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महापुरुषोंके अपमानसे पतन  [Spiritual Story]
छोटी सी कहानी - Spiritual Story (Wisdom Story)

वृत्रासुरका वध करनेपर देवराज इन्द्रको ब्रह्महत्या लगी। इस पापके भयसे वे जाकर एक सरोवरमें छिप गये। देवताओंको जब ढूँढ़नेपर भी देवराजका पता नहीं लगा, तब वे बड़े चिन्तित हुए। स्वर्गका राज्यसिंहासन सूना रहे तो त्रिलोकीमें सुव्यवस्था कैसे रह सकती हैं। अन्तमें देवताओंने देवगुरु बृहस्पतिकी सलाहसे राजा नहुषको इन्द्रके सिंहासनपर तबतक लिये बैठाया, जबतक इन्द्रका पता न लग जाय इन्द्रत्व पाकर राजा नहुष प्रभुताके मदसे मदान्ध हो । गये। उन्होंने इन्द्रपत्नी शचीदेवीको अपनी पत्नी बनाना चाहा। शचीके पास दूतके द्वारा उन्होंने संदेश भेजा-'मैं जब इन्द्र हो चुका हूँ, इन्द्राणीको मुझे स्वीकार करना ही चाहिये।'

पतिव्रता शचीदेवी बड़े संकटमें पड़ीं। अपने पति की अनुपस्थितिमें पतिके राज्यमें अव्यवस्था हो, यह भी उन्हें स्वीकार नहीं था और अपना पातिव्रत्य भी उन्हें परम प्रिय था। वे भी देवगुरुकी शरणमें पहुंचीं बृहस्पतिजीने उन्हें आश्वासन देकर युक्ति बतला दी। देवगुरुके आदेशानुसार शचीने उस दूतके द्वारा नहुषको कहला दिया- 'यदि राजेन्द्र नहुष ऐसी पालकीपर बैठकर मेरे पास आवें जिसे सप्तर्षि ढो रहे हों तो मैं उनकी सेवामें उपस्थित हो सकती हूँ।'काम एवं अधिकारके मदसे मतवाले नहुने | महर्षियोंको पालकी ले चलनेकी आज्ञा दे दी। राग-द्वेष | तथा मानापमानसे रहित सप्तर्षिगणोंने नहुषकी पालकी उठा ली। लेकिन वे ऋषिगण इस भयसे कि पैरेकि नीचे कोई चींटी या अन्य क्षुद्र जीव दब न जायें भूमिको देख-देखकर धीरे-धीरे पैर रखते चलते थे। | उधर कामातुर नहुषको इन्द्राणीके पास शीघ्र पहुँचनेको | आतुरता थी। वे बार-बार ऋषियोंको शीघ्र चलने को कह रहे थे। लेकिन ऋषि तो अपने इच्छानुसार ही चलते रहे।

'सर्प ! सर्प !' (शीघ्र चलो ! शीघ्र चलो!) कहकर नहुषने झुंझलाकर पैर पटका। संयोगवश उनका पैर पालकी ढोते महर्षि भृगुको लग गया। महर्षिके नेत्र लाल हो उठे। पालकी उन्होंने पटक दी और हाथमें जल लेकर शाप देते हुए बोले- 'दुष्ट ! तू अपनेसे | बड़ोंके द्वारा पालकी ढुवाता है और मदान्ध होकर । पूजनीय लोगोंको पैरसे ठुकराकर 'सर्प, सर्प' कहता है, । अतः सर्प होकर यहाँसे गिर !'

महर्षि भृगुके शाप देते ही नहुषका तेज नष्ट हो गया। भयके मारे वे काँपने लगे। शीघ्र ही वे बड़े भारी अजगर होकर स्वर्गसे पृथ्वीपर गिर पड़े।

- सु0 सिं0 ( महाभारत, उद्योग0 10- 16)



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mahaapurushonke apamaanase patana

vritraasuraka vadh karanepar devaraaj indrako brahmahatya lagee. is paapake bhayase ve jaakar ek sarovaramen chhip gaye. devataaonko jab dhoonढ़nepar bhee devaraajaka pata naheen laga, tab ve bada़e chintit hue. svargaka raajyasinhaasan soona rahe to trilokeemen suvyavastha kaise rah sakatee hain. antamen devataaonne devaguru brihaspatikee salaahase raaja nahushako indrake sinhaasanapar tabatak liye baithaaya, jabatak indraka pata n lag jaay indratv paakar raaja nahush prabhutaake madase madaandh ho . gaye. unhonne indrapatnee shacheedeveeko apanee patnee banaana chaahaa. shacheeke paas dootake dvaara unhonne sandesh bhejaa-'main jab indr ho chuka hoon, indraaneeko mujhe sveekaar karana hee chaahiye.'

pativrata shacheedevee bada़e sankatamen pada़een. apane pati kee anupasthitimen patike raajyamen avyavastha ho, yah bhee unhen sveekaar naheen tha aur apana paativraty bhee unhen param priy thaa. ve bhee devagurukee sharanamen pahuncheen brihaspatijeene unhen aashvaasan dekar yukti batala dee. devaguruke aadeshaanusaar shacheene us dootake dvaara nahushako kahala diyaa- 'yadi raajendr nahush aisee paalakeepar baithakar mere paas aaven jise saptarshi dho rahe hon to main unakee sevaamen upasthit ho sakatee hoon.'kaam evan adhikaarake madase matavaale nahune | maharshiyonko paalakee le chalanekee aajna de dee. raaga-dvesh | tatha maanaapamaanase rahit saptarshiganonne nahushakee paalakee utha lee. lekin ve rishigan is bhayase ki paireki neeche koee cheentee ya any kshudr jeev dab n jaayen bhoomiko dekha-dekhakar dheere-dheere pair rakhate chalate the. | udhar kaamaatur nahushako indraaneeke paas sheeghr pahunchaneko | aaturata thee. ve baara-baar rishiyonko sheeghr chalane ko kah rahe the. lekin rishi to apane ichchhaanusaar hee chalate rahe.

'sarp ! sarp !' (sheeghr chalo ! sheeghr chalo!) kahakar nahushane jhunjhalaakar pair patakaa. sanyogavash unaka pair paalakee dhote maharshi bhriguko lag gayaa. maharshike netr laal ho uthe. paalakee unhonne patak dee aur haathamen jal lekar shaap dete hue bole- 'dusht ! too apanese | bada़onke dvaara paalakee dhuvaata hai aur madaandh hokar . poojaneey logonko pairase thukaraakar 'sarp, sarpa' kahata hai, . atah sarp hokar yahaanse gir !'

maharshi bhriguke shaap dete hee nahushaka tej nasht ho gayaa. bhayake maare ve kaanpane lage. sheeghr hee ve bada़e bhaaree ajagar hokar svargase prithveepar gir pada़e.

- su0 sin0 ( mahaabhaarat, udyoga0 10- 16)

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