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खुशी बाँटो, खुश रहो  [Wisdom Story]
Short Story - Hindi Story (Hindi Story)

खुशी बाँटो, खुश रहो

एक कंजूस सेठ था। उसकी कंजूसीके कारण पड़ोसी, मित्र, रिश्तेदार यहाँतक कि उसकी पत्नी और बेटे भी उससे नाराज थे। बेटे अपनी माँको लेकर अलग रहते । अन्य लोग उससे बाततक नहीं करते। सेठ शुरू शुरू में तो बड़ा खुश रहा कि चलो अच्छा हुआ, अब बचत-ही-बचत होगी, लेकिन कुछ ही दिनों बाद वह बोर हो गया। अकेलेपनके कारण जल्दी ही उसे बीमारीने घेर लिया। उसने खूब इलाज कराया, पर कोई लाभ नहीं हुआ।
सेठकी दिनों-दिन खराब होती हालतपर एक सज्जन पड़ोसीको दया आ गयी। उसने सेठके पास जानेका निश्चय किया। वह अनाजके दानोंसे भरा एक थैला सेठके पास ले गया। बोला-'सेठजी! अगर आपको अपनी खुशियाँ दोबारा चाहिये, और सेहत ठीक करनी हो तो रोज सुबह आप एक मुट्ठी अनाज अपने आँगनमें बिखेर दिया करें, फिर आपको अपने-आप पता चल जायगा कि इसका कितना फायदा है।' सेठने पड़ोसीका कहना मानकर, दूसरे दिन सुबह जैसे ही आँगनमें अनाज बिखेरा, कुछ समय बाद ही तरह तरहके पंछी उसके आँगनमें उतर आये। सारा आँगन पक्षियोंकी मधुर चहचहाहटसे गूँज उठा। पक्षी बहुत देरतक सेठके आँगनमें फुदकते रहे। सेठको बड़ा आनन्द आ रहा था।
अब तो सेठका यह रोजका क्रम बन गया। सुबह आँगनमें अनाज बिखेरता और पक्षियोंका मधुर कलरव सुनता, उनकी मनमानी गतिविधियाँ देखता। धीरे-धीरे तबीयत ठीक होने लगी। उसे भूख भी अच्छी तरह लगने लगी।
सेठ समझ नहीं पाया कि आँगनमें अनाजके दाने बिखेरनेसे ही उसकी तबीयत कैसे ठीक हो गयी। एक दिन वह नहा-धोकर एक डिब्बा मिठाईका खरीदकर अपने उस पड़ोसीके घर गया। पड़ोसीको सेठके हाथमें मिठाईका डिब्बा देखकर बहुत आश्चर्य हुआ। उसने सेठको प्रेमपूर्वक बैठाया, उसका हालचाल पूछा। सेठने कहा- 'भाई साहब! आपके बताये उपायसे मेरी तबीयत बिलकुल ठीक हो गयी है। पर मुझे यह बताइये, इसमें राजकी क्या बात है ?'
पड़ोसीने मुसकराकर कहा-'राजकी कोई बात नहीं सेठजी! आपके स्वास्थमें सुधार सुबह पक्षियोंक आने, उनकी मधुर आवाज सुनने और आनन्दित होनेके कारण हुआ है। दरअसल आप समाजसे दूर होकर अकेलेपन के शिकार हो गये थे और मन-ही-मन घुटने लगे। खुशियाँ बाँटनेसे ही खुशियाँ मिलती हैं।'
सेठको अपनी गलती समझमें आ गयी। उसने उसी दिनसे कंजूसी त्याग दी। पत्नी और बेटोंको भी सुधरनेका वादाकर बुलवा लिया और मस्तीमें जीने लगा।
स्वस्थ जीवनका आधार आनन्द



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khushee baanto, khush raho

khushee baanto, khush raho

ek kanjoos seth thaa. usakee kanjooseeke kaaran pada़osee, mitr, rishtedaar yahaantak ki usakee patnee aur bete bhee usase naaraaj the. bete apanee maanko lekar alag rahate . any log usase baatatak naheen karate. seth shuroo shuroo men to bada़a khush raha ki chalo achchha hua, ab bachata-hee-bachat hogee, lekin kuchh hee dinon baad vah bor ho gayaa. akelepanake kaaran jaldee hee use beemaareene gher liyaa. usane khoob ilaaj karaaya, par koee laabh naheen huaa.
sethakee dinon-din kharaab hotee haalatapar ek sajjan pada़oseeko daya a gayee. usane sethake paas jaaneka nishchay kiyaa. vah anaajake daanonse bhara ek thaila sethake paas le gayaa. bolaa-'sethajee! agar aapako apanee khushiyaan dobaara chaahiye, aur sehat theek karanee ho to roj subah aap ek mutthee anaaj apane aanganamen bikher diya karen, phir aapako apane-aap pata chal jaayaga ki isaka kitana phaayada hai.' sethane pada़oseeka kahana maanakar, doosare din subah jaise hee aanganamen anaaj bikhera, kuchh samay baad hee tarah tarahake panchhee usake aanganamen utar aaye. saara aangan pakshiyonkee madhur chahachahaahatase goonj uthaa. pakshee bahut deratak sethake aanganamen phudakate rahe. sethako bada़a aanand a raha thaa.
ab to sethaka yah rojaka kram ban gayaa. subah aanganamen anaaj bikherata aur pakshiyonka madhur kalarav sunata, unakee manamaanee gatividhiyaan dekhataa. dheere-dheere tabeeyat theek hone lagee. use bhookh bhee achchhee tarah lagane lagee.
seth samajh naheen paaya ki aanganamen anaajake daane bikheranese hee usakee tabeeyat kaise theek ho gayee. ek din vah nahaa-dhokar ek dibba mithaaeeka khareedakar apane us pada़oseeke ghar gayaa. pada़oseeko sethake haathamen mithaaeeka dibba dekhakar bahut aashchary huaa. usane sethako premapoorvak baithaaya, usaka haalachaal poochhaa. sethane kahaa- 'bhaaee saahaba! aapake bataaye upaayase meree tabeeyat bilakul theek ho gayee hai. par mujhe yah bataaiye, isamen raajakee kya baat hai ?'
paड़oseene musakaraakar kahaa-'raajakee koee baat naheen sethajee! aapake svaasthamen sudhaar subah pakshiyonk aane, unakee madhur aavaaj sunane aur aanandit honeke kaaran hua hai. daraasal aap samaajase door hokar akelepan ke shikaar ho gaye the aur mana-hee-man ghutane lage. khushiyaan baantanese hee khushiyaan milatee hain.'
sethako apanee galatee samajhamen a gayee. usane usee dinase kanjoosee tyaag dee. patnee aur betonko bhee sudharaneka vaadaakar bulava liya aur masteemen jeene lagaa.
svasth jeevanaka aadhaar aananda

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