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राजकविकी चतुराई  [शिक्षदायक कहानी]
आध्यात्मिक कथा - प्रेरक कथा (Hindi Story)

राजकविकी चतुराई

अकबरके सेनापति मानसिंहके मनमें एक बार श्रीलंकापर चढ़ाईकर उसे जीतनेका भूत सवार हो गया। एक तो राजपूत, दूसरे जवान। बहुत प्रकारसे लोगोंने उन्हें समझाया, पर सब बेअसर। युद्धके लिये प्रयाण विषयक तैयारियाँ होने लगीं। अन्तमें कुछ वृद्धजनोंने राजकविको इस दिशामें कुछ प्रयास करनेका अनुरोध किया। कविवरने समय आनेपर कुछ करनेका आश्वासन दिया। प्रस्थानहेतु मुहूर्त आनेपर कूच करनेकी तैयारी होने लगी। प्रस्थानका बिगुल बज गया। राजा मानसिंह घोड़ेपर सवार होने जा ही रहे थे कि राजकवि सामने आ गये। उन्होंने तत्काल एक सोरठा पढ़ा
रघुपति कीन्हो दान, विप्र विभीषन मानि कै।
मान महीपति मान, दियो दान किमि लीजिबो ॥
'हे राजा मानसिंह! मान जाइये। आप यह क्या करने जा रहे हैं ? लंकाको तो आपके पूर्वज श्रीराम विप्र विभीषणको दान कर चुके हैं। क्या दी हुई वस्तुको लेनेका आपका प्रयास युक्तिसंगत है ?"
मानसिंह लजा गये, उनके पैर ठिठक गये। सेना निरर्थक तबाहीसे बच गयी।



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raajakavikee chaturaaee

raajakavikee chaturaaee

akabarake senaapati maanasinhake manamen ek baar shreelankaapar chadha़aaeekar use jeetaneka bhoot savaar ho gayaa. ek to raajapoot, doosare javaana. bahut prakaarase logonne unhen samajhaaya, par sab beasara. yuddhake liye prayaan vishayak taiyaariyaan hone lageen. antamen kuchh vriddhajanonne raajakaviko is dishaamen kuchh prayaas karaneka anurodh kiyaa. kavivarane samay aanepar kuchh karaneka aashvaasan diyaa. prasthaanahetu muhoort aanepar kooch karanekee taiyaaree hone lagee. prasthaanaka bigul baj gayaa. raaja maanasinh ghoda़epar savaar hone ja hee rahe the ki raajakavi saamane a gaye. unhonne tatkaal ek soratha padha़a
raghupati keenho daan, vipr vibheeshan maani kai.
maan maheepati maan, diyo daan kimi leejibo ..
'he raaja maanasinha! maan jaaiye. aap yah kya karane ja rahe hain ? lankaako to aapake poorvaj shreeraam vipr vibheeshanako daan kar chuke hain. kya dee huee vastuko leneka aapaka prayaas yuktisangat hai ?"
maanasinh laja gaye, unake pair thithak gaye. sena nirarthak tabaaheese bach gayee.

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कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
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होरी का तोहे बड़ा चाव...
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
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सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
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मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
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यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
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