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गोबर और गोमूत्रमें लक्ष्मीका निवास  [बोध कथा]
Spiritual Story - Spiritual Story (आध्यात्मिक कथा)

गोबर और गोमूत्रमें लक्ष्मीका निवास

एक समयकी बात है, लक्ष्मीने मनोहर रूप धारण करके गौओंके झुण्डमें प्रवेश किया, उनके सुन्दर रूपको देखकर गौओंने विस्मित होकर पूछा - 'देवि! तुम कौन हो? और कहाँसे आयी हो? तुम पृथ्वीकी अनुपम सुन्दरी जान पड़ती हो। हमलोग तुम्हारा रूप-वैभव देखकर अत्यन्त आश्चर्यमें पड़ गयी हैं, इसीलिये तुम्हारा परिचय जानना चाहती हैं। सुन्दरी! सच-सच बताओ, तुम कौन हो और कहाँ जाओगी ?'
लक्ष्मीने कहा- गौओ! तुम्हारा कल्याण हो, मैं इस जगत् में लक्ष्मीके नामसे प्रसिद्ध हूँ। सारा जगत् मेरी कामना करता है। मैंने दैत्योंको छोड़ दिया, इससे वे सदाके लिये नष्ट हो गये हैं और मेरे ही आश्रयमें रहने के कारण इन्द्र, सूर्य, चन्द्रमा, विष्णु, वरुण तथा अग्नि आदि देवता सदा आनन्द भोग रहे हैं। देवताओं और ऋषियोंको मेरी ही शरणमें आनेसे सिद्धि मिलती है। जिनके शरीरमें मैं प्रवेश नहीं करती, वे सर्वथा नष्ट हो जाते हैं। धर्म, अर्थ और काम मेरा सहयोग होनेपर ही सुख दे सकते हैं। सुखदायिनी गौओ ! ऐसा ही मेरा प्रभाव है। अब मैं तुम्हारे शरीरमें सदा निवास करना चाहती हूँ और इसके लिये स्वयं ही तुम्हारे पास आकर प्रार्थना करती हूँ। तुमलोग मेरा आश्रय पाकर श्रीसम्पन्न हो जाओ।
गौओंने कहा-- देवि! तुम बड़ी चंचला हो, कहीं भी स्थिर होकर नहीं रहती। इसके सिवा तुम्हारा बहुतों के साथ एक-सा सम्बन्ध है, इसलिये हमको तुम्हारी इच्छा नहीं है। तुम्हारा कल्याण हो, हमारा शरीर तो यों ही हृष्ट-पुष्ट और सुन्दर है, हमें तुमसे क्या काम ? तुम्हारी जहाँ इच्छा हो, चली जाओ। तुमने हमसे बातचीत की, इतनेहीसे हम अपनेको कृतार्थ मानती हैं।
लक्ष्मीने कहा- गौओ ! तुम यह क्या कहती हो, मैं दुर्लभ और सती हूँ, फिर भी तुम मुझे स्वीकार नहीं करती, इसका क्या कारण है? आज मुझे मालूम हुआ कि 'बिना बुलाये किसीके पास जानेसे अनादर होता है', यह कहावत अक्षरशः सत्य है। उत्तम व्रतका पालन करनेवाली धेनुओ! देवता, दानव, गन्धर्व, पिशाच, नाग, राक्षस और मनुष्य बड़ी उग्र तपस्या करके मेरी सेवाका सौभाग्य प्राप्त करते हैं। मेरा यह प्रभाव तुम्हारे ध्यान देनेयोग्य है, अतः मुझे स्वीकार करो। देखो, इस चराचर त्रिलोकीमें कोई भी मेरा अपमान नहीं करता।
गौओंने कहा-देवि ! हम तुम्हारा अपमान या अनादर नहीं करतीं, केवल तुम्हारा त्याग कर रही हैं और वह भी इसलिये कि तुम्हारा चित्त चंचल है, तुम कहीं भी जमकर नहीं रहती। अब बहुत बातचीतसे कोई लाभ नहीं है, तुम जहाँ जाना चाहो, चली जाओ। हम सब लोगोंका शरीर यों ही हृष्ट-पुष्ट एवं प्राकृतिक शोभासे युक्त है, फिर हम तुम्हें लेकर क्या करेंगी ?
लक्ष्मीने कहा- गौओ ! तुम दूसरोंको आदर देनेवाली हो, यदि तुम मुझे त्याग दोगी तो सारे जगत्‌में मेरा अनादर होने लगेगा, इसलिये मुझपर कृपा करो। तुम महान् सौभाग्यशालिनी और सबको शरण देनेवाली हो, अतः मैं तुम्हारी शरणमें आयी हूँ, मुझमें कोई दोष नहीं है, मैं तुमलोगोंकी सेविका हूँ, यह जानकर मेरी रक्षा करो–मुझे अपनाओ। मैं तुमसे सम्मान चाहती हूँ, तुमलोग सदा सबका कल्याण करनेवाली, पुण्यमयी, पवित्र और सौभाग्यवती हो। मुझे आज्ञा दो, मैं तुम्हारे शरीरके किस भागमें निवास करूँ ?
गौओंने कहा- यशस्विनी ! हमें तुम्हारा सम्मान अवश्य तु करना चाहिये। अच्छा, तुम हमारे गोबर और मूत्रमें निवास करो; क्योंकि हमारी ये दोनों वस्तुएँ परम पवित्र हैं।
लक्ष्मीने कहा- धन्य भाग! जो तुमलोगोंने मुझपर अनुग्रह किया। मैं ऐसा ही करूँगी। सुखदायिनी गौओ ! तुमने मेरा मान रख लिया, अतः तुम्हारा कल्याण हो । इस प्रकार गौओंके साथ प्रतिज्ञा करके लक्ष्मी उनके देखते-देखते वहाँसे अन्तर्धान हो गर्यो। [महाभारत]



