuddh hua tatha antamen vijay raheem khaanakhaanaakee huee. us hindoo raajaane raheemake paas yah prastaav bheja ki 'ab jeet to aapakee ho hee gayee hai; aisee sthiti men hamalog paraspar mitr ban jaate to mere liye ek gauravakee baat hotee.' raheem bada़e sajjan the. unhonne raajaaka prastaav sveekaar kar liyaa; kyonki kiseeko bhee neecha dikhaana unhen achchha naheen lagata thaa. doosare din raajaane raheemase yah praarthana kee ki aap yahaanse jaaneke poorv mere ghar bhojan karen. raheemane yah bhee maan liya tatha sandhya samay ek sipaahee saath lekar bhojan karane chale. ve kileke phaatakapar pahunche to unhen ek baalak milaa. baalakane poochhaa—'khaan saahab ! kahaan ja rahe hain?"

raheema—‘raajaake yahaan bhojan karane ja raha hoon.'

baalak - 'mat jaaiye.'

raheem - 'kyon?'

baalaka- 'isaliye ki raajaake manamen paap hai. usane aapake bhojanamen jahar mila diya hai. aapako maarakar phir vah yuddh karega tatha aapakee senaako maar bhaga degaa.'

raheema' par main to vachan de chuka hoon ki bhojan karoongaa.'

baalaka- 'vachan toda़ deejiye.'

raheema-'yah mere liye bada़a kathin hai.' isapar vah baalak bada़ee deratak raheemako samajhaataarahaa. par raheem jaakar bhojan karaneke pakshamen hee rahe. unhonne yah doha kaha -

amee piyaavat maan binu kah raheem n suhaay . prem sahit mariyau bhalau, jo vish dey bulaay kintu baalak phir bhee unhen rokata raha . antamen raheemane hansakar kahaa- 'kya too bhagavaan shreekrishn hai jo main teree baat maan loon !'

ab to baalak khilakhilaakar hans pada़a aura

bolaa- 'kaheen main shreekrishn hee hooon to !'

raheem us baalakakee or aashcharyabharee drishtise dekhane lage. itanemen vahaan param divy prakaash phail gaya aur baalakake sthaanapar bhagavaan shreekrishn prakat ho gaye. maathepar mor mukut evan phentamen vansheekee vichitr niraalee shobha thee. raheem unake charanonpar gir pada़e. bhagavaan bole- 'ab to naheen jaaoge n ?'

raheem - ' jaisee prabhukee aajna .' bhagavaan antardhaan ho gaye aur raheem vaheense laut pada़e. aakar usee samay unhonne kilepar chadha़aaee kar dee. ek paharake andar unhonne raajaako bandee bana liyaa. bandee - veshamen raaja raheemake paas aaya to raheemane poochhaa- kyon raaja saahaba! mitrako bhee jahar diya jaata hai ?' raajaane sir neecha kar liya, par use atyant aashchary tha ki raheem jaan kaise gaye; kyonki usake atirikt aur kiseeko bhee is baataka pata naheen thaa. usane haath joda़kar poochhaa-'raheem main jaanata hoon ki mujhe mrityudand milegaa; par mrityuse pahale kripaya yah bataayen ki aap yah bhed jaan kaise gaye ?' raheemane kahaa- 'mainapane mitrakee hatya naheen karoonga, aapako mrityudand naheen milegaa. par vah baat main naheen bataana chaahataa.' raajaane prithveepar sir rakhakar kahaa-' -'mujhe praanonkee bheekh n dekar keval usee baatako bata denekee bheekh de den.'raheem bole-'achchhee baat hai; leejiye, mere evan aapake prabhu shreekrishnane yah baat bataayee hai !' raaja phoota-phootakar rone lagaa. raheemane usakee hathakada़ee-beda़ee khol dee aur use hridayase laga liyaa. donon us dinase sachche mitr ban gaye l

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