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gobar aur gomootramen lakshmeeka nivaasa

gobar aur gomootramen lakshmeeka nivaasa

ek samayakee baat hai, lakshmeene manohar roop dhaaran karake gauonke jhundamen pravesh kiya, unake sundar roopako dekhakar gauonne vismit hokar poochha - 'devi! tum kaun ho? aur kahaanse aayee ho? tum prithveekee anupam sundaree jaan pada़tee ho. hamalog tumhaara roopa-vaibhav dekhakar atyant aashcharyamen pada़ gayee hain, iseeliye tumhaara parichay jaanana chaahatee hain. sundaree! sacha-sach bataao, tum kaun ho aur kahaan jaaogee ?'
lakshmeene kahaa- gauo! tumhaara kalyaan ho, main is jagat men lakshmeeke naamase prasiddh hoon. saara jagat meree kaamana karata hai. mainne daityonko chhoda़ diya, isase ve sadaake liye nasht ho gaye hain aur mere hee aashrayamen rahane ke kaaran indr, soory, chandrama, vishnu, varun tatha agni aadi devata sada aanand bhog rahe hain. devataaon aur rishiyonko meree hee sharanamen aanese siddhi milatee hai. jinake shareeramen main pravesh naheen karatee, ve sarvatha nasht ho jaate hain. dharm, arth aur kaam mera sahayog honepar hee sukh de sakate hain. sukhadaayinee gauo ! aisa hee mera prabhaav hai. ab main tumhaare shareeramen sada nivaas karana chaahatee hoon aur isake liye svayan hee tumhaare paas aakar praarthana karatee hoon. tumalog mera aashray paakar shreesampann ho jaao.
gauonne kahaa-- devi! tum bada़ee chanchala ho, kaheen bhee sthir hokar naheen rahatee. isake siva tumhaara bahuton ke saath eka-sa sambandh hai, isaliye hamako tumhaaree ichchha naheen hai. tumhaara kalyaan ho, hamaara shareer to yon hee hrishta-pusht aur sundar hai, hamen tumase kya kaam ? tumhaaree jahaan ichchha ho, chalee jaao. tumane hamase baatacheet kee, itaneheese ham apaneko kritaarth maanatee hain.
lakshmeene kahaa- gauo ! tum yah kya kahatee ho, main durlabh aur satee hoon, phir bhee tum mujhe sveekaar naheen karatee, isaka kya kaaran hai? aaj mujhe maaloom hua ki 'bina bulaaye kiseeke paas jaanese anaadar hota hai', yah kahaavat aksharashah saty hai. uttam vrataka paalan karanevaalee dhenuo! devata, daanav, gandharv, pishaach, naag, raakshas aur manushy bada़ee ugr tapasya karake meree sevaaka saubhaagy praapt karate hain. mera yah prabhaav tumhaare dhyaan deneyogy hai, atah mujhe sveekaar karo. dekho, is charaachar trilokeemen koee bhee mera apamaan naheen karataa.
gauonne kahaa-devi ! ham tumhaara apamaan ya anaadar naheen karateen, keval tumhaara tyaag kar rahee hain aur vah bhee isaliye ki tumhaara chitt chanchal hai, tum kaheen bhee jamakar naheen rahatee. ab bahut baatacheetase koee laabh naheen hai, tum jahaan jaana chaaho, chalee jaao. ham sab logonka shareer yon hee hrishta-pusht evan praakritik shobhaase yukt hai, phir ham tumhen lekar kya karengee ?
lakshmeene kahaa- gauo ! tum doosaronko aadar denevaalee ho, yadi tum mujhe tyaag dogee to saare jagat‌men mera anaadar hone lagega, isaliye mujhapar kripa karo. tum mahaan saubhaagyashaalinee aur sabako sharan denevaalee ho, atah main tumhaaree sharanamen aayee hoon, mujhamen koee dosh naheen hai, main tumalogonkee sevika hoon, yah jaanakar meree raksha karo–mujhe apanaao. main tumase sammaan chaahatee hoon, tumalog sada sabaka kalyaan karanevaalee, punyamayee, pavitr aur saubhaagyavatee ho. mujhe aajna do, main tumhaare shareerake kis bhaagamen nivaas karoon ?
gauonne kahaa- yashasvinee ! hamen tumhaara sammaan avashy tu karana chaahiye. achchha, tum hamaare gobar aur mootramen nivaas karo; kyonki hamaaree ye donon vastuen param pavitr hain.
lakshmeene kahaa- dhany bhaaga! jo tumalogonne mujhapar anugrah kiyaa. main aisa hee karoongee. sukhadaayinee gauo ! tumane mera maan rakh liya, atah tumhaara kalyaan ho . is prakaar gauonke saath pratijna karake lakshmee unake dekhate-dekhate vahaanse antardhaan ho garyo. [mahaabhaarata]

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